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साढ़े छह साल के निचले स्तर पर जीडीपी वृद्धि दर, गिरकर 4.5 फीसदी के स्तर पर पहुंची

अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मोदी सरकार को एक के बाद एक झटका लग रहा है। सरकार अर्थव्यवस्था को पांच...
साढ़े छह साल के निचले स्तर पर जीडीपी वृद्धि दर, गिरकर 4.5 फीसदी के स्तर पर पहुंची

अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मोदी सरकार को एक के बाद एक झटका लग रहा है। सरकार अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने की बात करती है लेकिन देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर लगातार गिरती जा रही है। देश की अर्थव्यवस्था लगातार सुस्त पड़ती जा रही है। चालू वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) की विकास दर घटकर 4.5 फीसदी रह गई। पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्ध दर 5 फीसदी रही है।

पिछले साल दूसरी तिमाही में 7 फीसदी रफ्तार

नई सीरीज के मुताबिक इससे पहले वित्त वर्ष 2012-13 की चौथी तिमाही में विकास दर 4.3 फीसदी थी। 4.5 फीसदी विकास दर 26 तिमाही में सबसे कम है। जबकि वित्त वर्ष 2017-19 की दूसरी तिमाही में विकास दर 7 फीसदी रही थी। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही विकास दर 4.8 फीसदी रही है। जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही विकास दर 7.5 फीसदी थी।

चीन से बहुत पीछे रह गई रफ्तार

चीन की विकास दर जुलाई सितंबर तिमाही में 6 फीसदी रही जो उसकी 27 साल की सबसे सुस्त रफ्तार थी। जबकि भारत की विकास दर महज 4.5 फीसदी रही। इस तरह भारत विकास दर के मामले में बहुत पिछड़ गया है।

आरबीआइ ने भी घटा दिया था अनुमान

भारतीय रिजर्व बैंक ने जीडीपी विकास दर का अनुमान चालू वित्त वर्ष के लिए घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया है। जबकि पहले उसने 6.9 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक निजी खपत व्यय की विकास दर दूसरी तिमाही में सिर्फ 5.06 फीसदी रही जबकि पिछले साल इसमें 9.8 फीसदी वृद्धि रही थी।

कोर सेक्टर में गिरावट और तेज

उधर, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कोर सेक्टर के उत्पादन में गिरावट और तेज हो गई। अक्टूबर के दौरान कोर सेक्टर के उत्पादन में गिरावट 5.8 फीसदी रही जबकि सितंबर यह रफ्तार 5.2 फीसदी थी। कोर सेक्टर के बिजली क्षेत्र में गिरावट की रफ्तार अक्टूबर में बढ़कर 12.4 फीसदी हो गई जबकि सितंबर में गिरावट 3.7 फीसदी थी। बिजली क्षेत्र में भारी गिरावट आने के कारण समूचे कोर सेक्टर के उत्पादन में गिरावट तेज हो गई। इस सेक्टर में कोयला, कच्चा तेल, नेचुल गैस, स्टील, सीमेंट, उर्वरक और रिफाइनरी उत्पाद शामिल हैं। समूचे औद्योगिक उत्पादन में कोर सेक्टर की हिस्सेदारी 4.027 फीसदी है। कोयला क्षेत्र में गिरावट 17.6 फीसदी रही जबकि सितंबर में यह 20.5 फीसदी थी। स्टील, सीमेंट में भी गिरावट का रुख रहा है। सिर्फ रिफाइनरी उत्पादों में आंकड़ा ग्रीन रहा यानी इसमें 0.4 फीसदी की वृद्धि हुई। सितंबर में इसमें 6.7 फीसदी गिरावट रही थी।

लगातार छठी तिमाही घटी विकास दर

2017-18

जनवरी-मार्च – 8.1%

2018-19

अप्रैल-जून – 8%

जुलाई-सितंबर – 7%

अक्टूबर-दिसंबर – 6.6%

जनवरी-मार्च – 5.8%

2019-20

अप्रैल-जून – 5%

जुलाई-सितंबर – 4.5%

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