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BSNL में नया संकट, स्टॉफ की कमी से टेलिकॉम सेवाएं देना हुआ मुश्किल

सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल का संकट खत्म होता नहीं दिख रहा है। उम्मीद थी कि  रिवाइवल पैकेज के बाद...
BSNL में नया संकट, स्टॉफ की कमी से टेलिकॉम सेवाएं देना हुआ मुश्किल

सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल का संकट खत्म होता नहीं दिख रहा है। उम्मीद थी कि  रिवाइवल पैकेज के बाद कंपनी की समस्या दूर हो जाएंगी लेकिन वह अब बढ़ती जा रही है। कंपनी को इस समय अपनी टेलीकॉम सेवाएं सुचारू रूप से देने में दिक्कतें आ रही है। इसकी एक बड़ी वजह भारी संख्या में स्टॉफ की कमी होना है। हालत यह है जिन एरिया में पहले 20 स्टॉफ काम करते थे, वहां उनकी संख्या घटकर 2 रह गई है। कंपनी के ग्राउंड एरिया में 80-90 फीसदी तक स्टॉफ की कमी हो गई है। इसकी वजह से कई जगहों पर कंपनी को अपनी बेसिक सेवाएं देने में भी मुश्किल आ रही है। स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि इस मुद्दे को लेकर टेलीकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद कंपनी के सीनियर अधिकारियों के साथ बैठक भी कर चुके हैं।

50 फीसदी ले चुके हैं रिटायरमेंट

असल में बीएसएनएल ने रिवाइवल पैकेज के तहत करीब 80 हजार कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दी जा चुकी है। इसकी वजह से अब 80 हजार कर्मचारी रह गए हैं। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार कंपनी इस समय कर्चारी की भारी कमी का सामना कर रही है। इसकी वजह से ग्राउंड लेवल स्टॉफ की ज्यादा कमी हो गई है। असर यह हुआ है कि कंपनी को अपनी सेवाएं सामान्य रूप से देने में दिक्कत आ रही है।अधिकारी के अनुसार एक समय कंपनी के 335 एसएसए हुआ करते थे , उनकी संख्या घटकर केवल 200 रह गई है। इसी तरह 22 हजार एक्सचेंज हैं। अब उनको चलाने के लिए स्टॉफ नहीं है। इसकी वजह से कस्टमर की शिकायतें लगातार बढ़ रही है।

सरकारी सेवाओं में भी दिक्कत

अधिकारी के अनुसार देश भर में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के अधिकतर काम बीएसएनएल और एमटीएनएल के जरिए होते हैं। ऐसे में संसाधन  की कमी उन्हें सेवाएं देने में बड़ी समस्या बन रही है। यह बात केंद्रीय मंत्री के साथ बैठक में भी उठी है। इस बात की आशंका है कि सरकारी विभागों  के काम एयरटेल, जिओ जैसी प्राइवेट कंपनियों के पास भी जा सकता है।

आउटसोर्सिंग का हो सकता है फैसला

सूत्रों के अनुसार बीएसएनएल का सैलरी बिल घटकर करीब 450 करोड़ रुपये रह गया है। जो एक समय करीब 900 करोड़ रुपये हुआ करता था। ऐसे में कई सेवाओं के लिए आउटसोर्सिंग की तैयारी है। इस मॉडल को एमटीएनएल ने दिल्ली और मुंबई में अपनाया है। इसकी वजह से उनकी स्थिती बीएसएनएल जैसी नहीं है। अक्टूबर 2019 में सरकार ने 70 हजार करोड़ रुपये के रिवाइवल पैकेज का ऐलान बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए किया था। इसके पहली किस्त के रुप में 5000 करोड़ रुपये की राशि मार्च में जारी की गई  है।

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