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बुजुर्गों का ख्याल नौकरीपेशा खाली हाथ

आम बजट 2018-19 में कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के लिए घोषणाओं का पिटारा खोला गया, लेकिन वेतनभोगी कर्मचारियों की उम्मीदों को पूरा नहीं किया गया
सांकेतिक तस्वीर

समाज के विभिन्न वर्गों की बड़ी उम्मीदों के बीच वित्त मंत्री ने लोकसभा चुनाव से पहले अपना आखिरी पूर्ण बजट पेश किया। आम आदमी हो या अमीर, वरिष्ठ नागरिक या महिलाएं, सभी बजट से अपने लिए कुछ-न-कुछ उम्मीद कर रहे थे। लेकिन सरकार ने किसानों और गरीबों का ही ख्याल रखा। इस बजट में किसान और गरीबों के लिए कई घोषणाएं की गई हैं, ताकि समाज के इस वर्ग का ख्याल अच्छे से रखा जा सके। हालांकि, लगता है कि वेतनभोगी वर्ग को निराशाजनक हालत में छोड़ दिया गया, क्योंकि बजट में उन्हें कुछ नहीं मिला। सरकार मानती है कि अपने इस कार्यकाल में वह पहले ही वेतनभोगी वर्ग को राहत दे चुकी है। इसलिए इस बार उसकी प्राथमिकता में किसान और गरीब थे। वरिष्ठ नागरिकों के लिए खुशी की बात है, क्योंकि बजट में उनके लिए कई घोषणाएं की गई हैं।

वेतनभोगी वर्ग

व्यक्तिगत आयकर दर में बदलाव नहीं : बजट में कर स्लैब और कर दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह उम्मीद थी कि कर मुक्त आय सीमा बढ़ाई जाएगी। खासतौर पर तब जबकि आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि नोटबंदी के बाद टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों की संख्या 18.9 लाख और जीएसटी लागू होने के बाद करदाताओं की संख्या 34 लाख बढ़ी है।

वित्त मंत्री के मुताबिक, शिक्षा पर तीन फीसदी सेस की जगह ‘स्वास्थ्य और शिक्षा’ पर चार फीसदी सेस की योजना लाई गई है। इससे सरकार के राजस्व में थोड़ी और बढ़ोतरी होगी। साथ ही, इसे ‘स्वास्थ्य और शिक्षा सेस’ के तहत रखने से बजट में इन दोनों के लिए घोषित कल्याणकारी योजनाओं के लिए फंड जुटाने में मदद मिलेगी। यह ध्यान देने वाली बात है कि जिस वर्ग के लिए सेस की राशि ली जाती है, उसे सिर्फ उसी पर खर्च किया जाता है। 

स्टैंडर्ड डिडक्शन फिर से लागूः 40 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन दोबारा लागू होने पर उम्मीद थी कि इससे वेतनभोगी करदाताओं के चेहरे पर मुस्कराहट आएगी। लेकिन उनकी यह खुशी जल्द ही काफूर हो गई, क्योंकि सरकार ने हर महीने परिवहन भत्ता के रूप में 1600 रुपये और हर साल मेडिकल रीइंबर्समेंट के रूप में मिलने वाले 15 हजार रुपये पर कर में छूट को खत्म कर दिया। सरकार ने संभवतः स्टैंडर्ड डिडक्शन को 2.5 करोड़ पेंशनभोगियों (वरिष्ठ नागरिक वर्ग) को फायदा पहुंचाने के लिए लागू किया है। सरकार उनकी जेब और भरना चाहती थी। हालांकि, इस प्रस्ताव से करदाताओं और कर्मचारियों को मेडिकल रीइंबर्समेंट के लिए बिल देने और लेने के झंझट से मुक्ति मिलेगी। टेबल ए में बताया गया है कि इस प्रस्ताव से विभिन्न आय समूह के दायरे में आने वाले करदाता किस तरह प्रभावित होंगे। यह ध्यान देने वाली बात है कि कम आय समूह में आने वाले लोगों पर बहुत कम असर पड़ेगा। लेकिन उच्च आय वर्ग वालों को जेब से और पैसे निकालने पड़ेंगे।

