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गांव और गरीब का बजट

सबसे बड़ी स्वास्थ्य रक्षक योजना सहित तमाम उपाय इस बजट को पिछले कई बजट से अलग बनाते हैं
बजट भाषण सुनते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

इस बजट में दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य रक्षक योजना (ओबामा केयर से भी बड़ी), भाजपा के चुनाव घोषणा-पत्र के अनुरूप किसानों को उनकी सभी फसलों के लागत मूल्य से 50 प्रतिशत अधिक का न्यूनतम समर्थन मूल्य, तीन साल तक सभी क्षेत्र के नए कर्मचारियों के भविष्य निधि में 12 प्रतिशत का सरकारी अनुदान, सब्जी उत्पादन बढ़ाने हेतु सरकारी मदद सहित तमाम ऐसे उपाय हैं जो इसे पिछले कई वर्षों के बजट से अलग दिखाते हैं। मोदी सरकार का अंतिम ‘पूर्ण बजट’, गांव और गरीब के लिए समर्पित बजट कहा जाएगा।

मध्य वर्ग है थोड़ा निराश

हालांकि नौकरीपेशा लोगों के आयकर के रूप में बड़े सहयोग को वित्त मंत्री ने बजट में रेखांकित करते हुए कहा कि गैर नौकरीपेशा लोगों से यह औसतन भी और कुल भी तीन गुना ज्यादा है, तो भी उन्हें टैक्स स्लैब में कोई राहत नहीं मिलने से वे थोड़े निराश दिखाई देते हैं। लेकिन इसके बावजूद वे इस बात से जरूर राहत महसूस कर रहे होंगे कि कम से कम मानक कटौती के सिद्धांत को, जिसे काफी समय पहले खारिज कर दिया गया था, पुनः लागू किया गया है और नौकरीपेशा लोगों की आमदनी में 40 हजार रुपये की मानक कटौती लागू की गई है, जिससे उन्हें अधिकतम 12 हजार रुपये से अधिक का सालाना लाभ हो सकता है। इसी प्रकार 50 हजार रुपये तक के ब्याज को भी कर मुक्त करने की घोषणा मध्यम वर्ग को राहत देने वाली है।

किसान को प्रसन्न करने वाला बजट

शायद किसान को भी इस बात की आशा नहीं थी कि भाजपा के चुनाव घोषणा-पत्र के अनुरूप वित्त मंत्री लागत मूल्य पर 50 प्रतिशत जोड़कर समर्थन मूल्य देने की घोषणा इस बजट में कर देंगे। इस बात की तो उन्हें कतई आशा नहीं थी कि सरकार इस समर्थन मूल्य को सभी फसलों पर लागू करने को सैद्धांतिक स्वीकृति दे देगी। ये दोनों बातें इस बजट में संभव हो पाईं, यह वास्तव में किसानों को प्रसन्न करेगा। गौरतलब है कि सरकारी तंत्र के लोग भी इस वायदे को लागू करने संबंधी बात करने से कतराया करते थे।

किसानों के अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले अन्य भूमिहीन, जो खेती नहीं करते, लेकिन मत्स्य पालन, पशुपालन जैसी गतिविधियों में संलग्न हैं, कल्पना नहीं करते थे कि उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड के रूप में कभी कृषि ऋण मिल पाएगा। अब वे किसान क्रेडिट कार्ड के हकदार बन जाएंगे। यह उनके लिए एक स्वप्न सरीखी बात ही कही जाएगी। यह कदम ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को प्रसन्न ही नहीं करेगा, बल्कि गैर कृषि रोजगार के अवसरों में भी खासी वृद्धि करेगा।

