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अपनों को मलाई बांटने में फंसे गृहमंत्री

पैकरा ने छत्तीसगढ़ का गृहमंत्री बनते ही दोनों हाथों से स्वेच्छानुदान की सरकारी रकम को अपने खासमखास लोगों के बीच बांटा, हाईकोर्ट ने जांच का आदेश दिया
मुख्यमंत्री रमन स‌िंह और अन्य नेताओं के साथ पैकरा (भगवा गमछे में)

छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा आय से अधिक संपति और स्वेच्छा अनुदान देने के मामले में उलझ गए हैं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मामले की जांच राज्य के लोक आयोग से कराने के निर्देश दिए हैं। लोक आयोग की जांच में क्या खुलासा होता है, यह तो बाद में पता चलेगा लेकिन फिलहाल पैकरा पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। मुख्यमंत्री रमन सिंह के 13 वर्ष के कार्यकाल मेंपहली बार हाईकोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं। इसके बाद अब सबकी निगाहें रमन सिंह पर हैं कि वे पैकरा के खिलाफ क्या कदम उठाते हैं? फिलहाल मामले को लोक आयोग में भेजे जाने के बाद राजनीति गरमाई हुई है, क्योंकि भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री रमन सिंह जीरो टॉलरेंस नीति का पालन कर रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव ने गृह मंत्री को कैबिनेट से बाहर करने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। यह मामला राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा के लिए गले की हड्डी बनता दिख रह रहा है। पैकरा मुख्यमंत्री रमन सिंह के चहेते माने जाते हैं और पार्टी में भी उनका खास रुतबा है।

पैकरा ने छत्तीसगढ़ का गृहमंत्री बनते ही दोनों हाथों से स्वेच्छानुदान की सरकारी रकम को बांटा लेकिन जरूरतमंदों को नहीं, बल्कि अपने ही खासमखास लोगों को दी। गृहमंत्री ने 2014 में 161 लोगों को स्वेच्छानुदान मद से साढ़े 17 लाख रुपये बांटे थे। बाकायदा उन लोगों को ये रकम दी गई जो कहीं से भी दूर-दूर तक इसके पात्र नहीं थे। आरटीआई से मिली जानकारी से खुलासा हुआ कि राशि प्राप्त करने वाले अधिकांश समृद्ध लोग थे। उन्होंने इस राशि का क्या उपयोग किया, इसकी कोई जानकारी दर्ज नहीं थी। जबकि नियमानुसार स्वेच्छानुदान मद से बीपीएल या जरूरतमंदों को ही राशि दी जाती है। स्वेच्छानुदान पाने वालों में कई गृहमंत्री के रिश्तेदार तो कई बीजेपी कार्यकर्ता और समाज में प्रभाव रखने वाले लोग बताए जाते हैं।

इस मामले में गृहमंत्री की शिकायत भी हुई लेकिन उनके प्रभाव के चलते जांच नहीं हुई। उलटे शिकायतकर्ता के खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया। शिकायतकर्ता दिनेश्वर प्रसाद सोनी अपनी सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट गए जहां उन्हें राहत मिली। तब सोनी जनहित याचिका के जरिए इस मामले को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट लेकर गए। उन्होंने आरटीआई से मिले तमाम दस्तावेज भी अदालत को सौंपे। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 11 अप्रैल को मामले की सुनवाई के बाद प्रकरण को लोक आयोग को भेज दिया है। सरकारी दस्तावेजों की जांच के बाद लोक आयोग फैसला देगा, लेकिन फैसला आने से पहले मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस समेत कई संगठनों ने रामसेवक पैकरा के इस्तीफे के लिए सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। पैकरा का कहना है कि उन्हें बदनाम करने की नियत से आय से अधिक संपति का आरोप लगाया जा रहा है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को 24 ऐसी संपति का ब्योरा दिया है, जिनकी कीमत करोड़ों में है। स्वेच्छानुदान के मामले में उनका कहना है कि लोगों के आवेदन को वे कलेक्टर के पास भेज देते हैं। दूसरी ओर शिकायतकर्ता का कहना है कि स्वेच्छानुदान के आवेदन पर मंत्री ही राशि मंजूर करते हैं। इसके बाद लिस्ट बनती है जो सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग को भेजी जाती है। वहां से कलेक्टरों को बजट मिलता है इसलिए जो कुछ भी हुआ है मंत्री की जानकारी में हुआ है। प्रदेश कांग्रेस के नेता प्रभात मेघावाले ने भी कहा है कि एक ही दिन में काटे गए 161 स्वेच्छानुदान के चेक किसी गरीब या जरूरतमंद नहीं बल्कि भाजपा के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को दिए गए हैं। उनके मुताबिक हाईकोर्ट में प्रथम दृष्टि में ही गड़बड़ी की पुष्टि हुई है। इसलिए मामले को तकनीकी आधार पर लोक आयोग भेजा गया है।

छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाके सरगुजा क्षेत्र के रहने वाले गृह मंत्री पैकरा, मुख्यमंत्री रमन सिंह के पहले कार्यकाल में संसदीय सचिव थे। वे 2008 का विधानसभा चुनाव हार गए। तब उन्हें प्रदेश बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया। प्रदेश अध्यक्ष रहते उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीते। सरगुजा इलाके के आठ विधानसभा क्षेत्र में से एक सीट पर ही बीजेपी 2013 में जीत दर्ज कर पाई थी। वह सीट पैकरा ने जीती थी। जीत के बाद पैकरा को गृह जैसे संवेदनशील विभाग के साथ लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी बिभाग का मंत्री बनाया गया। मुख्यमंत्री के सामने संकट यह भी है कि सरगुजा इलाके के इकलौते बीजेपी विधायक को कैबिनेट से कैसे हटाएं। कहा जा रहा है कि उनके पद पर बने रहने से जांच अधिकारी और गवाह दोनों प्रभावित हो सकते हैं।

मामले की जांच हाईकोर्ट के निर्देश पर हो रही है। कहा तो यह भी जा रहा है कि जब तक जांच चल रही है तब तक मुख्यमंत्री रमन सिंह ने उन्हें खुद नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की सलाह दी है। नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव ने मुख्यमंत्री रमन सिंह से गृहमंत्री को कैबिनेट से हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि जांच में निर्दोष साबित हों तो उन्हें फिर मंत्री बनाया जा सकता है। 2018 में राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में कहा जा रहा है कि जांच को लंबा खींचा जा सकता है। शिकायतकर्ता दिनेश्वर प्रसाद सोनी का कहना है कि छह महीने में जांच नहीं हुई तो वे फिर हाईकोर्ट जाएंगे। नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव एक माह में जांच करने की मांग कर रहे हैं। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री रमन सिंह क्या कदम उठाते हैं?

जांच होने तक पैकरा को हटाएं

हाईकोर्ट के फैसले के बाद गृहमंत्री रामसेवक पैकरा को कैबिनेट से हटा दिया जाना चाहिए। पैकरा को मंत्रिमंडल से हटाने के लिए मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। मेरा मानना है कि पैकरा के मंत्रिमंडल में रहते मामले की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है। जांच एक महीने के भीतर करवा लेना चाहिए, जांच में पैकरा पाक-साफ हो जाएं, तो उन्हें फिर मंत्री बना लें। आय से अधिक संपति अर्जित करने व स्वेच्छा अनुदान की स्वीकृति में गड़बड़ी के आरोप में हाईकोर्ट द्वारा लोक आयोग से जांच की सिफारिश करना गंभीर मामला है। मंत्री जी मानते हैं कि स्वेच्छा अनुदान बांटने में कलेक्टर ने गड़बड़ी की है तो उसके खिलाफ भी जांच होनी चाहिए।

टी.एस सिंहदेव, नेता प्रतिपक्ष, त्तीसगढ़ विधानसभा

मुझे बदनाम करने की साजिश

मैं हर तरह की जांच के लिए तैयार हूं। मुझे अभी हाईकोर्ट के आदेश की प्रति नहीं मिली है, इसलिए इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा। जहां तक स्वेच्छा अनुदान की स्वीकृति का मामला है, सभी मंत्रियों को अधिकार होता है। स्वेच्छा अनुदान के लिए आवेदन मिलते हैं, उसे स्वीकृत कर कलेक्टर को भेज देते हैं, मंत्री सीधे चेक नहीं बांटते। आय से अधिक संपति के आरोप में जिन 24 संपतियों का ब्योरा दिया गया है, उसका उल्लेख मैंने चुनाव नामांकन पत्र दाखिले के समय किया है। शिकायतकर्ता आरटीआई कार्यकर्ता हैं, उनका काम ब्लैकमेल करना है। मेरी छवि को खराब करने और मुझे बदनाम करने के लिए आय से अधिक संपति और भ्रष्टाचार का आरोप मेरे पर लगाया गया है। कोर्ट से आदेश की प्रति मिलने के बाद मैं भी हाईकोर्ट जाऊंगा।

रामसेवक पैकरा, गृहमंत्री, त्तीसगढ़

जरूरत हुई तो फिर कोर्ट जाऊंगा

गृहमंत्री रामसेवक पैकरा के खिलाफ लोक आयोग ने छह महीने में जांच पूरी नहीं की तो फिर हाईकोर्ट जाएंगे। गृहमंत्री ने अपने रिश्तेदारों, बीजेपी के नेताओं और संपन्न लोगों को स्वेच्छा अनुदान दे दिया। इसके अलावा इलाज और अन्य काम के लिए दिए गए स्वेच्छा अनुदान का पालन प्रतिवेदन भी नहीं है। इस मामले में एफआईआर दर्ज कराएंगे। आय से अधिक 24 संपति की सूची अभी दी गई है। यह सूची और लंबी हो सकती है।

दिनेश्वर प्रसाद सोनी, शिकायतकर्ता

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