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खेत और बाजार की खाई पाटी

देश के सबसे बड़े अंगूर निर्यातक किसान समूह बनने की कहानी
सह्याद्रि फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनीः महाराष्ट्र के एक हजार से ज्यादा अंगूर उत्पादकों के समूह को ‘कृषि उत्पादों की मार्केटिंग में नवाचार’ के लिए अवार्ड प्रदान किया गया

सहकारिता के क्षेत्र में अमूल की कामयाबी से सीख लेते हुए कई किसानों ने इस राह पर आगे बढ़ने का प्रयास किया है। सहकारिता के नए रूप यानी फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी के जरिए कृषि उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग में अपने इनोवेशन के तहत कामयाबी हासिल की है। इन्हीं में से एक है सह्याद्रि फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड।

साल 2011-12 में सह्याद्रि फार्मर्स ने महाराष्ट्र में नासिक के एक छोटे से गांव से अपनी यात्रा शुरू की थी। कुछ ही वर्षों के भीतर सह्याद्रि फार्मर्स ने देश ही नहीं विदेश में भी अपने उत्पादों की पहचान बनाने में सफलता पा ली। इस फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी का नेतृत्व कर रहे हैं विलास विष्णु शिंदे। यह कंपनी किसान को बाजार से जोड़ने वाली एक चेन की तरह काम करती है। विलास बताते हैं कि किसानों का पूरा जोर उत्पादन बढ़ाने पर रहता है, जबकि उपज के बाद भंडारण से लेकर इसकी प्रोसेसिंग और मार्केटिंग के लिए वह दूसरों पर निर्भर है। इसलिए उसकी उपज का पूरा भाव भी नहीं मिल पाता। इस समस्या को समझते हुए हमने उत्पादन से लेकर मार्केटिंग तक समूची वैल्यू चेन पर नियंत्रण का मॉडल तैयार किया।

शुरुआत में यह कंपनी सिर्फ अंगूर का निर्यात करती थी क्योंकि इससे जुड़े ज्यादातर किसान अंगूर की खेती करते थे। लेकिन किसी एक उपज की खेती पर निर्भर रहने के बजाय अब दूसरी फल-सब्जियों में भी हाथ आजमा रहे हैं। सह्याद्रि कृषि उत्पादन और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किसानों को तकनीकी और वित्तीय सहायता मुहैया कराती है। इसने किसानों के साथ मिलकर फसलों के रख-रखाव, भंडारण और मार्केटिंग का ढांचा तैयार किया है जिसकी मदद से इनके उत्पाद देश-विदेश के बाजारों में पहुंचते हैं और उपज की बेहतर कीमत पाने में मदद मिली है। इस प्रयोग ने खेती को लाभकारी कारोबार में बदल दिया है।

सह्याद्रि की कामयाबी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साल 2015 से सह्याद्रि देश के सबसे बड़े अंगूर निर्यातकों में शुमार है। एक हजार से ज्यादा अंगूर किसान इससे जुड़े हुए हैं। दुनिया के अंगूर कारोबार में आज सह्याद्रि एक जाना-पहचाना नाम है।

2011-12 में सह्याद्रि फार्मर्स ने अपनी यात्रा शुरू की। विलास विष्‍णु शिंदे के नेतृत्व में अल्प यात्रा में यह किसानों की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाने में सफल रहा है। यह एक चेन की तरह काम करता है जो किसान को बाजार से जोड़ता है। उत्पादन और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किसानों को तकनीकी सहायता, पैसे सहित अन्य जरूरी चीजें मुहैया कराता है। फसलों के रख-रखाव, वितरण और मार्केटिंग का ढांचा तैयार करता है। उत्पादों को देश-विदेश के बाजारों में पहुंचाता है ताकि किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत मिल सके।

अपने विस्तार और भावी योजनाओं को अमली जामा पहनाने के लिए सह्याद्रि ने डिंडोरी के मोहाडी गांव में 90 एकड़ के अपने फार्म में बड़े पैमाने पर निवेश किया है। यहां रोजाना करीब 800 टन फल और सब्जियों को देश-विदेश के बाजारों में भेजने की क्षमता है। शिंदे बताते हैं, “हमारी कोशिश है कि सह्याद्रि से जुड़े एक हजार से ज्यादा किसानों को हम खेती की उत्पादकता बढ़ाने, लागत घटाने, वित्तीय सहायता, कटाई और कटाई उपरांत प्रबंधन से लेकर प्रोसेसिंग और मार्केटिंग में मदद करें। अंगूर की कामयाबी को हम अब दूसरी फसलों में भी दोहराना चाहते हैं। इसके लिए 10 हजार 500 एकड़ जमीन पर अंगूर के अलावा अन्य फसलों के 55 सौ से ज्यादा किसानों के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया है। इरादा है कि अगले दो साल में नासिक के आसपास के जिलों में 50 हजार एकड़ जमीन पर खेती करने वाले 25 हजार किसानों को साथ जोड़कर इस कामयाबी को और विस्तार दिया जाए।”

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