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सरकार बेख्याल, अवैध खनन बेलगाम

खनन माफिया के सामने प्रशासन बेबस, कागजी कार्रवाई से लोगों में नाराजगी बढ़ी
कार्रवाई बेअसर ः यूपी से सटे यमुना नगर जिले में धड़ल्ले से हो रहा अवैध खनन

खनन पर प्रतिबंध के हरियाणा सरकार के तमाम दावों के बावजूद उत्तर प्रदेश से सटे यमुनानगर जिले में अवैध खनन का खेल जारी है। इसकी वजह से खिजराबाद में युमना नदी पर बने हथनीकुंड बैराज का अस्तित्व खतरे में है। यहां का ताजेवाला बांध पहले ही बहने के कगार पर है। सितंबर के आखिरी हफ्ते में हुई भारी बारिश से बाढ़ का पानी ताजेवाला बांध में न रुक पाने के कारण पास के दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में आ गए थे। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने फरवरी 2016 से हथनीकुंड बैराज के चारों ओर 2.1 किलोमीटर क्षेत्र में खनन पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। इसके बावजूद खनन माफिया द्वारा अवैध खनन बदस्तूर जारी है। खनन विभाग के मंत्री से लेकर अधिकारी तक यह कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के लोग अवैध खनन कर रहे हैं। खनन राज्य मंत्री नायब सिंह सैनी का कहना है कि शिकायत आने पर कार्रवाई की जाती है। उन्होंने बताया कि सितंबर में 19 लोगों पर खिजराबाद में अवैध खनन के आरोप में छह एफआइआर दर्ज हुई हैं।

इधर, खनन से परेशान स्थानीय लोगों और अंबाला से भाजपा सांसद रत्न लाल कटारिया का कहना है कि करनाल-युमना नगर मार्ग पर देर रात तक चलते ओवर लोडेड ट्रालों द्वारा तहस-नहस की गई सड़कें सरकार को नहीं दिखतीं। खतरे में आया हथनीकुंड बैराज भी पांच राज्यों के लिए बहुत महत्व रखता है। यहीं से उत्तर प्रदेश, हिमाचल, दिल्ली, दक्षिणी हरियाणा और राजस्थान को सिंचाई और पीने का पानी जाता है।

खनन के विरोध में आए दिन स्थानीय ग्रामीणों द्वारा किए जा रहे विरोध-प्रदर्शन का भी स्थानीय प्रशासन और सरकार पर कोई असर नहीं है। सितंबर में बाढ़ की चपेट में आए गांवों संधाला, संधाली, लाल छप्पड़, हंसु माजरा, कंडरोली और खुखानी वगैरह के लोगों का कहना है कि खनन की वजह से ही उनके गांव बाढ़ की चपेट में हैं। इनका कहना है कि हरियाणा में पड़ती यमुना नदी के किनारे खनन माफिया द्वारा किए जा रहे 50 फुट तक अवैध खनन के चलते साथ लगते गांवों पर हमेशा बाढ़ का खतरा बना रहता है। संधाला गांव के वरयाम सिंह के मुताबिक, सितंबर में बाढ़ की चपेट में किसानों की सैकड़ों एकड़ धान की फसल बर्बाद होने का कारण केवल अवैध खनन है। राओ गांव के शिव कुमार की मानें तो स्थानीय लोगों को खनन का खामियाजा फसलें गवां कर ही नहीं, बल्कि जान गवां कर भी चुकाना पड़ रहा है। इसके बावजूद स्थानीय प्रशासन और सरकार पर कोई असर नहीं है। अवैध रेत-बजरी और पत्थर ढोते सड़कों को तोड़ते ओवरलोडेड ट्राले दुर्घटना में जिंदगियां भी लील रहे हैं।

अवैध खनन पर प्रतिबंध के सरकार के दावों को अवैध खनन माफिया तार-तार कर रहा है। प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से हो रहे अवैध खनन में सक्रिय माफिया को सत्ता पक्ष भाजपा के विधायकों, सांसदों और मंत्रियों से संरक्षण के आरोप लग रहे हैं। मार्च में विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस ने मनोहर लाल खट्टर सरकार के कार्यकाल में बढ़े अवैध खनन के मामलों की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की थी। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर की मानें तो प्रदेश के यमुना नगर, महेंद्रगढ़ और नारनौल में अवैध खनन का तीन लाख करोड़ रुपये का घोटाला जारी है। इसकी जांच और कड़ी कार्रवाई के लिए राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बताया जा चुका है। इस बारे में खनन एवं भू-विज्ञान विभाग के राज्यमंत्री नायब सिंह सैनी का कहना है कि कांग्रेस भ्रमित करने वाले झूठे आरोप लगा रही है।

