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कांग्रेस की किलेबंदी मजबूत पर पेच कई

विपक्ष में टूट, तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद भी नहीं चढ़ पाई सिरे
भुना पाएंगे मौका? कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह व अन्य नेता

विरोधी खेमों में टूट और तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद सिरे नहीं चढ़ने से पंजाब का मैदान कांग्रेस के लिए आसान दिख रहा है। दो साल पहले राज्य की सत्ता में वापसी करने वाली कांग्रेस के हौसले स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों में जीत से भी बुलंद हैं। राज्य की सभी 13 लोकसभा सीटों पर 19 मई को वोट डाले जाएंगे।

पिछले आम चुनाव में राज्य की चार लोकसभा सीटें और विधानसभा चुनाव में 20 सीटें जीत कर मुख्य विपक्ष की भूमिका में आई आप के सियासी भविष्य पर स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों में करारी हार के बाद सवाल खड़े होने लगे हैं। वहीं, शिअद (बादल)-भाजपा गठबंधन भी अपनी मुश्किलों से पार नहीं पा सका है। आप से निलंबित पटियाला के सांसद धर्मवीर गांधी ने छह छोटे क्षेत्रीय दलों का पंजाब डेमोक्रेटिक एलायंस बनाया है। यह एलायंस सियासी समीकरणों को किस कदर प्रभावित करेगा, यह फिलहाल साफ नहीं है।

शिअद (बादल)-भाजपा गठबंधन को 2014 के आम चुनावों में भी पंजाब से मनमाफिक नतीजे नहीं मिले थे। मोदी लहर के बावजूद गठबंधन को छह सीटें मिली थीं और अमृतसर से केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को हार देखनी पड़ी थी। अब खडूर साहिब के सांसद रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा के शिअद (बादल) छोड़ने से गठबंधन की राह और मुश्किल दिख रही है। ब्रह्मपुरा ने पूर्व सांसद रत्न सिंह अजनाला और पूर्व मंत्री सेवा सिंह सेखवां के साथ मिलकर शिअद (टकसाली) बनाई है। इससे पंथक सियासत में शिअद (बादल) को झटका लगा है। 

ऐसे में ताज्जुब नहीं कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह राज्य की सभी लोकसभा सीट कांग्रेस की झोली में जाने का दावा कर रहे हैं। उन्होंने आउटलुक से कहा, “कमजोर विपक्ष के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है। पाकिस्तान पर एयरस्ट्राइक का राजनैतिक फायदा लेने की भाजपा की कोशिश कामयाब नहीं होगी।” शिअद (बादल)-भाजपा गठबंधन को धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी, बहबलकलां और कोटकपुरा गोलीकांड जैसे मुद्दों पर घेरने वाली कांगेस की नजर पंथक सियासत पर भी है। उसकी यह कोशिश कितनी कामयाब होती है, यह तो लोकसभा चुनाव के बाद होने वाले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के चुनाव से ही पता चलेगा। फिलहाल सवाल यह है कि विधानसभा चुनाव में 113 में से 77 सीटें जीतने जैसा प्रदर्शन कांग्रेस दोहरा पाएगी?

