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अंतरिम ‍नुस्‍खे पर दांव

नाराज किसानों, मजदूरों, मध्य वर्ग को खुश करने की कोशिश कितनी खरी, या महज बाजीगरी में लुभाने का जतन, आइए देखें क्या है बजट का गणित
खुशी का पिटाराः  अंतर‌िम बजट पेश करने संसद में पहुंचते वित्त मंत्री ‌पीयूष गोयल

आम चुनाव की लगभग पूर्व संध्या पर मोदी सरकार ने अपने करिश्माई पिटारे से एक और नुस्‍खा निकाला और लेखानुदान या अंतरिम बजट में भी परंपरा के विपरीत लोकलुभावन पेशगी कर दी। उसे उम्‍मीद है कि इससे वह नाराज किसानों, मजदूरों और मध्य वर्ग को मनाकर फिर अपने पाले में खींच लाएगी। इस कवायद में उसने मर्यादा को ताक पर रखा ही, वित्तीय अनुशासन की भी रत्ती भर फिक्र नहीं की। 2018-19 का राजकोषीय घाटा 3.3 फीसदी की जगह 3.4 फीसदी रहने का अनुमान है। हालांकि इस समय सरकार के लिए घाटे से ज्यादा अपने वोट बैंक को मजबूत रखने की चिंता है। इसके लिए उसने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना पर 75 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। मिडिल क्लास को इनकम टैक्स में राहत देकर 18 हजार करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का भी जोखिम उठाया है। इन कदमों के बावजूद सरकार को उम्मीद है कि 2019-20 में डायरेक्ट टैक्स 15 फीसदी बढ़कर 13.80 लाख करोड़ रुपये पहुंच जाएगा। इनडायरेक्ट टैक्स 11.8 फीसदी बढ़कर 11.66 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। देश के प्रमुख अर्थशास्‍त्री भले ही बढ़ते राजकोषीय घाटे पर चिंता जता रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे चुनावी मोड में हैं। इसीलिए उन्होंने साफ कहा है कि यह तो अभी ट्रेलर है। यानी अगर उनकी सरकार दोबारा आती है तो पूर्ण बजट पेश करते वक्त कई और लुभावने ऐलान किए जा सकते हैं। हालांकि पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने इस अंतरिम बजट को वोट ऑन अकाउंट की जगह अकाउंट फॉर वोट्स कहा है। साफ है कि यह अंतरिम नहीं, चुनावी बजट है। आइए जानते हैं कि इस बजट में हुए ऐलान का आप पर कैसे असर होगा।

पांच लाख रुपये की गुगली

एक फरवरी को वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने बजट भाषण में कहा कि पांच लाख रुपये तक की टैक्सेबल इनकम वालों को जीरो टैक्स देना होगा, तो लगा कि बड़ी राहत का ऐलान है। लेकिन भाषण के एक शब्द से पूरा मामला ही बदल गया। उन्होंने कहा कि 5 लाख रुपये तक सालाना आय वालों को इनकम टैक्स पर रिबेट मिलेगी। बस यहीं उन्होंने गुगली फेंक दी। रिबेट का सीधा मतलब है कि आपको एक्जेम्पशन नहीं मिलेगा। यानी सभी तबकों को इसका फायदा नहीं मिलेगा। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर एक्जेम्पशन दिया जाता तो आपकी कुल इनकम से पांच लाख रुपये सीधे घटा दिए जाते। बची इनकम पर फिर टैक्स की देनदारी बनती। लेकिन रिबेट देने की वजह से ऐसा नहीं होगा।