इक्विटी शेयर की बिक्री पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) : इस साल स्टॉक मार्केट से यही लोग अच्छी कमाई कर रहे थे। ऐसे में कुछ कर चुकाने के लिहाज से यह वर्ग सरकार की नजर से भला कैसे बच सकता था? करदाताओं में अकारण ही इसे लेकर भय नहीं था, क्योंकि प्रधानमंत्री ने बहुत पहले अपने एक भाषण में संकेत दे दिए थे। फिर भी लोगों को इसकी उम्मीद नहीं थी, क्योंकि सरकार दशकों पुराने आयकर अधिनियम-1961 में संशोधन की समीक्षा के लिए पहले ही एक टास्क फोर्स गठित कर चुकी है।

वित्त मंत्री ने देश के स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध इक्विटी शेयर और इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड की बिक्री पर एलटीसीजी कर को  प्रस्तावित किया है। प्रतिभूति लेनदेन (एसटीटी) की स्थिति में यह कर खरीद और बिक्री दोनों पर लगेगा। एक लाख रुपये से अधिक के इस तरह के लाभ पर 10 फीसदी कर (बिना इंडैक्सेशन के) लगाने का प्रस्ताव रखा गया है। अभी तक इस पर कर से छूट मिली हुई थी। हालांकि, ‘ग्रैंडफादरिंग’ प्रावधानों की वजह से 31 जनवरी 2018 तक छूट देने से इसे थोड़ी वाहवाही मिली। एक लाख रुपये से कम वाले छोटे निवेशकों पर भी इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। टेबल-बी में एलटीसीजी कर गणना के बारे में बताया गया है।

इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड पर लाभांश वितरण करः अगर आपने किसी इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड में निवेश किया है तो भविष्य में इस तरह के फंड से रिटर्न्स पर असर पड़ सकता है, क्योंकि वित्त मंत्री ने इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड पर 10 प्रतिशत का लाभांश वितरण कर (डीडीटी) लगाने का प्रस्ताव रखा है। फिलहाल, इन सभी पर किसी तरह का डीडीटी नहीं लगाया गया है। 

वरिष्ठ नागरिक

इस बजट से अगर किसी को खुशी मिली है, तो वह वरिष्ठ नागरिक हैं। उनकी काफी अरसे से यह मांग रही है कि ब्याज दरों में कटौती के दौर में उनकी आमदनी को बचाया जाए, क्योंकि वरिष्ठ नागरिक अपना अधिकांश फंड रिटर्न सेविंग्स स्कीम में जमा करते हैं। उन्हें नियमित मेडिकल जांच के लिए पैसे खर्च करने पड़ते हैं और ऐसे में इस तरह के मेडिकल खर्च के लिए उन्हें कर में छूट की जरूरत थी। बजट में कुछ हद तक इन उम्मीदों को पूरा किया गया है।

प्रधानमंत्री व्यय वंदना योजना में निवेशः प्रधानमंत्री व्यय वंदना योजना (पीएमवीवीवाई) में निवेश की सीमा 7.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये तक कर दी गई है। इस योजना के तहत निवेश पर आठ प्रतिशत का रिटर्न मिलता है। इसलिए, वरिष्ठ नागरिक इसमें अधिक निवेश कर उच्च ब्याज दर पर लाभ हासिल कर सकते हैं।

स्वास्थ्य बीमा और चिकित्सा खर्च (धारा 80डी) वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा या प्रीवेंटिव हेल्थ चेकअप या मेडिकल खर्च पर प्रीमियम भुगतान में कटौती सीमा को 30 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया गया है। संबंधित वरिष्ठ नागरिक के पास मेडिकल इंश्योरेंस नहीं होने पर ही इलाज का खर्च इसके दायरे में आएगा। फिलहाल, 80 वर्ष और उससे अधिक की उम्र वाले वरिष्ठ नागरिक के पास अगर कोई मेडिकल इंश्योंरेस नहीं है तो वही मेडिकल खर्च पर डिडक्शन के योग्य माने जाते हैं। यह एक अच्छी पहल है और इससे उन वरिष्ठ नागिरकों को मदद मिलेगी जिनके पास मेडिकल इंश्योरेंस नहीं है। बाकियों को यह सोचना होगा कि बड़े मेडिकल खर्च से बचने के लिए इंश्योरेंस लेना चाहिए या मेडिकल खर्च पर डिडक्शन का फायदा लेना चाहिए।

