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पेड़ों के लिए साक्षी का दीवानापन- 800 स्क्वायर फीट में उगा दिए 4000 पेड़, नारियल के शैल में लगाए दुर्लभ पौधे

आधुनिक युग में जरुरतों के साथ-साथ जंगलों की कटाई भी बढ़ गई है। लिहाजा पर्यावरण के लिए चिंतित लोगों के...
पेड़ों के लिए साक्षी का दीवानापन- 800 स्क्वायर फीट में उगा दिए 4000 पेड़, नारियल के शैल में लगाए दुर्लभ पौधे

आधुनिक युग में जरुरतों के साथ-साथ जंगलों की कटाई भी बढ़ गई है। लिहाजा पर्यावरण के लिए चिंतित लोगों के सामने वनों का संरक्षण इस समय सबसे बड़ी चुनौती है। लेकिन, भोपाल की रहने वाली साक्षी भारद्वाज ने जंगलों को बचाने के लिए अपने घर पर ही एक मिनी जंगल बना लिया है। यहां उन्होंने केवल 800 स्क्वायर फीट की जगह पर 450 प्रजातियों के लगभग 4,000 पेड़ लगाए हैं। उन्होंने अपने इस छोटे से जंगल को 'जंगल वॉस' नाम दिया है, जिसका उद्देश्य लोगों को बताना है कि गार्डेनिंग करने के लिए बड़ी जगह होना जरुरी नहीं है। घर के किसी भी कोने को ग्रीन कॉर्नर में बदला जा सकता है।

मध्य प्रदेश के भोपाल की रहने वाली साक्षी मानसरोवर ग्लोबल यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। वे आउटलुक को बताती हैं कि ये उनका छोटा सा जंगल पूरी तरह से बॉयोडिग्रीडेबल है। मिट्टी में डालने वाली खाद से लेकर उन्हें उगाने के लिए गमलों तक वो सब कुछ अपने घर के वेस्ट मटेरियल से तैयार करती हैं। साक्षी किचन से निकलने वाले वेस्ट से खाद, फलों और सब्जियों के बीजों से छोटे पौधे और बायो-एंजाइम का भी उत्पादन करतीं हैं।


नारियल के शैल का रीयूज

इस जंगल में 450 प्रजातियों के पौधे हैं। जिनमें से 150 दुर्लभ प्रजाति के पौधे हैं। जो देश के बाहर जैसे- इंडोनेशिया, फ्लोरिडा, कनाडा, अमेजन के जंगलों से मंगाए गए हैं। साक्षी ने उन पौधों को नारियल के शैल में लगाया है। वो कहती हैं, "ये नारियल का शैल पौधों के लिए मजबूत गमलों की तरह काम करता है। इसके अलावा शैल में काफी नमी के कारण उन्हें उन पौधों को बार-बार पानी देने और मिट्टी बदलने की जरूरत भी नहीं पड़ती है। छोटे पौधो को गमलों की बजाय शैल में लगाना ज्यादा फायदेमंद है। इस शैल को कंपोस्ट भी किया जा सकता है। यह पूरी तरह इको-फ्रेंडली है।“


एक आम पेड़ की कटिंग कर 50 पेड़

पर्यावरण प्रेमी साक्षी ने इसकी शुरुआत दो साल पहले 2018 में की थी। उन्हें इसकी प्रेरणा उनकी मां से मिली थी। शुरुआत में साक्षी ने घर पर रखी प्लास्टिक की बोतलों को रीयूज करना शुरू किया था। साक्षी बताती है, “इस जंगल में सब्जियों, फलों, जड़ी बूटियों आदि प्रकार के पेड़ पौधे उगाए हैं। इनमें कुछ को निश्चित तापमान की जरूरत पड़ती है, जैसे- ड्रेगन फ्रूट, पान के पत्ते, एप्रिकोड्स जो बहुत अच्छे से ग्रो कर रहे हैं। पिछले लॉकडाउन में एक आम पेड़ की कटिंग कर 50 पेड़ लगाए थे, जो अब 4 फीट से अधिक लंबाई के हो चुके हैं।“


वर्कशॉप के जरिए लोगों को भी देती हैं नए तरीको की जानकारी

साक्षी इसे लेकर अपना एक वर्कशॉप भी चलाती हैं। वो बताती है, “घर पर बसाया गया जंगल पूरी तरह से बॉयोसस्टेनेबल और बॉयोडिग्रेडेबल है। जिससे धरती को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचता है।“ साक्षी दूसरों को भी इसके प्रति जागरूक करने के लिए ऑनलाइन वर्कशॉप और ट्रेनिंग प्रोग्राम भी देती हैं। जिसमें वो लोगों को प्लांटेशन के नए-नए तरीके सीखाती हैं। साक्षी बताती है, “देश में प्लांट कम्यूनी बहुत ही अच्छी है और बड़ी है।“


पेड़ों के लिए साक्षी का प्यार

इसके अलावा साक्षी इन दुर्लभ पौधों को देश के कई कोनों में भी बेचती हैं। उन्होंने इसके लिए सोशल मीडिया पर अपने “जंगल वॉस” का पेज भी बनाया है जिससे लोगों को जानकारी होती है और वे ऑर्डर भी करते हैं। उनके ये पौधे सबसे ज्यादा साउथ इंडिया, दिल्ली, मुंबई, इंदौर, भोपाल आदि जगहों पर जाते हैं। साक्षी के इस नए तरीकों से लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं। वो कहती हैं, “मुझे पेड़ों से बहुत ज्यादा लगाव है यदि मुझे कोई कहे कि वो पागल है तो मैं कहूंगी कि हां मैं पेड़ों के लिए बहुत ज्यादा पागल हूं।“

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