Advertisement

केक में भी है कुछ खास

पेस्ट्री बनाना हो सकता है एक बेहतरीन वैकल्पिक कॅरिअर
दिल्ली में पेस्ट्री की दुकान 'मियाम’ में बानी नंदा

नई दिल्ली में भीड़भाड़ वाले हौज खास बाजार के बाहर एक शांत कोने में स्थित पेस्ट्री की दुकान मियाम नाम से खासी मशहूर है। युवा शेफ 25 वर्षीय बानी नंदा ने यह दुकान 2015 में शुरू की थी। बानी का यह काम न केवल उनकी कामयाबी का प्रतीक है बल्कि देश की शहरी संस्कृति में बदलती खाद्य संस्कृति को भी बताता है कि कैसे बानी की तरह अन्य युवा पेस्ट्री शेफ जैसा काम कर सकते हैं।

भारत के खाद्य उद्योग में भोजन व उसके बनाने वालों की सोच में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। एक दशक पहले तक ज्यादातर शेफ पांच सितारा होटलों में काम करते थे लेकिन नई दुकानों व रेस्तरां की बढ़ती संख्या के कारण खाना बनाने की कला में माहिर लोगों की मांग भी बढ़ गई है और युवा इस चीज को पकड़ रहे हैं। भोजन के अन्य पहलुओं के अलावा भारतीय महानगरों में अच्छी पेस्ट्री बनाने की जरूरत समझी जाती रही है। यह जानकर आपको अच्छा लगेगा कि कुछ पेस्ट्री बनाने वाले स्कूल शेफ बनने की दिशा में युवाओं को इस कला का प्रशिक्षण दे रहे हैं।

बानी की शिक्षा को देखें तो वह भी काफी दिलचस्प है। उन्होंने भौत‌िक विज्ञान के साथ पेस्ट्री बनाने में भी डिग्री हासिल की है। जब वह दिल्ली विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान की पढ़ाई कर रहीं थी तभी उनका पेस्ट्री से लगाव शुरू हो गया। बानी कहती हैं, ''जब आप भौतिक विज्ञान में बीएससी कर रहे हैं, तो इंटर्नशिप करना मुश्किल होता है क्योंकि ज्यादातर संस्थान अनुभव मांगते हैं। जब गर्मियों की छुट्टियों में मेरे पास करने के लिए कुछ नहीं था तो ओबेराय होटल में इंटर्नशिप की और पेस्ट्री बनाने का काम सीखा।’’ वह याद करती हैं, ''यही वह पल था जब मुझे पाक कला के साथ प्यार हो गया।’’

इंटर्नशिप के तुरंत बाद, बानी कॉलेज छोड़ना चाहती थीं और पेस्ट्री के प्रति अपने प्यार को पूर्णकालिक रूप से पेशे के तौर पर लाना चाहती थीं। लेकिन उनके मां-बाप को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। वह कहती हैं, ''मेरे माता-पिता अडिग थे कि मैं अपनी भौतिक विज्ञान की डिग्री पूरी करूं। इससे भी ज्यादा, उन्होंने कहा कि अगर मैं पूर्णकालिक रूप से पेस्ट्री का काम करना चाहती हूं तो इसके लिए औपचारिक तौर पर प्रशिक्षण हासिल करूं।’’ पिछले कुछ सालों में भारत में पेस्ट्री बनाना प्रमुख पेशे के तौर पर उभरा है। जिस तरह से ऑर्डर पर केक बनाने वाली मॉम एंड पॉप स्टोर्स बेकरी की ऑनलाइन दुकान चल रही या जिस तरह बानी की पेस्ट्री की दुकान को सफलता मिल रही है उससे यह साफ है कि बेकरी का पेशा भारत के महानगरों में तेजी से उभर रहा है।

तो पेस्ट्री शेफ होने के लिए क्या जरूरतें हैं? बानी के मुताबिक, इस पेशे में कोई भी दो तरीकों से जा सकता है। आप अलग-अलग शेफ के तहत एर्पेंटिसशिप करने से शुरू कर सकते हैं और अनुभव के माध्यम से सीख सकते हैं या पेस्ट्री बनाने में डिग्री के लिए पेस्ट्री स्कूलों में औपचारिक प्रशिक्षण ले सकते हैं। हालांकि पहला तरीका थोड़ा मुश्किल हो सकता है। बानी का मानना है, ''एक शेफ के तहत आप एक एर्पेंटिसशिप करेंगे तो आपको वह हकीकत में सिखाएगा तो जरूर लेकिन इसके लिए उद्योग में कनेक्शन की जरूरत होगी जो कि सभी के लिए आसान नहीं है। सबसे अच्छा तरीका यही है कि स्कूल में पढ़ाई करें और फिर प्रैक्ट‌िस करें।’’ ऐसे कई स्कूल हैं जो विषय पर संपूर्ण पाठ्यक्रम ऑफर करते हैं। वह कहती हैं, ''लेनोट्रे स्कूल और पेरिस में फेरांती जैसे तो उत्कृष्ट हैं।’’  पेरिस में ले कॉर्डन ब्लू, बानी के अल्मा मेटर, भी इस पेशे में सर्वश्रेष्ठ स्कूलों में से एक है। गुरुग्राम में पेस्ट्री अकेडमी ऑफ इंडिया और बेंगलूरू में लावेन अकादमी भी हैं। दोनों में देश के प्रैक्ट‌िशिंग शेफ प्रशिक्षण देते हैं।

इन पाठ्यक्रमों के लिए फीस थोड़ी ज्यादा है। यह लाखों में है, हालांकि कुछ छात्रवृत्त‌ि कार्यक्रम भी उपलब्ध हैं। ज्यादातर शेफ, जो पहली बार अपनी दुकान खोलने का फैसला करते हैं, उन्हें अपने उत्पाद के लिए बाजार भी बनाना होता है। बानी ने कहा, ''मैंने एक मित्र के साथ मिलकर अपना बाजार बनाया, मैंने वहां पार्टी की और इसमें केक खिलाया जिसे लोगों ने पसंद किया और फिर अपने दोस्तों को इस केक को लेने की सलाह दी। आपके लिए यह अहम है कि आपका उपभोक्ता कौन है और कैसे आपको उस तक रास्ता बनाना है। इसके लिए आपको लगातार काम करना होगा। इसमें सोशल मीडिया भी काफी मदद करता है। आपके लिए यह बेहतर तरीका है कि आप कैसे अपने उपभोक्ताओं तक पहुंचें और कैसे वह आपको प्रतिक्रिया दें। यही बेहद महत्वपूर्ण है।’’

एक पेस्ट्री शेफ होने के नाते जरूरी नहीं कि आपको हमेशा ही अच्छा लगे। बानी कहती हैं, ''कई बार मेरा काम 15 घंटों तक चलता है। अगर कोई इस पेशे में काम करना चाहता है तो उसके लिए संघर्ष व कड़ी मेहनत जरूरी है।’’ वह हंसते हुए कहती हैं, ''मुझे याद नहीं है कि आखिरी बार कब मैंने दीवाली या नया साल जैसे त्योहार का आनंद लिया था। इस तरह के त्योहार हमारे लिए सबसे व्यस्त समय होते हैं।’’ 

Advertisement
Advertisement
Advertisement