चार्टर्ड एकाउंटेंट अतुल गर्ग के अनुसार, अभी इनकम टैक्स के सेक्शन 87ए के तहत रिबेट का प्रावधान है, जिसमें 3.5 लाख रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक की इनकम पर 2,500 रुपये रिबेट मिलती है। अब रिबेट की रकम को बढ़ाकर 12,500 रुपये कर दिया गया है। ऐसे में अगर सभी तरह की टैक्स बचत करने के बाद आपकी इनकम पांच लाख रुपये से ज्यादा हो जाती है तो कोई इनकम टैक्स रिबेट नहीं मिलेगा। पूरी टैक्सेबल इनकम पर पुराने टैक्स स्लैब के अनुसार ही टैक्स देनदारी बनेगी। यानी अगर सभी तरह की टैक्स सेविंग करने के बाद यानी 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक सेविंग और होम लोन, हेल्थ इन्श्योरेंस, स्टैण्डर्ड डिडक्शन के बाद आपकी टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये तक बनती है तो टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन अगर यह इनकम 5 लाख रुपये से ज्यादा हो जाती है तो पुराने टैक्स स्लैब के अनुसार 5 फीसदी से लेकर 30 फीसदी तक टैक्स देनदारी आपकी इनकम के आधार पर बनेगी।

मानक छूट पर 10 हजार रुपये का फायदा

अतुल गर्ग के अनुसार, सभी इनकम ग्रुप वालों को स्टैण्डर्ड डिडक्शन के रूप में 10 हजार रुपये की राहत दी गई है। अभी इनकम टैक्स की गणना करते समय 40 हजार रुपये स्टैण्डर्ड डिडक्शन का प्रावधान है, जिसे अंतरिम बजट में बढ़ाकर 50 हजार कर दिया गया है। स्टैण्डर्ड डिडक्शन के तहत आपके कुल इनकम में 50 हजार रुपये की राशि घटा दी जाएगी।

किसानों की नाराजगी दूर करने की कोशिश

मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में भाजपा की सत्ता छिनने की एक बड़ी वजह किसानों की नाराजगी थी। सो, पहली बार किसानों को डायरेक्ट कैश ट्रांसफर का दांव खेला गया है। सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत पांच एकड़ तक की जोत वाले किसानों के खाते में हर साल 6,000 रुपये की रकम जमा करेगी। यह रकम दो हजार रुपये की तीन किस्तों में हर साल जमा की जाएगी। यह स्कीम एक दिसंबर 2018 से लागू होगी। पहली किस्त 31 मार्च 2019 से पहले किसानों के खातों में जमा कर दी जाएगी। सरकार का दावा है, इसके जरिए 12 करोड़ किसान परिवारों को फायदा पहुंचेगा। योजना के लिए 2019-20 के लिए 75 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान  किया गया है। मौजूदा साल में पहली किस्त देने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान  है। इस पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुटकी ली, “मोदी जी पांच साल में आपकी नाकामी और आपके अहंकार ने हमारे किसानों का जीवन बर्बाद कर दिया। अब 17 रुपये प्रतिदिन देना उनका अपमान है।” राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वी. एम. सिंह ने कहा, “किसानों के लिए यह बजट मायूसी वाला है। सरकार ने किसानों के लिए फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य सी-2 पर 50 फीसदी मुनाफे के साथ तय करने का वादा किया था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, इसकी वजह से किसानों को प्रति हेक्टेयर करीब 40 हजार रुपये की सालाना आय कम हो गई है। यह केवल चुनावी बजट है, यह बात किसान भी अच्छी तरह से जानता है।”

इसके अलावा प्राकृतिक आपदा के समय राहत देने के लिए किसानों को रीस्ट्रक्चरिंग हुए कर्ज को चुकाने पर दो फीसदी ब्याज की अतिरिक्त छूट का भी ऐलान किया गया है। इसी तरह पशुपालन और मछली पालन के लिए किसान क्रेडिट कार्ड से लिए जाने वाले कर्ज पर ब्याज में दो फीसदी छूट का प्रावधान किया गया है। इन योजनाओं पर समय से कर्ज चुकाने पर ब्याज में तीन फीसदी की अतिरिक्त छूट का लाभ मिलता रहेगा। इसके अलावा 750 करोड़ रुपये की राष्ट्रीय कामधेनु योजना भी लागू की जाएगी।

