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खराब नेटवर्क, छुट्टे की कमी से पुस्तक मेले का मजा किरकिरा

नोटबंदी के दो माह बाद आयोजित हो रहे विश्व पुस्तक मेले में उम्मीद थी कि मेले को नकदी की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा और प्रकाशक नकदी रहित लेन-देन के जरिये अपनी किताबें बेच लेंगे, लेकिन रुक-रुककर चलने वाले नेटवर्क और 2,000 रुपये के नोट के छुट्टे न मिल पाने से प्रकाशकों का किताब बिक्री का खेल बिगड़ रहा है।
खराब नेटवर्क, छुट्टे की कमी से पुस्तक मेले का मजा किरकिरा

पुस्तक मेले में विक्रेताओं के पास सौ रुपये के ज्यादा नोट नहीं हैं, जबकि 2000 रुपये के नए नोट काफी मात्रा में मिल रहे हैं, जबकि ग्राहक 40 रुपये तक की खरीद के लिए नकदी रहित लेन-देन करना चाहते हैं। इस प्रकार की समस्याओं के कारण पुस्तक मेले में खरीदार और विक्रेता दोनों बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।

हमें सभी प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ग्राहकों के पास 2,000 रुपये का नोट है और वह यदि 200 रुपये की किताब खरीदता है, तो उसे बाकी के छुट्टे पैसे देने के लिए हमारे पास 100 रुपये के पर्याप्त नोट नहीं हैं।

सब्बरवाल पब्लिशर्स के मनीष सब्बरवाल ने कहा, कुछ लोग 100 रुपये से भी कम खरीद पर ऑनलाइन भुगतान करना चाहते हैं, लेकिन मुझ से हर भुगतान अथवा कार्ड स्वाइप करने पर पांच प्रतिशत का सेवा शुल्क वसूला जाता है। उन्होंने कहा कि बहुत से ग्राहकों को मना करने के बाद दोनों तरफ से नुकसान प्रकाशक का हो रहा है।

नीरज मल्होत्रा जैसे ग्राहक, जो अपनी कुछ मनपसंद किताबें खरीदना चाहते थे और उन्होंने किताबों के ढेर से अपनी लिए कुछ किताबें छांट कर रखीं लेकिन मेले के अंदर लगे एटीएम से जब पैसा नहीं निकला, तो उन्हें निराश होकर अपनी किताबें वहीं छोड़नी पड़ीं।

उन्होंने बताया, मैं कम कीमत पर बिकने वाली किताबों की दुकान पर गया और मैंने किताबों के पहाड़ से अपने पसंद की कुछ किताबें चुनीं, मैं उन्हें खरीदना चाहता था, लेकिन वह दुकानदार सिर्फ नकदी में किताबें बेच रहा था। उन्होंने बताया, इसके बाद मैं करीब के एटीएम पर गया, लेकिन वहां पैसा नहीं था। इसके बाद मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा और मुझे अपनी पसंदीदा किताबें छोड़नी पड़ीं।

हालांकि देखा जा रहा है कि मेले में काफी संख्या में कार्ड मशीन और ई-भुगतान पोर्टल है, लेकिन रुक-रुककर नेटवर्क आना भी पुस्तक प्रेमियों के लिए अच्छा अनुभव रहा। सृष्टि पब्लिकेशन के कौशिक, जिनके पास ई-भुगतान के अनेक विकल्प हैं, ने बताया कि नेटवर्क कम रहने से उनकी ज्यादा किताबें नहीं बिक रही हैं।

उन्होंने बताया, मेरे पास नकदी-रहित भुगतान के लिए अनेक विकल्प हैं। यहां कार्ड मशीन और पेटीएम जैसी सुविधाएं हैं, लेकिन यदि नेटवर्क ही नहीं है, तो यह सब चीजें क्या कर सकती हैं। उन्होंने कहा, यह बड़ी समस्या है। कोई भी एक ग्राहक पर इतना समय खर्च नहीं करना चाहता, क्योंकि भुगतान के समय उसका कार्ड या मशीन काम नहीं कर रही। प्रगति मैदान में होने वाला यह पुस्तक मेला 15 जनवरी तक चलेगा।

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