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गुलजार की लकीरें

28 जून को दिल्ली का सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम गुलजार के चाहने वालों से भरा हुआ था। आखिर गुलजार के नज्मों और कहानियों का मंचन जो होने वाला था।
गुलजार की लकीरें

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के मशहूर निर्देशक सलीम आरिफ का नाटक लकीरें सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम में होने वाला था। दर्शक उत्सुकता से नाटक की प्रतीक्षा में थे। लकीरें गुलजार की कुछ कहानियों और नज्मों को मिला कर बनाया गया नाटक है। इस शानदार नाट्य मंचन को देखने के लिए दिल्ली के कई कला जगत के लोग जुटे थे।

 

 

लकीरें में वे कहानियां हैं जिनमें गुलजार भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से जुड़े दर्द को बयां करते हैं। एक अरसे से गुलजार से जुड़े सलीम आरिफ उनके लिखे को उनके खास अंदाज को बगैर छेड़े दर्शकों तक पहुंचाते हैं। अट्ठाइस जून की शाम भी उनकी एक कामयाब शाम रही।

 

 

लकीरें में अदाकारी करने वालों में नामी कलाकार शामिल थे। यशपाल शर्मा,  निसार खान,  डिंपी मिश्रा, लुबना और सलीम आरिफ ने अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। अपनी खूबसूरत अदाकारी से इन कलाकारों ने खूब दाद बटोरी। कहानियों के बीच-बीच में नज्मों का आना और बेहतरीन अदाकारी,  लाइटिंग आदि ने यह महसूस ही नहीं होने दिया कि यह एक स्टेज शो है। लकीरें में तीन कहानियां ‘कुलदीप नैयर और पीर साहब’, ‘एल ओ सी’ और ‘ओवर’ के अलावा तीन गजलें और लगभग सात नज्में थीं।

 

 

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