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चिदंबरम का आरोप- आंकड़ों से संकट छिपा रही सरकार, खर्च के लिए पैसा ही नहीं

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार पर बड़ा...
चिदंबरम का आरोप- आंकड़ों से संकट छिपा रही सरकार, खर्च के लिए पैसा ही नहीं

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार पर बड़ा हमला किया है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के गंभीर संकट को छिपाने के लिए सरकार आंकड़ों का सहारा ले रही है। सरकार के पास खर्च करने के लिए पैसा ही नहीं है।

मार्च तक कर राजस्व लक्ष्य पूरा होना मुश्किल

बजट पर चर्चा की शुरुआत करते हुए चिदंबरम ने कहा कि सरकार पैसा खत्म कर चुकी है। अर्थव्यवस्था से जुड़े आंकड़े विश्वसनीयता खो चुके हैं क्योंकि सरकार उनमें छेड़छाड़ करके संकट को सार्वजनिक होने से रोक रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास निचले स्तर के कर अधिकारियों को भी नोटिस जारी करने का अधिकार है। इसके बावजूद कंपनी कर, व्यक्तिगत आय कर, कस्टम और जीएसटी जैसे तमाम कर मदों में राजस्व संग्रह में भारी गिरावट आई है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 16.49 लाख करोड़ रुपये शुद्ध कर राजस्व संग्रह का वादा किया था जबकि दिसंबर तक सिर्फ 9 लाख करोड़ रुपये के एकत्रित हो पाए। अब सरकार कहती है कि मार्च तक कर राजस्व 15 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने के बारे में भरोसा किया जाए।

खर्च के मामले में प्रदर्शन बहुत खराब

पूर्व वित्त मंत्री ने चालू वित्त वर्ष में व्यय के मोर्चे पर भी खराब प्रदर्शन के लिए सरकार की खिंचाई की। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 27 लाख करोड़ रुपये खर्च का वादा किया था जबकि दिसंबर तक खर्च सिर्फ 11.78 लाख करोड़ रुपये रहा। इस पर सरकार दावा करती है कि मार्च तक खर्च 27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।

सातवीं तिमाही में भी सुधार की उम्मीद नहीं

उन्होंने कई आर्थिक संकेतकों का हवाला देते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था सुस्त होती जा रही है। पिछली छह तिमाहियों के दौरान आर्थिक विकास दर लगातार गिरती दिखाई दी। अब सातवीं तिमाही में भी कोई बेहतरी दिखने वाली नहीं है। जबकि सरकार जल्दी ही अर्थव्यवस्था में सुधार की बात कर रही है।

आर्थिक संकट से निपटने की कुशलता पर सवाल

चिदंबरम ने आर्थिक संकट से निपटने की सरकार की योग्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह सुस्त प्रदर्शन के लिए हर बार पिछली सरकार पर आरोप नहीं लगा सकती है। इसी देश ने 1997, 2008 और 2013 की आर्थिक कठिनाइयों का सफलतापूर्वक सामना किया। उन्होंने कहा कि आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है लेकिन सरकार को स्थिति से निपटने का तरीका मालूम होना चाहिए।

राजकोषीय घाटे के आंकड़े और खराब

उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए पेश किए गए राजस्व घाटे और राजकोषीय घाटे के आंकड़े चिंताजनक थे। अब सकार द्वारा अगले साल के लिए पेश किए आंकड़े और ज्यादा गंभीर स्थिति दर्शाते हैं। देश में क्रेडिट ग्रोथ महज 8-9 फीसदी रही है, जबकि उद्योग और कृषि क्षेत्र में क्रेडिट ग्रोथ और कम है।

वित्त मंत्री आर्थिक सर्वे से सीख नहीं लेतीं

उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वे आर्थिक सर्वे से कोई आइडिया नहीं लेती हैं। बजट भाषण में उन्होंने आर्थिक सर्वे का कोई जिक्र नहीं किया। उन्होंने उसके किसी भी बिंदु पर चर्चा नहीं की। जीएसटी और नोटबंदी की फिर से जिक्र करते हुए पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने ये भयानक गलतियां की थीं। जीएसटी की त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया, नियम और दरों से व्यापार और उद्योग पर बहुत बुरा असर पड़ा।

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