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उत्तराखंड में दिग्गज कांग्रेसियों को खोने वाले रावत पंजाब में सिद्धू को साधने में लगे

उतराखंड में दिग्गज नेताओं के भाजपा मेंं शामिल होने से बिखरी कांग्रेस से सबक लेते हुए वहां के पूर्व...
उत्तराखंड में दिग्गज कांग्रेसियों को खोने वाले रावत पंजाब में सिद्धू को साधने में लगे

उतराखंड में दिग्गज नेताओं के भाजपा मेंं शामिल होने से बिखरी कांग्रेस से सबक लेते हुए वहां के पूर्व मुख्यमंत्री एंव हाल ही में पंजाब के नवनियुक्त प्रभारी हरीश रावत पंजाब के बिखरे बागी कांग्रेसी नेताओं को एकजुट करने में लगे हैं।

कैप्टन के धुर विरोधी माने जाने वाले नवजोत सिंह सिद्धू,सांसद प्रताप बाजवा और शमशेर सिंह दूल्लों को रावत पार्टी की मुख्य धारा में शामिल करने को पूरा जोर लगाए हुए हैं। आखिर उत्तराखंड में कभी बड़े कांग्रेसियों में विजय बहुगुणा,सतपाल महाराज और यशपाल आर्य समेत 9 कांग्रेसी विधायकों  के एक-एक कर भाजपा में समा जाने के बाद वहां के मैदानी इलाकों और पहाड़े में कांग्रेस के लिए अस्तित्व बचाना मुश्किल हो रहा है। इसी से सबक लेते हुए रावत की कोशिश है कि मार्च 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब कांग्रेस को एकजुट कर नई जान फूंकी जाए। 2022 में उत्तराखंड मंे भी चुनाव पंजाब के साथ ही हैं वहां कांग्रेस में जान फूंकना रावत के लिए बड़ी चुनौती है पर पंजाब प्रभारी होने के नाते रावत सिद्धू,बाजवा और दूल्लों की तिकड़ी में सबसे पहले नवजोत सिंह सिद्धू को साधने में कामयाब होते दिख रहे हैं।

सिद्धू करीब सवा साल बाद सार्वजनिक रुप से कांग्रेस के मंच पर बीत रविवार से सक्रिय हुए हैं। पंजाब में राहुल गांधी के खेती बचाओ अभियान के तहत रविवार को ट्रेक्टर रैली से पहले सिद्धू राहुल की रैली में मंच पर नजर आए। सिद्धू को लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के तेवर भी ढीले पड़े हैं,कैप्टन ने कहा कि उन्हें सिद्धू के साथ काम करने में कोई परेशानी नहीं हैं। कैप्टन के बयान से साफ संकेत है कि अगले विधानसभा चुनाव से पहले सिद्धू की मंत्रीमंडल में वापसी हो सकती है।

  पंजाब में कांग्रेस के कैप्टन से रुठे सिद्धू सार्वनिक मंचों से पहले भी कई बार कहते रहे हैं कि उनके कैप्टन तो राहुल गांधी हैं और यही बात रविवार को राहुल गांधी की मौजूदगी में दौहरा कर सिद्धू ने कैप्टन के प्रति अभी भी उनके मन में नाराजगी जताने की कोशिश की। जबकि नवनियुक्त प्रभारी हरीश रावत सिद्धू को पार्टी की मुख्यधारा में फिर से लाए जाने का जोर लगा रहे हैं। वह नहीं चाहते कि उनके राज्य उत्तराखंड के दिग्गज कांग्रेसियों की तर्ज पर पंजाब के बड़े कांग्रेसी नेता अगले चुनाव से ठीक पहले किसी और दल का दामन थामें।

