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फिनोलेक्स द्वारा निर्मित शॉर्ट फिल्म 'प्रल्हाद' ने यूट्यूब पर मचाया तहलका

अक्सर ऐसा माना जाता है कि आप जैसा देखते है वैसा ही सीखते है, इसलिए किसी को भी हमेशा ऐसी चीज़ें देखनी या...
फिनोलेक्स द्वारा निर्मित शॉर्ट फिल्म 'प्रल्हाद' ने यूट्यूब पर मचाया तहलका

अक्सर ऐसा माना जाता है कि आप जैसा देखते है वैसा ही सीखते है, इसलिए किसी को भी हमेशा ऐसी चीज़ें देखनी या पढ़नी चाहिए जो आपको प्रोत्साहित करे, जीवन में पॉजिटिव रहने की प्रेरणा दे। हमारे आसपास हो रहीं कई चीज़ें हमे प्रेरित करती है, और अक्सर ये कहानियां एक फिल्म के रूप में हमारे सामने पेश की जाती है। कोई भी सकारात्मक बात अगर हमे समाज तक पहुचनी है तो फिल्म एक बहुत ही सशक्त माध्यम होता है। कुछ फिल्में लोगों को एकजुट करने और उन्हें भावनाओ से जुड़ने में मदद करती हैं जो समाज के लोगों में सकारात्मक बदलाव को बढ़ावा देने में मदद करती हैं। कई रिसर्च से यह भी पता चलता है कि फिल्मों द्वारा बनाया गया प्रभाव लोगों के विश्वासों और विचारों को प्रभावित करता है। लोगों की ज़िन्दगी को प्रभावित करने वाली ऐसी ही एक शॉर्ट फिल्म है ' प्रल्हाद ' जिसे Schbang Motion Pictures और फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज ने प्रोड्यूस किया है।

 

शॉर्ट फिल्म प्रल्हाद फिनोलेक्स के संस्थापक स्वर्गीय श्री प्रल्हाद पी. छाबरिया के जीवन पर आधारित है। फिल्म में दिखाए गए सीन्स 'There's No Such Thing as a Self-Made Man' पुस्तक पर आधारित हैं जो स्वर्गीय श्री प्रल्हाद पी. छाबरिया की आत्मकथा है। इसे हमारा मूवी के यूट्यूब चैनल पर 1 सितंबर, 2022 को रिलीज़ किया गया था। फिल्म में स्वर्गीय श्री प्रल्हाद पी छाबरिया की भूमिका में ऋत्विक सहोर नज़र आ रहे हैं। अन्य अभिनेताओं में आबिद शमीम, चिनमय दास और अन्नपूर्णा सोनी, मनोज जोशी, भार्गवी चिरमुले का नाम शामिल हैं, जिन्होंने अपने किरदार को बखूबी निभाया हैं। अब तक फिल्म Prague International Film Festival, मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल और लंदन फिल्म एंड टेलीविजन फेस्टिवल सहित अंतरराष्ट्रीय और भारतीय फिल्म समारोहों में 22 सम्मान जीत चुकी है।

 

फिल्म एक युवा लड़के के जीवन संघर्ष को बयां करती है, जिसे अपने पिता की मृत्यु के बाद, अपनी किशोरावस्था में ही अपना गृहनगर अमृतसर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था। ये युवा लड़का अमृतसर से अपनी शर्ट की जेब में 10 रुपए लिए मन में ज़िम्मेदारियों का बोझा लिया निकल पड़ता हैं एक नए सफर की ओर। अपनी मेहनत और लगन के बलपर इस युवक ने भारत के सबसे बड़े निगमों में से एक, फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज की स्थापना की, जो आज के समय में दस हज़ार करोड़ की कंपनी हैं। ये वही युवा हैं जो महज़ जेब में 10 रुपए लिए मुंबई की ओर ट्रैन से निकला था। यात्रा करते समय युवा प्रल्हाद ने नोटिस किया कि कैसे अन्य यात्रियों की ज़िन्दगी उनसे मिलती जुलती है। यह फिल्म दर्शकों को उन चुनौतियों से रूबरू कराती है जिनका सामना स्वर्गीय श्री प्रल्हाद पी. छाबरिया ने मुंबई की यात्रा के दौरान और बाद में किया था। ये फिल्म हर उस आम व्यक्ति के संघर्षो की कहानी है जो एक सुखद जीवन पाने के लिए हम करते है।

 

देखने के लिए क्लिक करे - https://www.youtube.com/watch?v=OBed_pQs9to&t=2s 

 

फिनोलेक्स इंडस्ट्री और Schbang Motion Pictures द्वारा इस फिल्म को बनाने के पीछे एक मुख्य कारण है आज के इच्छुक आंत्रेप्रेन्योर्स को उम्मीद देना। वे चाहते थे कि 'प्रल्हाद' इस विचार को व्यक्त करे कि असफल होना और फिर से शुरू करना दोनों ही पूरी तरह से ठीक हैं। चाहे कुछ भी हो जाए, किसी को भी अपने लक्ष्य की ओर प्रयास करना और काम करना बंद नहीं करना चाहिए। अपनी यात्रा की शुरुआत में मुश्किल से 10 रुपये के साथ, स्वर्गीय श्री प्रल्हाद पी. छाबरिया ने एक बिज़नेस खड़ा करने के लिए कड़ी मेहनत की, जो अब 10,000 करोड़ रुपये में तब्दील हो गयी है। ये कहानी कहती है हर कोई सफल हो सकता हैं यदि वो निरंतर प्रयास करे। एक और महत्वपूर्ण सबक यह है कि कैसे स्वर्गीय श्री प्रल्हाद पी. छाबरिया ने अपनी पूरी यात्रा में हमेशा गरिमा, शालीनता और मानवता के साथ व्यवहार किया। जबरदस्त ऊंचाइयों तक पहुंचने के बाद भी वह कभी नहीं भूले कि वह कहां के थे।

 

फिनोलेक्स उद्योग को 1981 से समग्र रूप से राष्ट्र के विकास और कृषि उद्योग में अपने योगदान के लिए बहुत प्रशंसा मिली है। उच्च गुणवत्ता वाले पीवीसी पाइप और फिटिंग प्रदान करके, वे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में उपभोक्ताओं की सहायता करने में सक्षम हैं। स्वर्गीय श्री प्रल्हाद पी. छाबरिया एक सफल उद्योगपति होने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध परोपकारी व्यक्ति भी थे। उन्होंने होप फाउंडेशन एंड रिसर्च सेंटर और मुकुल माधव फाउंडेशन की स्थापना की, ये संगठन कमज़ोर लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सामाजिक कल्याण तक पहुंच प्रदान करके लोगों की सहायता करते हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने रत्नागिरी में मुकुल माधव विद्यालय की स्थापना की। इंजीनियरिंग कॉलेजों के साथ-साथ हिंजावाड़ी, पुणे, महाराष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान और रत्नागिरी में फिनोलेक्स एकेडमी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी हैं।

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