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कर बचाओ, सेहत में लगाओ

स्वास्थ्य बीमा सभी के लिए जरूरी, लेकिन सबकी जरूरतें अलग-अलग, सो, सोच-समझ कर लें
सांकेतिक तस्वीर

साल के शुरू होते ही तनख्वाह पाने वाले ज्यादातर लोग कर बचत को लेकर चिंतित होने लगते हैं। यह नए साल का वह समय होता है, जब आपके पास बैंकों से लगातार फोन कॉल आने लगते हैं। आपको जानने वाले बीमा एजेंट भी आपका दरवाजा खटखटाने लगते हैं। लेकिन आपको स्वास्थ्य बीमा लेने का सुझाव कम ही देते हैं। जबकि यह आपके लिए काफी उपयोगी होता है। व्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ-साथ इसका महत्व भी बढ़ता जाता है। हर उम्र के लोगों को यह समझने की जरूरत है कि बीमारियां दरवाजा खटखटा कर नहीं आतीं और जब आती हैं तो आपको पस्त कर देती हैं, आपकी कार्यक्षमता घटा देती हैं और कई बार तो अनहोनी बरपा देती हैं। फिर आजकल इलाज इतने महंगे हो गए हैं कि आपकी माली हालत बिगड़ सकती है। फिर भी अधिकांश लोग एम्प्लॉयर (नियोक्ता) के फंड वाले स्वास्थ्य बीमा पर निर्भर रहते हैं या अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते रहते हैं। इसलिए सेहत के मद में निवेश करना ही कर बचत का सबसे अच्छा उपाय है।

यहां तक कि वे लोग जो स्वास्थ्य बीमा के महत्व को जानते हैं, उन्हें भी कुछ जरूरी बातें ध्यान में रखने की आवश्यकता है। आइसीआइसीआइ लोंबार्ड के अंडरराइटिंग, क्लेम्स ऐंड री-इंश्योरेंस विभाग के प्रमुख संजय दत्ता कहते हैं, “उम्र और जगह जैसे कारक सबसे अधिक मायने रखते हैं।” ऐसा इसलिए कि बड़े शहरों में हेल्थकेयर की लागत भी बहुत अधिक होती है। फ्यूचर जेनरली इंडिया इंश्योरेंस के स्वास्थ्य बीमा विभाग के प्रमुख श्रीराज देशपांडे कहते हैं, “छोटे शहरों की अपेक्षा बड़े शहरों में लागत 35-40 फीसदी से अधिक है।”

युवाओं के लिए स्वास्थ्य बीमा

हालांकि इंश्योरेंस प्रीमियम का संबंध वास्तव में उम्र से होता है, लेकिन आपके बीमा की रकम को प्रभावित करने वाली यही एकमात्र वजह नहीं होनी चाहिए। मैक्स बुपा के एमडी और सीईओ आशीष मेहरोत्रा कहते हैं, “एक आदर्श बीमा जैसी कोई चीज नहीं होती है। यह कई कारकों जैसे आय, शहर, हॉस्पिटल की प्राथमिकता, परिवार में सदस्यों की संख्या पर निर्भर करता है।” हालांकि, आप न्यूनतम इंश्योर्ड रकम पर विचार कर सकते हैं। रॉयल सुंदरम के चीफ प्रोडक्ट अफसर निखिल आप्टे कहते हैं, “आमतौर पर, 25 से 35 साल की उम्र में आपको अधिक रकम का बीमा लेने की जरूरत नहीं होती है और पांच लाख रुपये तक का बीमा पर्याप्त होना चाहिए।”

 

जितनी अधिक जिम्मेदारी, उतना बड़ा प्लान

अगर आपकी उम्र 35 से 45 साल के बीच है, विवाहित हैं और आप पर परिवार के देखभाल की जिम्मेदारी है तो आपके स्वास्थ्य बीमा की रकम अधिक होनी चाहिए। किन्हीं भी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को देखते हुए कम-से-कम 10 लाख रुपये तक का बीमा लेना चाहिए। आप्टे बताते हैं, “चूंकि बीमा लंबी अवधि का कॉन्ट्रैक्ट यानी करार है तो जब आप स्वस्थ हों तो अधिक रकम वाला बीमा लेने की कोशिश करें। शुरू में 10 लाख रुपये का प्लान लें, ताकि अगले पांच साल में अगर आप कोई क्लेम नहीं करते हैं तो आपकी बीमा राशि में वृद्धि होगी। चिकित्सा क्षेत्र में महंगाई बढ़ती भी है तो इससे आपको दिक्कत नहीं होगी।” उम्र के इस पड़ाव पर अधिकांश लोग फैमिली प्लान चुनते हैं। यह प्लान लचीला होता है और इसमें किस्त का प्रीमियम भी कम होता है। ऐसे में परिवार के सदस्य के हिस्से आने वाली रकम की अपनी सीमाएं भी होती हैं। देशपांडे कहते हैं, “यह तय कीजिए कि जितनी राशि का बीमा आपने ‌लिया है, वह पर्याप्त हो, क्योंकि एक ही साल में परिवार के एक से अधिक सदस्यों के हॉस्पिटल में भर्ती होने की आशंकाओं को खारिज नहीं किया जा सकता है।” बुजुर्ग माता-पिता के बार-बार हॉस्पिटल में भर्ती होने की आशंका को भी ध्यान में रखते हुए, यह बेहतर होगा कि उनका अलग से स्वास्थ्य बीमा कराएं।

