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कार कैसे हो सुरक्षित

हर साल 70 हजार से अधिक लोग कार-दोपहिया वाहन चलाते वक्त दुर्घटनाओं में जान गंवाते हैं, ऐसे में नए सुरक्षा मानकों पर अमल जरूरी
पास या फेलः क्रैश टेस्ट के दौरान महिंद्रा की स्कॉर्पियो

देश में हर साल सरकार में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक ही 1.47 लाख से ज्यादा लोग सड़क दुर्घटनाओं में मौत के शिकार हो जाते हैं। उसमें आधे से ज्यादा दोपहिया वाहन, कार, टैक्सी, वैन और हल्के वाहनों की दुर्घटना में असमय मौत के मुंह में चले जाते हैं। अगर वाहनों में एडवांस सेफ्टी फीचर का इस्तेमाल होता, तो कई जानें बच सकती थीं। यह जानकर आश्चर्य होगा कि हमारी सड़कों पर दौड़ रही कारों और दोपहिया वाहनों में सुरक्षा के कई इंतजामात हैं ही नहीं, और हैं भी तो बेहद फिसड्डी। ग्लोबल न्यू कार एसेसमेंट प्रोग्राम के 2014 से 2018 के बीच भारत में बनी कारों के क्रैश टेस्ट कई मायने में आपकी आखें खोल सकते हैं। टेस्ट रिपोर्ट के अनुसार टाटा की नैनो, मारुति सुजुकी की अल्टो, हुंडई की आइ-10, रेनो क्विड और डैट्सन गो जैसी कारों को टेस्ट में जीरो रेटिंग मिली है। ये कारें सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक हैं।

इसी के मद्देनजर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने वाहन निर्माता कंपनियों के लिए वाहनों में कई सारे सुरक्षा मानकों को शामिल करना अनिवार्य कर दिया है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि दुर्घटनाओं में मौतें चिंता का विषय है। मंत्रालय की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार देश में उस साल 1 लाख 47 हजार 913 लोगों को अपनी जान सड़क दुर्घटना में गंवानी पड़ी। इस दौरान 4 लाख 70 हजार 975 लोग घायल हुए। मरने वालों में 33 फीसदी दो पहिया वाहनों और 18.2 फीसदी लोग कार, टैक्सी, वैन और हल्के वाणिज्यिक वाहनों की दुर्घटना के शिकार हुए। उनके अनुसार, हालांकि यह आंकड़ा 2016 की तुलना में 3.3 फीसदी कम है। मंत्रालय दुर्घटनाओं को कम करने के लिए दोपहिया वाहनों और चार पहिया वाहनों के लिए कई सेफ्टी फीचर लागू कर रहा है, जिनमें एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम, एयर बैग, मैन्युअल सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम, सख्त क्रैश टेस्ट मानक, तेज रफ्तार पर ड्राइवर को सतर्क करने जैसे सिस्टम हैं।

लेकिन सवाल है कि यह अब तक क्यों नहीं किया जाता रहा है? देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के एक वरिष्ठ अधिकारी आउटलुक से कहते हैं, “कंपनी हमेशा से सेफ्टी मानकों पर फोकस करती रही है। मारुति भारत की पहली ऐसी कंपनी थी जो कारों में सीटबेल्ट लेकर आई थी। कंपनी अपनी सभी नई कारों में ड्यूल एयरबैग, एबीएस जैसे सेफ्टी फीचर ऑफर कर रही है। कंपनी की इस समय 11 कारों में एडवांस सेफ्टी व्यवस्‍थाएं की गई हैं। इसके अलावा विटारा ब्रीजा पहली कार बनी है जिसे फ्रंटल क्रैश और साइड इम्पैक्ट के तहत सुरक्षा मानकों पर सर्टिफिकेशन मिला है।” कार कंपनियां अब भले नए मानकों के आधार पर बदलाव कर रही हैं लेकिन शुरुआत में इनका फोकस किसी भी तरह से सेफ्टी पर नहीं था। इसीलिए पुराने हिट मॉडल क्रैश टेस्ट में काफी खराब प्रदर्शन करते रहे हैं। भारतीय कार बाजार पूरी दुनिया में सबसे अलग मॉडल पर काम करता रहा है। यहां ग्राहकों का फोकस गाड़ी की कम से कम कीमत और ज्यादा से ज्यादा माइलेज पर रहता है। कंपनियों ने इसका तोड़ सेफ्टी फीचर्स की घोर अनदेखी करके निकाला। लेकिन अब ग्राहक भी कुछ जागरूक हुए और सरकार की नींद टूटी तो अब कंपनियों को कई ऐसे फीचर्स लाने पड़ रहे हैं, जिससे ग्राहकों की सुरक्षा बढ़ सकती है।

सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के डायरेक्टर जनरल विष्णु माथुर ने आउटलुक से कहा, “नए फीचर्स से निश्चित तौर पर वाहन चालक और उसमें बैठे लोगों की सुरक्षा बढ़ेगी। ग्राहक भी अब सुरक्षा पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं। जहां तक नए फीचर्स आने की बात है तो निश्चित तौर पर उसकी वजह से कंपनियों की लागत बढ़ेगी। लेकिन यह सभी कंपनियों के लिए लागू होगा। एसोसिएशन लगातार सरकार के साथ मिलकर सेफ्टी फीचर्स को बेहतर करने पर काम कर रहा है, जिसका असर भी अब दिख रहा है।” हुंडई मोटर्स इंडिया लिमिटेड के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं, “जीएनसीएपी की रिपोर्ट में हुंडई की जिन कारों का प्रदर्शन खराब बताया गया है, वे अब मार्केट से बाहर हो गईं हैं। कंपनी सरकार द्वारा तय मानकों के हिसाब से प्रोडक्शन कर रही है, जिसमें कस्टमर की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है।”

सड़क दुर्घटना की सबसे बड़ी वजह तेज रफ्तार होती है। मंत्रालय के रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में 98,663 लोग तेज रफ्तार की वजह से मौत के शिकार हुए हैं। 3 लाख 43 हजार 83 लोग घायल हुए हैं। इसी तरह सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटना में उत्तर प्रदेश के लोग मौत के शिकार हुए। उत्तर प्रदेश में 20 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। जबकि तमिलनाडु में 16 हजार से ज्यादा, महाराष्ट्र में 12 हजार से ज्यादा, कर्नाटक और राजस्थान में 10 हजार से ज्यादा लोग मौत के शिकार हुए हैं। ऐसे में आपके लिए यह जानना जरूरी है कि अप्रैल 2019 से कौन से ऐसे सुरक्षा फीचर वाहनों में जुड़ रहे हैं, जो आपकी जान बचाने में सहायक होंगे।

सभी कार में होगा एबीएस

एक अप्रैल 2019 से सभी तरह की कार, बस और ट्रक में एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (एबीएस) फिट होगा। यानी जो भी वाहन बेचे जाएंगे उनमें यह पहले से लगा होगा। इसका फायदा यह होता है कि टक्कर के समय गाड़ी के फिसलने का जोखिम कम हो जाता है। नए नियम के अनुसार, कार या बस और दूसरी गाड़ियों के सभी वैरिएंट में यह सुरक्षा सिस्टम होगा। कंपनियों को अपने बेस मॉडल से लेकर सभी मॉडल में यह सुविधा देनी होगी। अभी तक कंपनियां टॉप मॉडल में ऐसी सुविधाएं देती हैं। अभी तक एक अप्रैल 2018 से या उसके बाद बनने वाले मॉडल के लिए ही एबीएस सिस्टम जरूरी था।

बाइक और स्कूटर में भी नया ब्रेक सिस्टम

नए नियमों के तहत एक अप्रैल से सभी तरह के दोपहिया वाहनों में एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (एबीएस) और कम्बाइंड ब्रेकिंग सिस्टम (सीबीएस) होगा। अभी तक 1 अप्रैल 2018 से या उसके बाद लॉन्च होने वाले दोपहिया वाहनों के लिए ही यह जरूरी था। अप्रैल 2019 से यह सभी तरह के मॉडल पर लागू होगा। नियमों के तहत 125 सीसी से कम के वाहनों के लिए सीबीएस सिस्टम और उससे ज्यादा क्षमता वाले वाहनों के लिए एबीएस सिस्टम जरूरी होगा। नई सुविधा के बाद वाहन चालकों की दुर्घटना के समय सुरक्षा बढ़ जाएगी। एबीएस सिस्टम का फायदा यह होता है कि अचानक ब्रेक लगाने पर गाड़ी तेजी से फिसलती नहीं है।

एक जुलाई से मिलेंगे ये सुरक्षा सिस्टम

एक जुलाई 2019 से या उसके बाद बनने वाली सभी कारों में तेज रफ्तार से रोकने के लिए ड्राइवर को चेतावनी मिलेगी। इसके तहत जब कार की स्पीड 80 किलोमीटर प्रति घंटा या उससे अधिक हो जाएगी, तो गाड़ी से बीप-बीप की आवाज आनी शुरू हो जाएगी। जब वाहन की स्पीड 120 किलोमीटर प्रति घंटा या उससे ज्यादा पहुंच जाएगी, तो ड्राइवर को सतर्क करने के लिए लगातार बीप-बीप की आवाज आती रहेगी। यानी आपको कार खुद सतर्क करेगी कि आप जरूरत से ज्यादा तेज गाड़ी चला रहे हैं। आप सतर्क हो जाएं, जिससे किसी भी संभावित दुर्घटना से बच सकें।

आग लगने पर लॉक नहीं होगी कार

सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम आने के बाद से कई बार ऐसे हादसे होते हैं, जिनमें आग लगने पर कार में बैठे लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। ऐसा इसलिए होता है कि आग की वजह से हुए शॉर्ट सर्किट से सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम दरवाजों को पूरी तरह लॉक कर देता है। इसकी वजह से गाड़ी में बैठे लोग बाहर नहीं निकल पाते हैं। कई बार तो उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ती है। लेकिन जुलाई से ऐसा नहीं होगा। नए सिस्टम में सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम में मैन्युअल सुविधा भी होगी। किसी आपात स्थिति में गाड़ी में बैठे लोग दरवाजा खोलकर बाहर निकल सकेंगे।

