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नाराजगी राज पर भारी

वसुंधरा सरकार से नाराजगी तो हर तरफ मगर असमंजस भी कई, कांग्रेस में स्पष्ट चेहरे की दुविधा भी बदस्तूर
जोश तो हैः टोंक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट

शाम के चार बजे हैं और तारीख 23 नवंबर है। जयपुर के कांग्रेस कार्यालय में गहमा-गहमी तेज है। प्रदेश पार्टी अध्यक्ष सचिन पायलट कार्यालय पहुंचने वाले हैं। कार्यालय के प्रवेश द्वारा पर एक इलेक्ट्रॉनिक घड़ी लगी है, जिस पर लिखा है कि इंतजार है अब केवल 20 दिन 7 घंटे, 15  मिनट और 19 सेकंड का, जब कांग्रेस की बनेगी सरकार...इतने में अध्यक्ष नमूदार होते हैं। जेहन में पहला सवाल यही आता है कि क्या घड़ी के दावे सच होंगे? बड़े भरोसे से पायलट कहते हैं, “पिछले पांच साल में कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ताओं ने जो जमीन पर संघर्ष किया है और वसुंधरा जी के राज में जो कुशासन हुआ है, उसके मद्देनजर मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि जनता बदलाव चाहती है। नौजवान, किसान और हर वर्ग के लोग चाहते हैं कि एक नई शुरुआत राजस्थान में हो और 7 दिसंबर को लोग इसी दिशा में वोट करेंगे। मुझे लगता है कि कांग्रेस को राज्य में वह बहुमत मिलेगा, जो आज तक नहीं मिला।”

इस दावे में कितना दम है, इसकी पड़ताल तो मतदाताओं से ही हो सकती है। पहली मुलाकात मुरलीपुरा निवासी राजू से हुई। इस बार किसकी सरकार बनेगी? राजू तपाक से बोले, “हम तो भाजपा वाले हैं, पर हवा कांग्रेस की है।” ऐसा क्यों? “वसुंधरा राजे ने पांच लाख नौकरियां देने का वादा  किया था, लेकिन हुआ कुछ नहीं है। पर, कांग्रेस को भी क्यों वोट दें, पता ही नहीं है कौन मुख्यमंत्री बनेगा।”

शायद लोगों के जेहन में यह कन्फ्यूजन भी जारी है कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत दोनों चुनाव लड़ रहे हैं, तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा। इस पर पायलट का कहना है, “मुझे पांच साल पहले राज्य में पार्टी का अध्यक्ष बनाकर भेजा गया था। मुझे संतोष है कि नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर हम पार्टी को इस स्तर तक लेकर आए हैं। जहां तक मुख्यमंत्री पद का सवाल है, वह मुझे नहीं पता। उसका फैसला तो विधायक दल और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ही करेंगे। चुनावों में मेरे और गहलोत जी के चेहरे की बात है, तो इसको लेकर किसी में कोई भी कन्फ्यूजन नहीं है। यह मत भूलिए कि पिछले चुनाव में हमारे पास 200 में से केवल 21 सीटें आई थीं। आज हम यहां तक पहुंचे हैं कि अब सारे सर्वे कह रहे हैं कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनेगी। कन्फ्यूजन तो भाजपा में है कि वहां अमित शाह की चलेगी या फिर वसुंधरा की।”

कांग्रेस पार्टी कार्यालय के सामने झंडे, बैनर, वगैरह बेचने वाले रजा इंटरप्राइजेज के सहाबुद्दीन का कहना है कि अभी चुनाव प्रचार जोर नहीं पकड़ा है, बिक्री उम्मीद के अनुसार नहीं है। दुकान पर केवल कांग्रेस के ही झंडे, बैनर ही क्यों हैं? सहाबुद्दीन का कहना है, “उसी का माहौल है और दुकान भी पार्टी कार्यालय के सामने है।” जयपुर के इस चांदपोल क्षेत्र में ही  ऑटो ड्राइवर इरफान का कहना है, “साहेब, भाजपा वाले केवल हिंदू-मुस्लिम के नाम पर लड़ाई कराते हैं। बेरोजगारी बहुत है। मेरे जैसा कम पढ़ा-लिखा आदमी तो ऑटो चलाकर काम कर लेता है, लेकिन जो बेचारे पढ़-लिख गए हैं, वे तो यह भी नहीं कर सकते।”

इसी इलाके में ट्रांसपोर्ट कारोबारी जगदीश कहते हैं, “एक बात तो साफ है कि वसुंधरा राजे ने काम नहीं किया है। धंधा भी मंदा है, पर अभी मोदी से उम्मीद है कि वे कुछ करेंगे।”

सचिन पायलट का कहना है कि पिछले पांच साल भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा है। कांग्रेस पार्टी एक जन-घोषणापत्र लेकर आ रही है। हम किसान, नौजवान और दूसरे वर्ग के लिए क्या करेंगे, उसका पूरा खाका पेश करेंगे। जन-घोषणापत्र में कोई झूठे वादे नहीं करेंगे। हमारी इसी बेबाकी को लोग पसंद कर रहे हैं।