 

40-45 वर्ष वालों के लिए टॉप-अप प्लान

ऐसे में जल्दी बीमा लेना अच्छा है, क्योंकि जब व्यक्ति 45 साल का हो जाता है तो स्वास्थ्य बीमा से पहले आमतौर पर उसका हेल्थ चेकअप कराया जाता है। आप्टे कहते हैं, “इस उम्र में आप 15-20 लाख रुपये तक का बीमा ले सकते हैं।” आप टॉप-अप प्लान के जरिए बीमा की राशि बढ़वा भी सकते हैं। मेहरोत्रा कहते हैं, “अधिकांश कॉरपोरेट्स अपने कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ देते हैं, लेकिन बढ़ती महंगाई के कारण यह अपर्याप्त हो सकता है। इसलिए टॉप-अप प्लान लेना सही फैसला साबित हो सकता है।”

जब आप रिटायर होने की दहलीज पर हों

रिटायरमेंट की दहलीज पर पहुंचने वाले लोगों को जितना संभव हो उतना बड़ा प्लान लेना चाहिए। ग्रुप पॉलिसी के तहत आने वाले वैसे लोग जो रिटायर होने वाले हैं, उन्हें ग्रुप प्लान को व्यक्तिगत प्लान में बदलवा लेना चाहिए। क्योंकि इससे उन्हें पहले की ही तरह लाभ मिलते रहेंगे और पहले से जो बीमारी है, वह भी उसके अंदर कवर हो जाएगी। 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को स्पेशलाइज्ड सीनियर सिटिजन पॉलिसी लेने पर विचार करना चाहिए। हालांकि, उसमें कई तरह की सीमाएं हैं, लेकिन इसके तहत स्वास्थ्य बीमा आता है। यह ऐसी उम्र होती है, जब लोगों के स्वास्थ्य बीमा के अधिकांश आवेदन खारिज हो जाते हैं।

सही चुनाव करें

स्वास्थ्य बीमा लेने वाले अधिकांश सिर्फ प्रीमियम पर ही अपना ध्यान केंद्रित करते हैं, जो कि अच्छी आदत नहीं है। आपको बीमा की शर्तों और नियमों का बारीकी से अध्ययन करना चाहिए। उदाहरण के लिए, सस्ते स्वास्थ्य बीमा की कुछ न कुछ सीमाएं होती हैं, जैसे हॉस्पिटल का रूम रेंट या ऑपरेशन थिएटर की फीस उसके तहत कवर नहीं होती हैं।

जब आपके कमरे का किराया बीमा में निर्धारित उच्चतम सीमा से अधिक हो जाता है तो पूरे क्लेम की अदायगी भी उसी अनुपात में कम हो जाएगी, क्योंकि नर्सिंग और डॉक्टर की फीस जैसे अन्य शुल्क भी रूम रेंट से जुड़े होते हैं। अधिक कीमत वाली पॉलिसी पर बहुत कम सीमाएं लागू होती हैं। आपको नो क्लेम या कितनी राशि जमा होगी, बोनस के ढांचा आदि के बारे में जानकारी हासिल करनी चाहिए, क्योंकि ये सभी अहम भूमिका निभाते हैं। आप्टे सलाह देते हैं, “यह बड़े क्लेम में मददगार साबित होता है। जमा होने वाली बोनस की अधिकतम राशि के बारे में जरूर पता कीजिए।”

प्रीमियम और उसकी शर्तों का आकलन करें

कुछ हेल्थ प्लान अतिरिक्त लाभ जैसे बिना भर्ती इलाज, दूसरे देशों के हॉस्पिटल में भर्ती, चैट पर डॉक्टर से सलाह, दवा बिल पर छूट, दांतों का इलाज और मरीज के लिए राहत-बचाव भी मुहैया कराते हैं। गंभीर बीमारी, दुर्घटना, बिना भर्ती हुए इलाज और मातृत्व प्लान जैसी शर्तों को जोड़कर आप अपनी सुरक्षा और सुदृढ़ कर सकते हैं।

बैंक बाजार के इंश्योरेंस विभाग के प्रमुख पार्थिव मजूमदार कहते हैं, “अपने प्लान में रोज मिलने वाले नकदी लाभ को भी देखें।” इससे खाने और आवागमन की जरूरतें पूरी हो सकती हैं। हेल्थ प्लान में दुर्घटना कवर जरूर होना चाहिए, क्योंकि स्थाई या अस्थाई अपंगता की हालत में यह आय की कमी की क्षतिपूर्ति करता है। गंभीर बीमारी के तहत सामान्य और कैंसर, हार्ट अटैक जैसे रोगों का इलाज होता है। दत्ता बताते हैं, “चूंकि सभी के स्वास्थ्य की जरूरतें अलग-अलग होती हैं, इसलिए सभी के अनुकूल प्लान बनाना संभव नहीं है।” इस कारण वैकल्पिक प्लान की जरूरत होती है। इस वजह से सभी को अपनी जरूरतों के हिसाब से विशेष हेल्थ प्लान लेने में मदद मिलती है।

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