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KLF मैथिली लिटरेरी फेस्टिवल का आयोजन 11-12 सितम्बर को, वर्चुअल लगेगा देश-दुनिया के दिग्गज साहित्यकारों का मेला

देश के प्रतिष्ठित साहित्य संगठन कलिंग लिटरेरी फेस्टिवल (केएलएफ) की अगुवाई में आगामी 11-12 सितम्बर 2021 को दो...
KLF मैथिली लिटरेरी फेस्टिवल का आयोजन 11-12 सितम्बर को, वर्चुअल लगेगा देश-दुनिया के दिग्गज साहित्यकारों का मेला

देश के प्रतिष्ठित साहित्य संगठन कलिंग लिटरेरी फेस्टिवल (केएलएफ) की अगुवाई में आगामी 11-12 सितम्बर 2021 को दो दिनों के लिए केएलएफ मैथिली लिटरेरी फेस्टिवल आयोजित किया जायेगा। इस आयोजन की घोषणा केएलएफ के संस्थापक निदेशक रश्मि रंजन परिदा जी ने की है। रश्मि रंजन ने कहा कि कलिंगा लिटरेरी फेस्टिवल बीते कई वर्षों से भारतीय भाषा कि समृद्धि के लिए आयोजन करवा रहा है। देश एवं इससे बाहर विभिन्न भाषाओँ के लेखकों को इस आयोजनों में सादर आमंत्रित कर भाषा- साहित्य की परिधि और उसकी समृद्धि को बढ़ाया है। साथ ही विश्व-बंधुत्व कि दिशा में  एक मजबूत प्रयास किया है। 

उन्होंने बताया कि इसमें शुरू से ही लेखकों, रंगकर्मियों, कला से संबंधित व्यक्तियों की सहभागिता रही है। यह आयोजन सदैव अपनी सार्थकता सिद्ध करती रही है। केएलएफ  मैथिली  लिटरेरी फेस्टिवल भी इसी प्रयास का परिणाम है। 

रश्मि रंजन ने बताया कि, इस वर्ष यह आयोजन वैश्विक महामारी के कारण वर्चुअल माध्यम से होगा। अगले वर्ष से इसका आयोजन मधुबनी में करने की योजना है।

केएलएफ मैथिली लिटरेरी फेस्टिवल के संयोजक डॉ. कृष्ण मोहन ठाकुर ने कहा कि मैथिली भाषा साहित्य के इस विराट आयोजन में भारत- नेपाल सहित विश्व के कई देशों में निवास कर रहे मैथिली  लेखकों की सहमति और सहभागिता से यह आयोजन अपने में एक अनूठा कार्य सिद्ध होगा। इसके लोग भाषा-साहित्य के उन्नयन हेतु सक्रिय होंगे। फलतः भारतीय भाषाओं में और अधिक मजबूती आएगी। इस आयोजन में कुल दस साहित्यिक सत्रों में सौ से अधिक संख्या में लेखकों की सहभागिता अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि मैथिली एक समृद्ध भाषा है। इन लेखकों को एक साथ लेकर एक साहित्य महोत्सव का रूप देना निश्चय ही प्रशंसनीय प्रयास है।

कलिंगा लिटरेरी फेस्टिवल के सह- निदेशक आशुतोष कुमार ठाकुर ने कहा कि कलिंगा लिटरेरी फेस्टिवल ने अपने प्रमुख आयोजनों में भारत के क्षेत्रीय भाषाओं को भी स्थान दिया है। हाल ही में कंधमाल लिटरेरी फेस्टिवल का आयोजन सफलता पूर्वक किया है। केएलएफ का हमेशा से धेय्य रहा है कि भारतीय भाषाओँ में क्षेत्रीय भाषाओँ की भी हिस्सेदारी हो और इसमें भी विकास हो। ऐसे साहित्यिक आयोजनों से समाज और देश सहित सभ्यता और संस्कृति को भी बढ़ावा मिलता है। आशुतोष ने कहा कि यह उनका सपना है कि मैथिली भाषा का विराट साहित्य का अनुवाद अन्य भाषाओँ में भी हो, बड़े प्रकाशक इस साहित्य की अंतर्ध्वनि को समझे। आज पुरे विश्व में मैथिली भाषा भाषी लोग रहते हैं,  इसका साहित्यिक बाजार बहुत संभावनाओं से भरा है।

समाज में गुणात्मक विकास का एक समर्थ माध्यम है। साहित्यिक सांस्कृतिक आयोजन। मैथिली लिटरेरी फेस्टिवल से इस साहित्य से इस साहित्यिक समाज सामाजिक सौहार्द को शक्ति मिलेगी और मैथिली भाषा साहित्य के लेखक और साहित्य प्रेमियों को और भी उत्साह मिलेगा।

 

 

 

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