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लेडीज क्‍लब बनाने वाले स्वयंसेवक राज्यपाल

राजभवन की गरिमा गिराने के आरोपों में आखिरकार गई कुर्सी
वी. षणमुगनाथन

भारत की राजनीति के  इतिहास और पार्टी विद डिफरेंस का नारा देने वाली भाजपा की सत्ता के दौरान शायद यह पहला मौका होगा, जब किसी राज्यपाल को यौन उत्पीडऩ के आरोप में इस्तीफा देना पड़ा हो। यौन उत्पीडऩ के आरोप मेंमेघालय के राज्यपाल वी. षणमुगनाथन ने 27 जनवरी को इस्तीफा दे दिया। उन पर राजभवन की मर्यादा के साथ समझौता करने का आरोप है। राजभवन के अधिकारी से लेकर चपरासी तक करीब 80 स्टाफ ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि राज्यपाल ने राजभवन की गरिमा गिरा दी है। राजभवन के स्टाफ के अनुसार षणमुगनाथन के कार्यकाल में राजभवन में युवतियों को बेरोक-टोक आने-जाने की अनुमति दे दी गई थी। षणमुगनाथन पर यह भी आरोप लगा कि छोटे पदों पर होने वाली नियुक्तियों के साक्षात्कार में भी वे खुद मौजूद रहे और इसके लिए सिर्फ युवतियों को बुलाया गया था। ऐसी ही एक युवती ने राज्यपाल पर आरोप लगाया है कि उन्होंने उसे पकडऩे और चूमने की कोशिश की। नाम नहीं छापते हुए स्थानीय अखबार हाईलैंड पोस्ट ने इस युवती की बात प्रकाशित की है। हालांकि इस युवती का अंतिम चयन नहीं किया गया था। षणमुगनाथन की सफाई है कि चयन नहीं होने के कारण इस युवती ने ये आरोप लगाया है। पूर्व राज्यपाल पर यह आरोप भी है कि उन्होंने राजभवन में सिर्फ युवतियों को रात की पाली में काम करने का आदेश दिया, जिनमें एक नर्स और दो जनसंपर्क अधिकारी शामिल हैं। लेकिन उनके खिलाफ किसी ने यौन उत्पीडऩ का मामला दर्ज नहीं कराया है।

राज्यपाल ने इन आरोपों से इनकार करते हुए नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया। जब शिलांग में राजभवन में उनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहा था, वे ईटानगर राजभवन में थे, क्‍योंकि अरुणाचल प्रदेश का अतिरिक्‍त प्रभार भी उनके पास था। वहीं से उन्होंने अपना इस्तीफा भेज दिया और गुवाहाटी के रास्ते नई दिल्ली रवाना हो गए। इस प्रकरण के बाद वे शिलांग नहीं लौटे, बल्कि अपना निजी सामान गुवाहाटी मंगा लिया।

षणमुगनाथन पर आरोपित यौन मामले को लेकर गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कुछ दिनों पहले शिलांग में कहा कि मेघालय के राज्यपाल को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था। उन्होंने माना कि पूर्व राज्यपाल के खिलाफ आरोपों की जांच करने के लिए दस्तावेजी सबूत कुछ भी नहीं है। उन्हें नैतिक आधार पर इस्तीफा देने के लिए कहा गया था। आरोपों की जांच कानूनी प्रक्रिया के हिसाब से चलेगी। हालांकि कांग्रेस ने इस मुद्दे को भाजपा के खिलाफ एक जोरदार मुद्दे के रूप में लपक लिया है। पार्टी प्रवक्‍ता टॉम वडक्‍कन ने मीडिया से कहा कि यह दिखाता है कि भाजपा के लोग महिलाओं के प्रति कितना सम्‍मान रखते हैं। उन्होंने कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा ऐसा किया जाना शर्मनाक है और ऐसे व्यक्ति को इस पद पर बैठाने के लिए केंद्र सरकार भी दोषी है।

दरअसल राजभवन में युवतियों की नियुक्ति के बाद से राजभवन के कर्मचारियों में रोष था। दो नागरिक संगठनों-सिविल सोसायटी वुमन आर्गेनाइजेशन और थमा यू रंगाली ने राज्यपाल के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाया और  राजभवन के सामने प्रदर्शन किया तथा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा। शिलांग में राजभवन कर्मियों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर राज्यपाल को हटाने और राजभवन की गरिमा बहाल करने के लिए उनके हस्तक्षेप की मांग की थी। कर्मियों ने आरोप लगाया था कि षणमुगनाथन ने राजभवन की गरिमा से गंभीर समझौता किया है और उन्होंने इसे 'युवतियों का क्‍लब’ बना दिया है। इस पत्र में लिखा गया है कि राजभवन एक ऐसा स्थान बन गया है, जहां राज्यपाल के प्रत्यक्ष आदेश से युवतियां अपनी मर्जी से आती-जाती हैं। कई की पहुंच सीधे उनके शयनकक्ष तक है। ये आरोप गंभीर थे क्‍योंकि इससे राजभवन की सुरक्षा पर भी खतरा पैदा हो गया था।

राज्यपाल के सचिव एच.एम. शगपल्यांग का कहना है कि राजभवन की दो महिला कर्मचारियों ने पहले भी राज्यपाल के आचरण की शिकायत की थी, लेकिन किसी ने लिखित शिकायत नहीं दी। उन्होंने महिला कर्मचारियों को यह हिदायत भी दी थी कि अगर राज्यपाल किसी महिला कर्मचारी को अकेले में बुलाएं तो वह न जाए, बल्कि दो के ग्रुप में जाएं। राज्यपाल के  विरुद्ध आंदोलन की अगुआई कर रही अंजला रंगद तथा तरुण भारतीय ने पूरे प्रकरण की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी को सौंपने की मांग की है।

षणमुगनाथन को लेकर उठे विवाद तथा उनके इस्तीफे के बाद केंद्र सरकार की भूमिका को मेघालय प्रदेश भाजपा ने सराहा है। प्रदेश भाजपा ने बयान जारी कर कहा है कि राज्यपाल पर जो आरोप लगे हैं इसकी स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए राज्यपाल के इस्तीफे का पार्टी स्वागत करती है, लेकिन इस पूरे प्रकरण पर जो रहस्य बना हुआ है उसका सामने आना जरूरी है।

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