कांग्रेस अब तक विधानसभा चुनाव के दौरान किए वादे पूरे नहीं कर पाई है। अमरिंदर सिंह ने आउटलुक से कहा, “लोकसभा चुनाव के बाद बचे वादे पूरे किए जाएंगे।” इनमें खेत मजूदरों की दो लाख रुपये तक की कर्जमाफी और युवाओं को मुफ्त स्मार्ट फोन देना शामिल है। फिरोजपुर से शिअद (बादल) के सांसद शेर सिंह गुबाया के आने से भी कांग्रेस को मजबूती मिली है। आउटलुक से बातचीत में गुबाया ने कहा कि परिवारवाद की वजह से शिअद पंथक राजनीति से भटक चुका है। गुबाया के खिलाफ शिअद (बादल) के अध्यक्ष सुखबीर बादल अपनी पत्नी केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल को उतार सकते हैं। हरसिमरत की मौजूदा सीट बठिंडा से खुद सुखबीर के चुनाव लड़ने की अटकलें हैं। ऐसा हुआ तो सुखबीर को उनके चचेरे भाई मनप्रीत बादल कांग्रेस की तरफ से चुनौती देते नजर आ सकते हैं। सुखबीर से नाराजगी के कारण राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा भी पिछले छह महीने से पार्टी गतिविधियों से दूर हैं। मालवा में शिअद-भाजपा गठबंधन को यह भारी पड़ सकता है। वहीं, पंथक सियासत में माझा के टकसाली जरनैल ब्रह्मपुरा ने अपनी सीट पूर्व सेना प्रमुख जनरल जे.जे. सिंह को सौंप दी है। जे.जे. सिंह की टक्कर में शिअद (बादल) ने एसजीपीसी की पूर्व अध्यक्ष और पूर्व मंत्री बीबी जागीर कौर को मैदान में उतारा है। आनंदपुर साहिब सीट पर पेच फंसने के कारण आप और शिअद (टकसाली) के बीच गठबंधन नहीं हो पाया है। आप यहां नरिंदर सिंह शेरगिल को तो शिअद (टकसाली) विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर बीर देवेंद्र को मैदान में उतारने का ऐलान कर चुकी है। निवर्तमान सांसद प्रेम सिंह चंदुमाजरा इस सीट से शिअद (बादल) के उम्मीदवार हैं, तो कांग्रेस से पूर्व मंत्री अंबिका सोनी के चुनाव लड़ने की चर्चा है।

शिअद (बादल) की साझेदार भाजपा नवजोत सिंह सिद्धू के कांग्रेस में जाने से माझा के शहरी इलाकों में कमजोर हुई। इसकी भरपाई के लिए भाजपा क्रिकेटर हरभजन सिंह को अमृतसर से लोकसभा चुनाव लड़ाने की कोशिश में है। गुरदासपुर से सांसद और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ के खिलाफ दिवंगत अभिनेता विनोद खन्ना की पत्नी कविता खन्ना या उनके पुत्र अक्षय खन्ना को भाजपा मैदान में उतारने की तैयारी में है। विनोद खन्ना चार बार गुरदासपुर से सांसद रहे थे। होशियारपुर के मौजूदा सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री विजय सांपला की जगह फगवाड़ा के विधायक सोमप्रकाश को टिकट दिए जाने की चर्चा है। पंजाब भाजपा के अध्यक्ष श्वेत मलिक ने आउटलुक से कहा, “एयर स्ट्राइक, करतारपुर कॉरिडोर, 84 के दंगों में हुई सजा और किसान कर्जमाफी चुनाव में मुद्दा रहेगा।” वहीं, कांग्रेस के सुनील जाखड़ का दावा है कि गुरु ग्रंथ साहिब, गीता और कुरान की बेअदबी की घटनाओं से हिंदू और सिखों को बांटने की अकाली दल की सियासत को जनता सिरे नहीं चढ़ने देगी।

पटियाला में धर्मवीर गांधी और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी परणीत कौर के बीच मुकाबले की उम्मीद है। गांधी के साथ आप के दो अन्य निलंबित सांसद भी हैं। हालांकि आप से निलंबित फतेहगढ़ के सांसद हरिंदर सिंह खालसा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पूर्व विधायक सुखपाल खैहरा की पंजाबी एकता पार्टी भी उनके एलायंस में है। खैहरा की पार्टी का दामन आप के विधायक मास्टर बलदेव सिंह भी थाम चुके हैं। खैहरा को आप के छह विधायकों का समर्थन हासिल है। सांसद भगवंत मान के पास प्रदेश की बागडोर होने के बावजूद आप के कार्यकर्ता राजनैतिक दिशा-निर्देश के अभाव में दुविधा में हैं। दो साल में ही पार्टी विधानसभा में तीन बार नेता प्रतिपक्ष बदल चुकी है।

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