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मौके सिकुड़ने का दौर क्षणिक

ईज ऑफ लिविंग से मध्यवर्ग की आकांक्षाओं और अवसरों के लिए खुलेंगे दरवाजे
नई तकनीकों से बदलेंगे हालात

देश के आर्थिक विकास में मध्यवर्ग का बड़ा योगदान रहा है। पिछली सरकार के समय भ्रष्टाचार के मामलों और नीतिगत स्तर पर अस्पष्टता के कारण इस वर्ग में निराशा का भाव पैदा हो गया था। अब मध्यवर्ग उस मोड़ पर खड़ा है जहां नई संभावनाएं और उम्मीदें उसके लिए पैदा हो रही हैं। एनवायरमेंट, एनर्जी और आइटी सेक्टर में नई तकनीकों की वजह से नए अवसर पैदा हो रहे हैं। सड़क, रेलवे, हवाई सेवा के क्षेत्र में जो कायापलट हो रहा है उससे आने वाले कुछ साल में बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होंगे। इससे एक नया मध्यवर्ग पैदा होगा। ठीक उसी तरह जैसे उदारीकरण के बाद आइटी सेक्टर ने नया मध्यवर्ग पैदा किया था।

मौजूदा सरकार जो कुछ भी करती है वह बड़े पैमाने पर करती है। इसके क्रियान्वयन के लिए बड़े स्तर पर संसाधन की जरूरत होती है। ऐसे में बजट में सभी वर्गों को उसकी उम्मीद के अनुसार मिल पाना संभव नहीं होता। वैसे देर-सबेर इन योजनाओं का फायदा भी मध्यवर्ग को मिलना तय है। डिजिटल इंडिया, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, मुद्रा योजना इन सबमें काफी संसाधन खर्च हुए हैं और इन सबका मध्यवर्ग को अच्छा फायदा हुआ। रोजगार के लिए बिना गिरवी के कर्ज पाने वाला न केवल अपने लिए रोजी-रोटी कमाता है बल्कि दूसरों के लिए भी रोजगार पैदा करता है।

मध्यवर्ग के लिए सबसे जरूरी है महंगाई दर नियंत्रण में हो। 2012 में यह दस फीसदी थी। यदि महंगाई को छह फीसदी के भीतर रखने में हम कामयाब रहते हैं तो बहुत फायदा होगा। इससे मध्यवर्ग की खरीदने की और खपत करने की क्षमता बढ़ेगी। इस वर्ग की सबसे बड़ी जरूरत घर है। आज प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कम कीमत और कम ब्याज पर घर मिल रहा है। असंगठित क्षेत्र पर नोटबंदी के प्रभाव के कारण विकास दर पर जो फर्क पड़ना था वह बीते वक्त की बात है। इसके कारण छिपा हुआ कैश ‌सिस्टम में वापस आया जिससे संपत्ति की कीमतों में कमी आई और घर खरीदना मध्यवर्ग की पहुंच में हो गया है।

इस बार बजट में 50 करोड़ गरीबों के लिए जो स्वास्‍थ्य बीमा की योजना शुरू की गई है उसका भी बड़ा फायदा मध्यवर्ग को होगा। इस योजना के कारण प्राइवेट सेक्टर पिछड़े इलाकों में निवेश करने को प्रोत्साहित होंगे। ऐसा होने पर गरीबों के साथ मध्यवर्ग को भी घर के पास इलाज मिलेगा। इससे समय और पैसे दोनों की बचत होगी। जीएसटी के कारण कंजंप्‍शन टैक्स 30 फीसदी से घटकर औसतन 15-16 फीसदी पर आ गया है। इससे उत्पाद की कीमत पर जो फर्क पड़ता है उसका सभी वर्गों को फायदा हो रहा है। इसी तरह किसानों को उनकी उपज लागत का डेढ़ गुना देने का फैसला भी मध्यवर्ग के हक में है। मध्यवर्ग की 70-80 फीसदी आबादी गांव से जुड़ी हुई है।

प्रत्यक्ष तौर पर नहीं दिख रहे इन फायदों में मध्यवर्ग के उपभोग की क्षमता बढ़ाने की ताकत है। मध्यवर्ग की आकांक्षाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ईज ऑफ लिविंग से जुड़ी है। आज का मध्यवर्ग तेजी से अपना काम करवाना चाहता है। रोजगार, घर, शिक्षा के साथ उसे विश्वस्तरीय सुविधाएं चाहिए। वह एक-जगह से दूसरी जगह सफर कर रहा है। उसे रफ्तार और जिंदगी को आसान करने वाली चीजों की तमन्ना है। इस दिशा में काफी काम हो रहा है। हाइवे, सस्ती उड़ान सेवाएं, बुलेट ट्रेन इन सबसे रफ्तार बढ़ती है। सड़क, रेल और हवाई परिवहन के क्षेत्र में जो काम चल रहा है उनके पूरा होते ही चीजें बदल जाएंगी। इनसे समय की बचत होगी और मध्यवर्ग की आमदनी भी बढ़ेगी। निचला तबका भी इन चीजों से अपग्रेड होगा।

यह ऐसा वर्ग है जो आने वाली पीढ़ी के लिए सबसे ज्यादा सोचता है। इसके कारण साफ-सुथरी हवा, स्वच्छता, ईमानदार समाज और विकास उसकी प्राथमिकताओं में है। 2014 पहला चुनाव था जो विकास के मुद्दे पर लड़ा गया। अब सब विकास की बात करने लगे हैं, क्योंकि उन्हें समझ में आ गया है कि मध्यवर्ग की आकांक्षाएं विकास से जुड़ी हैं।

मध्यवर्ग का दायरा बढ़ाने में आइटी सेक्टर का बड़ा योगदान रहा। नए इनोवेशन, ऑटोमेशन, रोबोटिक्स, आर्टिफि‌शियल इंटेलीजेंस के कारण इस सेक्टर में फिलहाल ठहराव दिख रहा है। हालांकि, ये आने वाले वक्त में खत्म हो जाएगा। मेरा मानना है कि आइटी सेक्टर का रूप बदल जाएगा। आज जिस तकनीक की वजह से जॉब खत्म हो रहे हैं, आने वाले वक्त में उसके कारण ही जॉब भी पैदा होंगे। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को देखिए। साइबर संसार में खतरा जितनी तेजी से बढ़ रहा है उतनी ही ज्यादा संख्या में लोग इसे रोकने के लिए लगाए जा रहे हैं। 

एनवायरमेंट, एनर्जी, ऑटोमोबाइल और खाद्य प्रसंस्करण की दुनिया में भी बड़े बदलाव हो रहे हैं। ये सब मिलकर दुनिया भर की संभावनाएं पैदा करेंगे। आने वाले एक दशक में चीजें साफ-साफ नजर आने लगेंगी। इससे एक नया मध्यवर्ग पैदा होगा जिसकी खपत करने की क्षमता ज्यादा होगी। आकांक्षाएं भी नई होंगी। असल में मध्यवर्ग के भीतर भी कई वर्ग हैं। सभी की अपनी-अपनी आकांक्षाएं हैं। किसी को सस्ती उड़ान चाहिए तो किसी को तेज रफ्तार ट्रेन। ईज ऑफ लाइफ उसकी प्राथमिकता है और नेतृत्व ने इस भावना को पकड़ा है। अब जरूरत इस पर पूरे तरीके से अमल की है।

(लेखक नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च में सीनियर रिसर्च फेलो हैं। यह लेख अजीत झा से बातचीत पर आधारित है)

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