इंश्योरेंस कवर की शर्तों को खत्म करना ज्यादा अच्छा होता, क्योंकि आज भविष्य के मेडिकल खर्च से बचने के लिए मेडिकल इंश्योरेंस की ज्यादा जरूरत है। दरअसल, उन्हें रोज होने वाले मेडिकल खर्च जैसे जांच, फिजियोथेरेपी आदि के लिए अतिरिक्त डिडक्शन देने की जरूरत थी।

मेडिकल इलाज के लिए डिडक्शनः फिलहाल वरिष्ठ नागरिकों को कुछ खास बीमारियों (न्यूरोलॉजिकल बीमारी, हीमाटोलॉजिकल डिसऑर्डर आदि) के इलाज के लिए 60 हजार रुपये (अधिक बुजुर्ग के लिए 80 हजार रुपये) तक डिडक्शन की सुविधा उपलब्ध है। वह भी खास परिस्थितियों में। वित्त मंत्री ने वरिष्ठ और अधिक बुजुर्ग करदाता के लिए इसकी सीमा एक लाख रुपये तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है।

डिपॉजिट से ब्याज पर डिडक्शनः बजट में फिक्स्ड डिपॉजिट, रेकरिंग डिपॉजिट और सेविंग बैंक अकाउंट से वरिष्ठ नागरिकों के अर्जित ब्याज पर 50 हजार रुपये के डिडक्शन को लागू किया गया है। फिलहाल, वरिष्ठ नागरिकों सहित सभी करदाताओं के लिए डिडक्शन राशि 10 हजार रुपये तक है। बजट में इस नए प्रस्ताव से विभिन्न आय समूह के तहत आने वाले वरिष्ठ नागरिकों के कर में अधिक बचत होगी। सरलीकरण और प्रक्रियात्मक बदलावः पहले मेट्रो शहरों में ई-मूल्यांकन को परखा गया और उसके बाद इसका 102 शहरों में विस्तार किया गया था। इस साल बजट में पूरे देश में ई-मूल्यांकन को लागू करने का प्रस्ताव रखा गया है। एक नई स्कीम अधिसूचित करने के लिए यह प्रस्ताव लाया गया है। इससे कर अधिकारियों का काम आसान होगा, क्योंकि कई बार कर दाता खुद टैक्स ऑफिस जाने से डरता है। इसके अलावा, कर अधिकारी रिटर्न्ड आय पर किसी तरह की कोई एडजस्टमेंट नहीं कर पाएंगे, जो कि वे संक्षिप्त विवरण के मूल्यांकन के दौरान टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट (फॉर्म26एएस) या टैक्स विदहोल्डिंग सर्टिफिकेट (फॉर्म 16/16ए) के आधार पर करते थे। यह वित्त वर्ष 2017-18 से लागू होगा और इससे करदाताओं को अनावश्यक संशोधन याचिका दाखिल करने से मुक्ति मिलेगी।

नेशनल पेंशन स्कीम से कर मुक्त विड्रॉलः एनपीएस एकाउंट को बंद कराने या इस तरह की गतिविधि के लिए नॉन-एम्प्लॉइ सब्सक्राइबर को भुगतान की जाने वाली कुल राशि पर छूट की सीमा 40 फीसदी तक बढ़ा दी गई है। पहले यह छूट सिर्फ एम्प्लॉइ सब्सक्राइबर को ही मिलती थी। यह एक स्वागत योग्य कदम है। हालांकि, बजट में नॉन-एम्प्लॉइ सब्सक्राइबर के लिए आंशिक विड्रॉल पर इस तरह की छूट नहीं दी गई है। यह छूट अभी सिर्फ एम्प्लॉइ सब्सक्राइबर को मिली हुई है। इस पर विचार करने की आवश्यकता थी।

