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आईसीएसएसआर प्रमुख को लगता है पाठ्य पुस्तकें जेएनयू जैसे एक्टिविस्ट बना रहीं

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘असहिष्णुता के सबसे बड़े पीड़ित’ कहने वाले बृज बिहारी कुमार तो याद ही होंगे। इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (आईएसएसआर) के मुखिया बृज बिहारी कुमार का कहना है कि अब पाठ्य पुस्तकें शिक्षा देने के बजाय जेएनयू जैसे एक्टिविस्ट बनाने के लिए लिखी जा रही हैं।
आईसीएसएसआर प्रमुख को लगता है पाठ्य पुस्तकें जेएनयू जैसे एक्टिविस्ट बना रहीं

सोशल साइंस विषयों को बढ़ावा देने वाली संस्था आईसीएसएसआर के प्रमुख को यह भी लगता है कि जाति आधारित झड़पें और असहिष्णुता बहुत सतही मामले हैं और यह भारतीय समाज पर कोई असर नहीं डालेंगे।  

उनका कहना है, ‘पाठ्यपुस्तकें छात्रों को एक्टिविस्ट बनाने के लिए नहीं होतीं। लेकिन दुर्भाग्य से किताबें आजकल इसी एजेंडा पर चल रही हैं। बृज बिहारी खुद भी एंथ्रोपोलॉजिस्ट रहे हैं। उनका नाम तब प्रमुखता से चर्चा में आया था जब उन्होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी से बड़ा असहिष्णुता का शिकार कोई नहीं है। वह उन नक्शों पर भी आपत्ति जताते हैं जिनमें जम्मू और कश्मीर को भारत से अलग दिखाया गया है। या पूर्वोत्तर के राज्य भारत के हिस्से के रूप में नहीं दिखाए जाते। वह कहते हैं कि एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकें पॉलिटिकल एजेंडा के तहत चलती थीं और आंशिक रूप से सामाजिक भिन्नता और अराजक माहौल बनाने में इनका भी योगदान है। 

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