रोजगार सृजन हेतु ठोस प्रयास

लंबे समय से ऐसा महसूस किया जा रहा था कि वर्तमान विकास का मॉडल रोजगार सृजन में असफल हो रहा है। निवेश के लिए तो तमाम प्रकार की सुविधाएं दी जाती थी लेकिन रोजगार सृजन के लिए कोई छूट नहीं मिलती थी। लेकिन पिछले कुछ समय से सरकार द्वारा अतिरिक्त रोजगार सृजन पर आयकर में छूट, वस्‍त्र और अन्य कुछ उद्योगों में अतिरिक्त रोजगार देने पर कर्मचारी भविष्य निधि में सहयोग वगैरह शुरू हुआ था। इस बजट में इसे और आगे बढ़ाते हुए अब सभी उद्योगों में अतिरिक्त रोजगार देने पर कर्मचारी भविष्य निधि में 12 प्रतिशत योगदान सरकार की ओर से दिया जाएगा, ऐसी घोषणा बजट में हुई है, जो स्वागत योग्य है।

यही नहीं लघु उद्योगों को वित्त एवं कौशल निर्माण में मदद समेत कई उपायों से प्रोत्साहन देने की बात हुई है जिससे रोजगार सृजन में मदद मिलेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार के अतिरिक्त अवसर बांस और बांस से बनी वस्तुओं के निर्माण, गैर कृषि ग्रामीण गतिविधियों को बढ़ावा सहित कई उपाय हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ा सकते हैं।

गरीबों को स्वास्थ्य में राहत

लंबे समय से यह बात सिद्ध होती रही है कि गरीबों को स्वास्थ्य की सरकारी सुविधाएं उपलब्ध न होने के कारण उनकी निर्भरता निजी क्षेत्र के अस्पतालों पर बढ़ती जा रही है, जिसके चलते वे लगातार कर्ज के बोझ में दब रहे हैं। गरीबों को और गरीब करने में स्वास्थ्य संबंधी खर्चें प्रमुख कारण हैं। ऐसे में 10 करोड़ परिवारों के लिए यानी लगभग 50 करोड़ लोगों के लिए दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य रक्षक योजना शुरू करने की घोषणा गरीबों के लिए एक बड़ी राहत का सबब बन सकती है, जिसके अनुसार सभी परिवारों को पांच लाख रुपये तक की स्वास्थ्य खर्च संबंधी सहायता उपलब्ध होगी। देखना होगा कि यह कैसे लागू होती है, लेकिन सैद्धांतिक रूप से इस योजना की घोषणा ही एक बहुत बड़ा कदम है, जिसे सराहा जाना चाहिए। यही नहीं टी.बी. के सभी मरीजों के लिए 500 रुपये प्रति माह की सहायता राशि भी एक सराहनीय कदम है।

रखना होगा विदेशी कंपनियों को बाहर

हालांकि मोदी सरकार के कार्यकाल में कई नए क्षेत्रों में विदेशी कंपनियों को अनुमति दी गई है, जिसके चलते अर्थव्यवस्था पर विदेशी प्रभुत्व बढ़ रहा है। यही नहीं, विदेशी कंपनियों की शर्तों को मानते हुए पूर्व के प्रावधानों को भी बदला जा रहा है। हाल ही में सिंगल ब्रांड में 30 प्रतिशत की खरीद भारत से ही करने की शर्त को हटा लिया गया है। जिसका दुष्प्रभाव देश में मन्यूफैक्चरिंग और खासतौर पर मेक इन इंडिया कार्यक्रम पर पड़ सकता है।

नई स्वास्थ्य रक्षा योजना के बारे में सरकार को ध्यान रखना होगा कि इसके लिए विदेशी बीमा कंपनियों को शामिल न किया जाए, ताकि देश का धन विदेशों में न जाए। वित्तमंत्री ने कॉरपोरेट जगत को भी फायदा पहुंचाया है और 50 करोड़ से 250 करोड़ रुपये तक की आमदनी वाली कंपनियों का टैक्स 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया है। हालांकि इसका कारण अन्य देशों में कॉरपोरेट टैक्स का घटाया जाना बताया जा रहा है।

(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर और स्‍वदेशी जागरण मंच के सह संयोजक हैं)

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