3000 रुपये पेंशन का भी जानिए गणित

अंतरिम बजट में असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना का ऐलान किया है। इसके तहत सरकार का दावा है कि 15 हजार रुपये तक महीना कमाने वालों को 60 साल के बाद 3,000 रुपये की पेंशन मिलेगी। इसके लिए 55 रुपये से लेकर 100 रुपये तक का मासिक अंशदान खाताधारक को देना होगा। सरकार उतनी ही रकम अंशधारक के खाते में हर महीने जमा करेगी। फाइनेंशियल प्लानर तारेश भाटिया के अनुसार, अभी सरकार ने स्कीम का विस्तृत ब्यौरा जारी नहीं किया है। अभी ढेरों सवाल अनुत्तरित हैं। मसलन, अगर किसी व्यक्ति की उम्र 40 साल है तो उसे 3,000 रुपये के पेंशन के लिए कितना अंशदान करना होगा। इसी तरह अगर कोई व्यक्ति अपना अंशदान बढ़ाना चाहता है जिससे उसे ज्यादा पैसा मिले तो क्या वह ऐसा कर सकता है। क्या सरकार अपना अंशदान खाताधारक के अंशदान के आधार पर बढ़ाएगी। इन सवालों के जवाब के सामने आने के बाद ही स्कीम की सही तस्वीर सामने आएगी। स्कीम के लिए सरकार ने 2019-20 के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। साथ ही कहा गया है कि जरूरत पड़ने पर आवंटन को बढ़ाया जा सकता है।

दूसरे घर पर नहीं देना होगा इनकम टैक्स

एक से ज्यादा घर रखने वालों को राहत देने के लिए दूसरे घर पर अब कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा। अभी तक दूसरे घर को यह माना जाता था कि व्यक्ति दूसरे घर से किराया ले रहा है, जिस पर उसे इनकम टैक्स देना पड़ता है। सरकार ने इसे अब हटा दिया है। इसी तरह अगर किसी व्यक्ति को घर के जरिए किराया मिलता है, तो 20 हजार रुपये महीने तक के किराए पर अब टीडीएस नहीं कटेगा। अभी यह लिमिट 15 हजार रुपये थी। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर अमीष मेहता के अनुसार अंतरिम बजट में अफोर्डेबल हाउसिंग को बूस्ट देने के लिए अनसोल्ड इनवेंट्री पर मिलने वाली टैक्स छूट को एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है। हालांकि इसका फायदा थोड़े से डेवलपर को ही मिलेगा। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि रेडी-टू-मूव अनसोल्ड इनवेंट्री की संख्या कम है।

छोटी कंपन‌ियां

छोटे और मझोले उद्यम‌ियों के लिए बजट में दो अहम ऐलान किए गए हैं। पहला ऐलान जीएसटी रजिस्टर्ड कारोबारियों को एक करोड़ रुपये तक के कर्ज पर दो फीसदी ब्याज में छूट मिलेगी। इस कदम से कारोबारियों के लिए कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा। इसी तरह सरकारी खरीद में छोटे उद्यम‌ियों की हिस्सेदारी 20 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दी गई है। इस मामले पर फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो एंड स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज के जनरल सेक्रेटरी अनिल भारद्वाज के अनुसार दोनों कदमों से उद्यम‌ियों को राहत मिलेगी। जहां तक 25 फीसदी खरीद की बात है, तो इससे डिमांड बढ़ेगी। इसके अलावा पहली बार सरकारी खरीद में महिलाओं के लिए तीन फीसदी खरीद तय की गई है, इससे भी बड़ा बूस्ट मिलेगा।