धारा 54ईसी के तहत भूमि या बिल्डिंग या दोनों की बिक्री पर छूट की सीमाः अगर कोई बॉन्ड संपत्ति की बिक्री के छह महीने के अंदर खरीदा जाता है तो धारा 54ईसी के तहत उस संपत्ति की बिक्री पर एलटीसीजी (लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन) से छूट का प्रावधान है। इस पर भी 50 लाख रुपये सालाना की सीमा निर्धारित है। यह प्रस्ताव सिर्फ भूमि या बिल्डिंग या दोनों की बिक्री पर छूट की सीमा तय करने के लिए लाया गया है। इसके अलावा, संबंधित बॉन्ड का होल्डिंग पीरियड भी तीन साल से बढ़ाकर पांच साल करने का प्रस्ताव है।

अचल संपत्ति से पूंजी लाभ पर करः फिलहाल, अचल संपत्‍ति के लेन-देन के संबंध में पूंजीगत लाभ (धारा 50सी), कारोबारी मुनाफा (धारा 43सीए) और अन्‍य स्रोतों (धारा 56) से होने वाली आय पर कर लगाते समय अचल संपत्ति के लेनदेन या स्टैंप ड्यूटी, जो भी अधिक हो, पर विचार किया जाता है। इससे कर में अंतर आता है, जो क्रेता और विक्रेता की आय मानी जाती है। वित्‍त मंत्री ने यह प्रस्‍तावित किया है कि उन मामलों में कोई समायोजन नहीं किया जाएगा, जहां स्टांप ड्यूटी का मूल्‍य कुल राशि के पांच फीसदी से अधिक न हो। इससे असली लेन-देन को आसान बनाने और छोटे-छोटे विवाद पर अनावश्यक मुकदमों से मुक्ति में मदद मिलेगी।

 

कुल मिलाकर कहें, बजट में एक तरफ वरिष्ठ नागरिकों का अच्छी तरह ख्याल रखा गया है तो दूसरी तरफ वेतनभोगी वर्ग इस बजट से खुश नहीं हो सकता है। इससे लगता है कि आयकर के लिए कर का दायरा बढ़ाया गया है और जीएसटी से वेतनभोगी वर्ग को यह विश्वास नहीं हो रहा कि इससे उसे कर में कुछ राहत मिली है। हालांकि, वित्त मंत्री ने यह माना कि 1.89 करोड़ करदाताओं ने औसतन 76,306 रुपये कर दिया। बिजनेसमैन की संख्या भी वेतनभोगी वर्ग के बराबर ही है और उन्होंने औसतन 25,753 रुपये कर दिया। कर अधिकारी कर-संग्रह में सुधार के लिए और अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे। सरकार ने इस बजट से एक बड़ा संदेश यह दिया है कि वह किसानों और समाज के गरीब तबके को लेकर संवेदनशील है।

संभवतः इसकी आवश्यकता भी थी। अब यह भविष्य में ही पता चलेगा कि सरकार कैसे अपनी बातों पर खरा उतरती है। छोटे-छोटे प्रयासों से ही बड़े मकसद को हासिल किया जाता है। अगर सरकार किसानों और गरीबों के लिए घोषित प्रस्तावों को लागू करने में सफल रहती है तो यह एक नए और अच्छे भारत के निर्माण में बड़ा कदम होगा!

बुजुर्गों को फायदा

-हेल्थ इंश्योरेंस/मेडिकल खर्च के लिए डिडक्शन 30 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया गया

-फिक्स्ड या टर्म डिपॉजिट के लिए  50 हजार रुपये के डिडक्शन का प्रस्ताव लाया गया

-धारा 80डीडीबी के तहत कुछ खास बीमारियों के लिए डिडक्शन एक लाख रुपये तक बढ़ाया गया

-प्रधानमंत्री व्यय वंदना योजना के लिए निवेश 15 लाख रुपये तक किया गया

 

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