ड्राइवर सीट के लिए एयरबैग जरूरी

अंतरराष्ट्रीय कार क्रैश टेस्ट में भारत की कारों का प्रदर्शन अक्सर निराशाजनक रहता है। इसकी सबसे बड़ी वजह कीमत कम करने के लिए गाड़ियों में एयरबैग की सुरक्षा नहीं होना है। ज्यादातर कार कंपनियां अपने हाई-एंड मॉडल में ही एयरबैग की सुविधा देती हैं। लेकिन जुलाई 2019 से सभी तरह के वैरिएंट और मॉडल में एयरबैग की सुविधा मिलेगी। कंपनियों को कम से कम ड्राइवर सीट पर अब एयर बैग की सुविधा देनी जरूरी होगी।

सीट बेल्ट नहीं लगाने पर करेगी सतर्क

अभी तक कुछ गाड़ियों में सीट बेल्ट नहीं लगाने पर ड्राइवर को सिस्टम सतर्क करता है। लेकिन अब सभी तरह के वैरिएंट और मॉडल में आगे बैठे दोनों यात्रियों को सतर्क करने वाला सिस्टम होगा। यानी ड्राइवर और उसके साथ बैठे साथी में किसी ने भी अगर सीट बेल्ट नहीं लगाया है तो उसे बीप के जरिए आपकी गाड़ी सतर्क करेगी। सीट बेल्ट लगाने से किसी टक्कर में आगे बैठे लोगों को चोट लगने की संभावना कम हो जाती है। इसके अलावा अब कारों के नए मॉडल में पीछे वाली सीट पर भी तीन सीट बेल्ट आने लगी हैं।

कार बैक करने पर खतरे से करेगी सतर्क

एक अहम सुरक्षा की सुविधा आपको अपनी कार में रिवर्स पार्किंग सिस्टम के रूप में मिलेगी। नए फीचर में जब भी आप अपनी कार बैक यानी पीछे करेंगे और वहां कोई आदमी, जानवर या वस्तु होगी, तो कार आपको सतर्क करेगी। कार से लगातार बीप की आवाज आएगी। ऐसे में दुर्घटना की आशंका भी कम हो जाएगी। सुरक्षा को लेकर यह सुविधा सभी वैरिएंट और मॉडल के लिए जरूरी होगी। अभी ज्यादातर टॉप एंड मॉडल में यह सुविधा कंपनियां देती हैं।

नए क्रैश टेस्ट मानक

वैश्विक स्तर पर कार क्रैश टेस्ट में भारत की कारों का प्रदर्शन हमेशा से ही कमजोर रहा है। बढ़ती दुर्घटनाओं को देखते हुए अक्टूबर 2019 से कड़े मानक कार कंपनियों पर लागू किए जा रहे हैं। कंपनियों को अपने सभी मॉडल के लिए नए मानक लागू करने होंगे। यानी नियम केवल नए मॉडल पर लागू नहीं होंगे, बल्कि पहले से मौजूद मॉडल पर भी नए नियम लागू होंगे। कंपनियों को क्रैश टेस्ट में 48 किलोमीटर प्रति घंटा से लेकर 56 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड पर नए मानकों को पूरा करना होगा, जिसमें सामने से होने वाली टक्कर से लेकर बगल से होने वाली टक्कर आदि के मानक लागू होंगे।

टाटा की नेक्जॉन बनी पहली कार

कारों में सुरक्षा मानकों को बढ़ाने के लिए ग्लोबल एनसीएपी भारत सरकार के साथ मिलकर सेफर्स कार ऑफ इंडिया नाम से एक कैंपेन चला रही है। हाल ही में टाटा नेक्जॉन को क्रैश टेस्ट में फाइव स्टार रेटिंग मिली है, जो ऐसा दर्जा हासिल करने वाली भारत की पहली मेड इन इंडिया कार है। इस पर ग्लोबल एनसीएपी के सेक्रेटरी जनरल डेविड वार्ड का कहना है, “भारत में कार सेफ्टी की दिशा में यह एक बहुत बड़ा कदम है। हमें उम्मीद है कि अब भारत की कार कंपनियां इस दिशा में कदम बढ़ाएंगी और वह अपने मॉडल के जरिए फाइव स्टार रेटिंग तक पहुंचेंगी।” इसके अलावा महिंद्रा की मारैज्जो को भी क्रैश टेस्ट में चार स्टार रेटिंग मिली है। नए मानकों के आने के बाद कार कंपनियों का कहना है कि इससे कीमतों में इजाफा होगा। हालांकि जब जान की बात हो तो शायद कीमत पर ध्यान देना जरूरी नहीं है, क्योंकि जान रहेगी तभी तो गाड़ी चलाएंगे। ऐसे में सुरक्षा फीचर्स के साथ ड्राइविंग भी सावधानी से करना बेहद जरूरी है। अगर आप ऐसा करेंगे तो निश्चित तौर पर न केवल आप अपनी जान बचाएंगे बल्कि सड़क पर चलने वाले दूसरे लोगों की भी जान बचाएंगे।

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