जयपुर-सीकर हाइवे पर बसे चौमूं विधानसभा के बारे में यह कहावत प्रसिद्ध है 'जिसका चौमूं उसका राजस्थान।' यानी जिस पार्टी की चौमूं से जीत होती है, उसकी राजस्थान में सरकार बनती है। यहां से इस समय भाजपा के रामलाल शर्मा विधायक हैं। उन्होंने पिछली बार कांग्रेस के भगवान सहाय सैनी को हराया था। इस बार भी इन दोनों में ही टक्कर है। यहां का प्रमुख मुद्दा पीने के पानी की किल्लत, सीवरेज सिस्टम है। यहां फोटो स्टूडियो चलाने वाले अमित का कहना है कि मौजूदा विधायक ने वादे तो बहुत किए थे, लेकिन हुआ कुछ नही। बिसलपुर बांध से पानी लाने का वादा पांच साल पहले किया था, पर अभी भी पुराने हालात हैं। इसी तरह सीवरेज सिस्टम भी डेवलप नहीं हुआ। इसके अलावा एलपीजी की महंगाई भी जेब पर भारी है। पर कहीं सुनवाई नहीं है।

यहां भाजपा कार्यालय से विधायक रामलाल जनसंपर्क के लिए निकल रहे थे। यह पूछने पर कि लोग पानी और सीवेरज के वादे नहीं पूरा होने से नाराज लगते हैं, उनका कहना था, “पानी के लिए डीपीआर तैयार हो गया है। जहां तक नाराजगी की बात है तो अभी तो हमने ठीक से प्रचार शुरू भी नहीं किया है। योगी आदित्यनाथ आने वाले हैं सब कुछ बदल जाएगा।” कांग्रेस प्रत्याशी भगवान सहाय सैनी अभी पूरी तरह से चुनावी मोड में नहीं आए हैं। उनके घर पर कुछ कार्यकर्ता ही नजर आए। कार्यकर्ता बबलू का कहना है कि पार्टी कार्यालय जल्द ही खुलने वाला है।

चौमूं से करीब 20 किलोमीटर दूर सीकर जिले का रिंगस कस्बा खंडेला विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है। कभी अपने गोटा और गाड़ियों की बॉडी बनाने के लिए प्रसिद्ध रिंगस इस समय फ्लोराइड की ज्यादा मात्रा वाले पानी, सरकारी कॉलेज की कमी और उद्योग-धंधे चौपट होने की समस्या से जूझ रहा है। कृषि उपकरण का कारोबार करने वाले अशोक कुमार का कहना है कि यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा जल दोहन सीकर क्षेत्र में हो रहा है। गोटा और बॉडी पार्ट्स उद्योग चौपट हो चुका है। किसान परेशान हैं, जीएसटी लगने से सिंचाई के उपकरण भी महंगे हो गए हैं। रिंगस में किसानों को सिंचाई उपकरण भी नहीं मिल रहे हैं। एक लाख पेंडेसी पहुंच गई है।

इन्हीं मुद्दों पर खंडेला में प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं। कांग्रेस से पूर्व विधायक महादेव सिंह खंडेला इस बार बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। वे पांच बार विधायक रह चुके हैं। उनकी टक्कर भाजपा के बंशीधर बाजिया से है जो राज्य सरकार में चिकित्सा राज्यमंत्री हैं। कांग्रेस से सुभाष मील मैदान में हैं। क्षेत्र की समस्याओं पर बंशीधर ने भी माना कि बेरोजगारी की समस्या है, केंद्र सरकार इस इलाके में मौजूद यूरेनियम भंडार के जरिए कई उद्योग स्थापित कर रही है। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। राज्य सरकार ने 1,400 करोड़ रुपये पानी के लिए मंजूर किए है, जिससे खंडेला क्षेत्र की पानी की समस्या करीब-करीब खत्म हो जाएगी। ट्रॉमा सेंटर का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। निर्दलीय चुनाव लड़ रहे खंडेला इस बार अपने आखिरी चुनाव के नाम पर जनता के बीच जा रहे हैं।

रिंगस से करीब 16 किलोमीटर दूर सीकर क्षेत्र के श्रीमाधोपुर विधानसभा क्षेत्र में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत कांग्रेस से चुनाव मैदान में हैं। उनकी टक्कर मौजूदा भाजपा विधायक झाबर सिंह खर्रा से है। संकरी गलियों वाले श्रीमाधोपुर में झाबर सिंह खर्रा पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं से कह रहे हैं कि अब जोर लगा देना है। इस सवाल पर कि आपने पिछले पांच साल में सबसे प्रमुख काम कौन सा किया? खर्रा का खरा-सा जवाब आया, क्षेत्र को अराजकता के माहौल से बाहर निकाला है। किसानों के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू किया है।

