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हाथ पीले कराने का लक्ष्य बना सिरदर्द

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का लक्ष्य पूरा करने में छूटे पसीने
मुश्किल लक्ष्यः बांदा में सामूहिक विवाह योजना के तहत सात फेरे लेने वाले जोड़े

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले साल गरीब परिवार की बेटियों के हाथ पीले कराने के लिए सामूहिक विवाह योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत सभी जिलों को सरकार ने निश्चित संख्या में शादी कराने का लक्ष्य दिया था। लक्ष्य पूरा करने के लिए 31 मार्च की समय सीमा भी तय है। लेकिन, लक्ष्य पूरा करने में प्रशासनिक महकमे के पसीने छूट रहे हैं।

18 फरवरी को बुंदेलखंड के बांदा जिले में इस योजना के तहत 127 जोड़े वैवाहिक बंधन में बंधे, जबकि यहां लक्ष्य 474 शादियों का है। घरेलू सामान के साथ 35 हजार रुपये की आर्थिक मदद के बावजूद गरीब परिवार इस योजना को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखा रहे, जबकि सामाजिक संगठनों के सामूहिक विवाह समारोह में ऐसे जोड़ों की भरमार रहती है।

बेटी के विवाह को लेकर गरीब परिवार की चिंताओं को दूर करने के लिए सरकार ने यह योजना शुरू की है। योजना के तहत नवविवाहित जोड़ाें को सरकार मोबाइल फोन और 35 हजार रुपये देती है। इनमें से 20 हजार रुपये सीधे कन्या के खाते में भेजे जाते हैं। 10 हजार रुपये के कपड़े और गृहस्‍थी के समान कन्या को दिए जाते हैं। पांच हजार रुपये मेहमानों के भोजन पर खर्च किया जाता है। लेकिन, लक्ष्य पूरा करने की प्रशासन की ‍हड़बड़ाहट सरकार की किरकिरी की वजह बन रही है।

झांसी जिले में प्रशासन ने पहले सामूहिक विवाह के लिए चार से दस फरवरी की तारीख तय की और इसके बाद जोड़ों की तलाश शुरू की। गुरसरांय में छह और सात फरवरी को विवाह समारोह की घोषणा भी कर दी गई थी। नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत से लेकर ग्राम पंचायत स्तर तक इसके लिए रजिस्ट्रेशन शुरू किए गए, लेकिन इक्का-दुक्का जोड़े ही रजिस्ट्रेशन के लिए पहुंचे। इसके बाद जिला प्रशासन शादी कराने वाली एक निजी संस्था की शरण में चला गया। यह संस्था 116 जोड़ों की शादियां कराने जा रही थी। संस्था सरकारी पंडाल के नीचे इनकी शादी के लिए तैयार हो गई। समारोह में जब दो दिन बचे थे तो पता चला कि संस्‍था एक राजनीतिक दल से जुड़ी है। इस पर भाजपा ने आपत्ति की। यह भी पता चला कि संस्था ने जोड़ों से रजिस्ट्रेशन के लिए दस-दस हजार रुपये लिए थे। पूरी तैयारियों के बावजूद विवाद से बचने के लिए प्रशासन ने विवाह कार्यक्रम स्थगित कर दिया। अब एक बार फिर से झांसी में नए जोड़ों की तलाश शुरू की गई है।

कमोबेश ऐसे ही हालात सभी जगह हैं। ललितपुर में अभी तक लक्ष्य का एक चौथाई भी रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है, जबकि यहां सामूह‌िक विवाह समारोहों की धूम है। हाल ही में मड़ावरा में कुशवाहा समाज के आयोजन में कई जोड़े बंधन में बंधे। इस आयोजन में राज्य सरकार के मंत्री और विधायक भी मौजूद थे। बुंदेलखंड में बांदा पहला जिला है जहां कम संख्या में ही सही इस योजना के तहत शादियां हुई हैं। लेकिन, लक्ष्य पूरा करने की हड़बड़ाहट यहां भी दिखी। 18 फरवरी को हुए समारोह में एक जोड़ा तो ऐसा था जिसमें दुल्हन नाबालिग और दूल्हे की उम्र 50 साल थी। मौके पर कुछ लोगों के ऐतराज जताने के बाद इस जोड़े को आयोजन से अलग कर दिया गया। लक्ष्य भले ही पूरा न हो पाया हो, लेकिन शादी के पंडाल में नेताओं का जमघट पूरा रहा। सांसद भैरो प्रसाद, विशंभर निषाद, पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल के साथ बांदा के विधायक प्रकाश द्विवेदी भी पहुंचे थे।

जोड़ों की कमी को लेकर सांसद भैरो प्रसाद ने बताया, “ये तो अभी शुरुआत है। शासन ने जो लक्ष्य दिया है हम उससे अधिक शादियां कराएंगे।” गरौठा विधायक जवाहर राजपूत कहते हैं, “योगी आदित्यनाथ ने गरीब परिवारों के लिए शादी को आसान बना दिया है। इसके नतीजे शानदार होंगे। पहले से तारीख तय नहीं होने के कारण भी आयोजन में जोड़ों की कमी हो रही है। शादियां लगन देखकर की जाती हैं जबकि इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन के बाद प्रशासनिक स्तर से तारीख की घोषणा होती है।”

वहीं, बांदा के जिलाधिकारी दिव्य प्रकाश गिरी का कहना है कि यह पहला आयोजन था और प्रशासन जल्द ही लक्ष्य पूरा कर लेगा। हालांकि, बांदा के सामाजिक कार्यकर्ता आशीष सागर का कहना है कि प्रशासनिक उदासीनता के कारण जोड़े नहीं मिल रहे हैं। वे कहते हैं, “जिन बाबुओं के आसरे सरकार योजना को साकार करने का सपना देख रही है वे गंभीर नहीं हैं। रजिस्ट्रेशन कराने पहुंचे कई जोड़ों को कमियां निकालकर बाबुओं ने बार-बार टरकाया। इससे परेशान होकर परिजनों ने सामाजिक संस्थाओं के शादी पंडाल का रुख कर लिया।”

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