मोदी की पसंदीदा योजनाओं का बजट घटा

वित्त मंत्री ने किसान, मिडिल क्लास और गरीब तबके को खुश करने की पूरी कोशिश की है लेकिन कमाई का दबाव उन पर साफ तौर पर दिखता है। इसी वजह से मोदी सरकार की कई अहम योजनाओं में बजट आवंटन में कंजूसी बरती गई है। इसके तहत प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन, नमामि गंगे और कौशल विकास जैसी योजनाओं के आंवटन में कटौती की गई है। पिछले साल के खर्च के मुकाबले मनरेगा का भी बजट कम कर दिया गया है। सरकार ने 2019-20 के लिए 60,000 करोड़ रुपये का आवंटन मनरेगा के लिए किया है जबकि मौजूदा वित्त वर्ष में मनरेगा पर संशोधित आवंटन 61,084 करोड़ रुपये है, यानी 61 हजार करोड़ रुपये सरकार ने खर्च किए। इसके पहले मौजूदा वित्त वर्ष के लिए मनरेगा में 55,000 करोड़ का आवंटन किया गया था। ऐसे में खर्च को देखते हुए बजट आवंटन में कटौती की गई है। इसी तरह गंगा की सफाई के लिए बनाई गई राष्ट्रीय गंगा योजना और घाट निर्माण पर भी इस बार आवंटन कम कर दिया गया है। 2018-19 के बजट में इसके लिए 2,300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था लेकिन खर्च केवल 750 करोड़ रुपये किया गया। इसका मतलब है कि गंगा योजना के लिए पैसे खर्च ही नहीं किए गए। ऐसे में अब भी केवल 750 करोड़ रुपये का ही आवंटन किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अधिकतर कौशल विकास यानी स्किल इंडिया की बात करते हैं, लेकिन इस बार अंतरिम बजट में इसके आवंटन को भी घटाया गया है। 2019-20 के लिए 523 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जबकि 2018-19 में यह 602 करोड़ रुपये था, जिसके बदले में 604 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है।

भारतीय जनता पार्टी चुनावों में प्रधानमंत्री आवास योजना को अपना सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक मान रही है लेकिन अगर नए साल के बजट आवंटन को देखा जाय तो वहां भी कटौती दिखती है। प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाइ) के लिए अंतरिम बजट 2019 में आवंटन को घटाकर 25,853 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जबकि पिछले साल के बजट में इसके लिए 27,505 करोड़ रुपये का आवंटन किया था जिसमें से खर्च 26,405 करोड़ रुपये ही हुआ था। इसी तरह स्वच्छ भारत मिशन का आवंटन घटाकर 12,750 करोड़ रुपये हो गया है जबकि बजट 2018-19 में इसके लिए 17,843 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, जिसमें से 16,978 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के आवंटन में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। योजना के लिए सरकार ने 19,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है जो पिछले साल हुए आवंटन के बराबर ही है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में खर्च हुए हैं 15,500 करोड़ रुपये।  फसल बीमा योजना और सिंचाई योजना में बढ़ोतरी भी की गई है। अंतरिम बजट में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए 9,516 करोड़ रुपये का आवंटन किया है जो पिछले बजट के 9,429 करोड़ रुपये से थोड़ा ज्यादा है। पिछले बजट में हुए आवंटन में से खर्च 8,251 करोड़ रुपये हुए हैं। इसी तरह फसल बीमा योजना के लिए अंतरिम बजट 2019 में 14,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। अहम बात है क‌ि रक्षा बजट में मामूली बढ़ोतरी कर इसे तीन लाख करोड़ रुपये क‌िया गया है। वहीं स्मार्ट स‌िटी जैसे हाइप्रोफाइल प्रोजेक्ट को तरजीह नहीं म‌ि ली योजनाओं के बजट में की गई कटौती पर इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्‍त्री डॉ. देवेन्द्र पंत के अनुसार, अंतरिम बजट को देखकर लगता है कि राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकेगा। सरकार ने साल 2019-20 के लिए राजकोषीय घाटे का अनुमान 3.4 फीसदी रखा है, जो मीडियम टर्म फिस्कल पॉलिसी के लक्ष्य 3.1 फीसदी से कम है।

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