वहां जनसेवा केंद्र चलाने वाले मनोज का कहना है कि क्षेत्र में पांच साल पहले शाम सात बजे के बाद निकलना मुश्किल था, गुंडागर्दी थी, वह खत्म हुई है। लेकिन बेरोजगारी एक प्रमुख समस्या है। मोबाइल दुकान चलाने वाले शंभू दयाल का कहना है कि वसुंधरा से नाराजगी है, लेकिन यह बात सही है कि स्थानीय विधायक ने अच्छा काम किया है। स्थानीय पत्रकार लकी अग्रवाल का कहना है कि क्षेत्र में एससी-एसटी एक्ट को लेकर सवर्णों में नाराजगी है। इसके विरोध में तीन अप्रैल को क्षेत्र में सवर्णों ने एक बड़ा मार्च निकाला था, पूरा श्रीमाधोपुर बंद था। सवर्णों का गुस्सा फैक्टर बन सकता है।

कुछ दूरी पर अजीतगढ़ कस्बे में कांग्रेस प्रत्याशी दीपेंद्र सिंह शेखावत की सभा चल रही हैं। वे कहते हैं, वसुंधरा सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है, खुद भाजपा के विधायकों और मंत्रियों की सुनवाई नहीं है। किसान नितिन सारस्वत का कहना है कि सब कुछ प्राइवेट हाथों में दिया जा रहा है। गरीबों की कोई सुनवाई नहीं है। फसल की खरीद नहीं हो रही है। सरपंच प्रमोद स्वामी का कहना है क‌ि कई साल पहले अजीतगढ़ में 100 बेड वाला अस्पताल शेखावत साहब ने बनवाया था। उसके बाद से कुछ नहीं हुआ है।

श्रीमाधोपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर सीकर की उदयपुरवाटी सीट पर जाट, सैनी और राजपूत जातियों के समीकरण अहम हैं। भाजपा ने अपने मौजूदा विधायक शुभकरण चौधरी पर फिर से दांव लगाया है। उनके खिलाफ कांग्रेस ने भगवान राम सैनी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने डॉ. सुमन कुलहरी गढ़वाल और बसपा ने राजेंद्र गुढा को उतारा है। यह सीट काफी संवेदनशील मानी जाती है। जनवरी 2018 में यहां सांप्रदायिक माहौल भी बिगड़ा था। इसके बाद से स्थानीय लोग कई सारी आशंकाओं में जी रहे हैं। उदयपुरवाटी में जातिगत समीकरण खुल कर दिखता है। आप जिस जाति के लोगों से बात करेंगे,  आपको रुझान उसी के मुताबिक दिखेगा। स्थानीय भाजपा विधायक शुभकरण चौधरी ने बताया, “उदयपुरवाटी में कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है। यहां वसुंधरा भी हम ही हैं, बेनीवाल भी हम ही हैं और गहलोत भी हम ही हैं।” राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की डॉ. सुमन का कहना है, “इस बार सरकार बनाने में थर्डफ्रंट की अहम भूमिका रहेगी। विधायक ने यहां आक्रोश और उत्पीड़न का माहौल बनाया है।” कारोबारी पवन शर्मा का कहना है, “भाजपा विधायक ने सड़कें बनवाई हैं, पानी की समस्या दूर की है।” पार्षद राम अवतार कुमावत का कहना है कि वसुंधरा राजे से नाराजगी है लेकिन उदयपुरवाटी में अच्छा काम हुआ है। पूर्व सरपंच सुखराम का कहना है कि शुभकरण और राजेंद्र गुढा की दादागीरी से लोग परेशान हैं।

उधर, जाट बहुल सीट झुंझुनू में दो बार से कांग्रेस विधायक बिजेन्द्र ओला, भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र भांबू और निर्दलीय विधायक यशवर्धन सिंह शेखावत मैदान में हैं। क्षेत्र में करीब 60 हजार जाट, 30-35 हजार मुसलमान, 18-20 हजार ठाकुर, 18-20 हजार ब्राह्मण वोटर हैं। इसी समीकरण के आधार पर विधायक बिजेन्द्र ओला परिणामों के लिए काफी आश्‍वस्त नजर आ रहे हैं। “क्षेत्र में पानी की समस्या दूर करने के लिए हमने इंदिरा गांधी नहर की तरह पानी लाने की व्यवस्था की थी। लेकिन भाजपा सरकार आने के बाद उस पर काम नहीं हुआ, जिसकी वजह से देरी हुई है। साथ ही भाजपा सरकार से नाराजगी भी हमारे पक्ष में है।”

न‌िर्दलीय प्रत्याशी यशवंत स‌िंह शेखावत का कहना है, “इस बार कांग्रेस से सीधी टक्कर उनकी है। चाहे भ्रष्टाचार की बात हो या फ‌िर व‌िकास की बात हो, क्षेत्र की जनता जानती है क‌ि क‌िसने लड़ाई लड़ी है। मुझे इस बात का फायदा म‌िलेगा। लोग स्थानीय व‌िधायक के वादों से परेशान हैं, अभी तक पानी की समस्या दूर नहीं हुई है। ऐसे में लोग बदलाव चाहते हैं।” बहरहाल, पक्ष-विपक्ष की मजबूती तो 11 दिसंबर के नतीजे ही बताएंगे।

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