कैप्टन से नाराज बागियांे को साधने की शुरुआत सिद्धू से करने वाले हरीश रावत अक्टूबर के पहले चार दिनों में दो बार सिद्धू से मिलने उनके अमृतसर घर गए। रविवार की सुबह सिद्धू के साथ उनके घर नाश्ता करने बाद रावत और सिद्धू एक ही गाड़ी में माेगा स्थित राहुल गांधी की ट्रेक्टर रैली में शामिल हुए। एक तरह से माना जा रहा है कि कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत बागी नवजोत सिंह सिद्धू को साधने में कामयाब हो रहे हैं और अगली बारी प्रताप बाजवा और शमशेर सिंह दूल्लांे की है जो अभी भी प्रदेश में कैप्टन अमरिदंर सिंह की अगुवाई में होने वाली पार्टी की गतिविधियांे से दूरी बनाए हुए हैं।

  हालांकि िकसी भी िसयासी नेता के अमृतसर दौरे काे उनके नया पदभार संभालने के बाद श्रद्वास्वरुप दरबार साहिब मंे नतमस्तक होने से जोड़ा जाता है पर दरबार साहिब न जाकर रावत ने पिछले चार दिन में दो बार सिद्धू के घर जाकर उन्हें साधने पर जोर लगाया। पहली अक्टूबर को हरीश रावत अमृतसर पहुंचे और उसी दिन सिद्धू उनसे मिलने सर्किट हाउस पहुंच गए। सर्किट हाउस में हुई 10 मिनट की मुलाकात में रावत ने खुद सिद्धू से कहा कि वह उनके घर चाय पीने आएंगे। उसके बाद उसी रात 9.38 बजे रावत सिद्धू की कोठी पर पहुंचे और वहां 11.15 बजे तक रुके। दोनों नेताओं ने साथ में डिनर किया। रावत 2 अक्टूबर को अमृतसर में कांग्रेस वर्करों व नेताओं से मिले और 3 अक्टूबर को जालंधर चले गए। 3 अक्टूबर को राहुल गांधी की ट्रैक्टर रैली के लिए जालंधर से सीधे मोगा जाने की जगह रावत रात 9.30 बजे अमृतसर लौट आए। 4 अक्टूबर की सुबह वह होटल से सीधे सिद्धू की कोठी पहुंचे जहां दोनों ने साथ में नाश्ता किया।

   पिछले सवा साल से कांग्रेस से कटे सिद्धू से इससे पहले मिलने कांग्रेस का कोई बड़ा नेता उनके घर नहीं गया। कांग्रेस की िसयासत में एक दम अगल थगल पड़े सिद्धू ने पिछले 15 महीनों मंे खुद को वैष्णो देवी और अपने अमृतसर घर के बीच  रखा हुआ था।  अमृतसर जिले की 11 विधानसभा सीटों में से 10 पर कांग्रेस के विधायकों में से दो कैप्टन मंत्रीमंडल में मंत्री हैं पर अमृतसर में रहते हुए सिद्धू ने इनसे कोई संपर्क नहीं रखा। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी के प्रदेश में प्रचार के लिए सिद्धू ने दूरी बनाए रखी। कांगेस के स्टार प्रचारक के तौर पर सिद्धू देश के अन्य राज्यांे मंे गए पर पंजाब में उन्होंने एक भी दिन प्रचार नहीं िकया। मंत्रीमंडल से इस्कीफे के बाद पिछले सवा साल से सिद्धू न तो विधानसभा गए और न ही कोरोना महामारी के दौरान कांग्रेस विधायकों के साथ होने वाली मुख्यमंत्री की ऑनलाइन बैठकों में शामिल हुए। हरीश रावत से पहले प्रदेश कांग्रेस  प्रभारी आशा कुमारी ने भी कभी आगे बढ़कर सिद्धू से संपर्क साध उन्हें मनाने की कोशिश नहीं की। कैप्टन अमरिंदर सिंह से नजदीकी के चलते आशा कुमारी ने भी िसद्धू से दूरी बनाए रखी।   

 

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