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खेत में उगता है सिंघाड़ा

तालाब या नदी-नालों में नहीं खेत में उगाने की अनोखी विधि ईजाद की
सेठपाल सिंहः मिश्रित खेती से अपनी और आसपास के किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए ‘मेरा स्वराज सर्वोत्तम किसान’ अवार्ड से सम्मानित किया गया

कुछ हटकर करने का जुनून और सीखने का जज्बा हो तो खेती भी मुनाफे का धंधा है। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के गांव नंदीफिरोजपुर के किसान सेठपाल इसकी मिसाल हैं। तालाब या नदी-नालों के बजाय खेत में सिंघाड़ा उगा कर वे अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं। आसपास के गांव के लोग उन्हें सिंघाड़ा वाले के नाम से पुकारते हैं। खेत में एक ही समय में चार फसलों की बुवाई का अनूठा प्रयोग कर भी वे खुद के साथ अन्य किसानों की जिंदगी बदल रहे हैं।

तालाब से कुछ लोगों को सिंघाड़े की बेल निकालते देख सेठपाल के दिमाग में इसकी खेती का विचार आया। तीन बीघा खेत को समतल किया। पानी रोकने के लिए खेत की मेड़ को मजबूत किया। और खेत में एक फुट पानी में सिंघाड़ा की बेल लगा दी। कुछ समय बाद जब खेत में बेलों पर सिंघाड़ा लगा तो आसपास के गांव के किसान इसे देखने पहुंचने लगे। खेत में पैदा सिंघाड़े की क्वालिटी इतनी अच्छी थी कि सेठपाल को अन्य फसलों से ज्यादा दाम मिले। तीन बीघे की खेती से करीब एक लाख रुपये की आमदनी हुई। इसके बाद उन्होंने हर साल सिंघाड़ा की खेती शुरू कर दी। पिछले साल आठ बीघा में सिंघाड़ा की खेती की और करीब 4.50 लाख रुपये कमाए।

सिंघाड़ा की खेती में लागत भी अन्य फसलों की तुलना में कम आती है। केवल तुड़ाई का खर्च ही आता है। अब सेठपाल सिंघाड़ा का बीज भी तैयार करते हैं और आसपास के किसानों को इसकी खेती और बीज तैयार करने के तरीकों के बारे में जानकारी देते हैं। सेठपाल की देखादेखी सिंघाड़ा की खेती शुरू करने वाले आसपास के अन्य किसान भी आज अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

शुरुआत में सेठपाल भी अन्य किसानों की तरह गेहूं, धान और गन्ने की ही बुवाई करते थे। बाद में कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर उन्होंने मिश्रित खेती शुरू की। शुरुआत में गन्ने की फसल के साथ हल्दी की बुवाई कर दी। इसका फायदा यह हुआ कि हल्दी के कारण गन्ने की फसल में कोई रोग नहीं लगा। बाद में गन्ने के खेत में मसूर, चना और सरसों की बुवाई करने लगे। मसूर, चना और सरसों की खेती से लागत निकल जाती है, वहीं गन्ने की फसल से मुनाफा होता है। मसूर और चना के जो पत्ते खेत में गिर जाते हैं वे खाद का काम करते हैं। इस तरह उनके इस अनूठे प्रयोग का दोहरा फायदा मिलता है। खेतों में इस्तेमाल के लिए सेठपाल खुद वर्मी कंपोस्‍ट का उत्पादन करते हैं। खेती को फायदे का सौदा बनाने के लिए वे मिश्रित खेती पर जोर देते हैं। उन्होंने आउटलुक को बताया, “मुनाफे के लिए किसानों को सब्जी की मिश्रित खेती करनी चाहिए। गन्ने के साथ सब्जी की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। यदि किसान ग्रुप बनाकर सब्जी का उत्पादन और मार्केटिंग करें तो उन्हें अपनी उपज का सही दाम मिल सकता है।”

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