इसी साल फरवरी और मार्च में खानों की ई-नीलामी में कुल 119 खानों में से 88 सरकार ने अलॉट की हैं। इनमें से भी 57 खानों में खनन हो रहा है। 2017-18 में सरकार को खनन से 600 करोड़ रुपये रिकॉर्ड राजस्व कमाई हुई थी। इस साल इसमें 15 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद है।

बस कागजी कार्रवाई

खनन पर प्रतिबंध के एनजीटी के आदेशों का पालन कराने में उत्तर प्रदेश और हरियाणा की पुलिस जिम्मेदारी एक-दूसरे पर थोप रही है। वहीं, दूसरी तरफ माफिया द्वारा अवैध खनन जारी है। हरियाणा और यूपी की पुलिस सीमा विवाद में उलझी है और इस सीमा विवाद के चलते खनन माफिया मौज में हैं। खिजराबाद के हारनपुर के रायपुर निवासी विकास कुमार की याचिका पर एनजीटी द्वारा चार मई 2018 को दिए गए आदेश में यमुना नगर से सोनीपत तक भारी मशीनों से खनन को गंभीरता से लिया गया। एनजीटी ने अपने फैसले में जेसीबी मशीनों के प्रयोग पर सख्ती से रोक लगाने के आदेश दिए।

आदेश में कहा गया कि नदी या खनन क्षेत्रों में जेसीबी आदि मशीन नजर आई तो डीएम, एसएसपी और एसएचओ भी जिम्मेवार होंगे। एनजीटी ने नाराजगी भी जताई है कि उनके बार-बार आदेश जारी करने के बावजूद चौबीसों घंटे भारी मशीनों से अवैध खनन किया जा रहा है, जबकि एनजीटी कोर्ट के 23 दिसंबर-2015 और 10 जुलाई 2017 के आदेशों में साफ है कि ट्रक, जेसीबी और पोकलेन मशीनों का किसी भी हालत में खनन में इस्तेमाल न किया जाए। इसके बावजूद इनका प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है। स्थानीय लोगों ने ताजेवाला में बड़ी मशीनों से हो रहे अवैध खनन की पूरी सीडी बनाकर एनजीटी को सौंपी है।

इन लोगों का आरोप है कि एनजीटी की कड़ी टिप्पणी और स्पष्ट आदेशों के बाद भी वहां पर अवैध खनन लगातार जारी है। स्थानीय पुलिस द्वारा इसे दो राज्यों की सीमा का विवाद बनाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश की सहारनपुर पुलिस से इसकी शिकायत करने पर वह इसे हरियाणा पुलिस से संबंधित मामला बताती है, तो हरियाणा पुलिस का कहना है कि यह अवैध खनन उत्तर प्रदेश की सीमा में हो रहा है। वहां की पुलिस ही मामले में कार्रवाई करेगी।

इस चक्कर में दोनों में से किसी के भी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं हो रही है और वहां पर धड़ल्ले से अवैध खनन चल रहा है। सीमा विवाद बताकर ताजेवाला, अलाउद्दीनपुर, अकबरपुर बांस, छज्जा आदि इलाकों में जमकर अवैध खनन किया जा रहा है। यमुना में बने टापुओं पर अवैध खनन हो रहा है। इन खनन माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे छापा मारने पर पुलिस के साथ मारपीट भी करने से गुरेज नहीं करते। इन इलाकों में दर्जनों बार पुलिस पर खनन माफियाओं द्वारा हमले किए जा चुके हैं। पुलिस पर हमले कर ये लोग अासानी से अपनी गाड़ियों को छुड़ा भी लेते हैं।

अवैध खनन से किसान बने मजदूर

कलीराम संधाला गांव के किसान हैं। राजस्व रिकॉर्ड में वह 10 एकड़ जमीन के मालिक हैं। जबकि, हकीकत में उनके पास एक इंच भी जमीन नहीं है। यमुना में अवैध खनन की वजह से नदी की क्रीक बदली और जमीन पानी में समा गई। कलीराम बताते हैं कि कुछ जमीन तो 2013 में बाढ़ के कारण समा गई थी। जो बची थी, वह इस बार फसल समेत बह गई। उनका यह भी कहना है कि उनकी जमीन के आसपास रेत ठेकेदारों ने अवैध खनन किया। इस बारे में छह बार खनन विभाग, प्रशासन और सीएम विंडो पर शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पांच बेटियों और दो बेटों का कलीराम का पूरा परिवार मजदूरी कर घर का खर्च चला रहा है। ऐसी कहानी कई किसानों की है। लेकिन आलम यह है कि शासन या प्रशासन स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से समस्या और बड़ी होती जा रही है। इससे अवैध खनन तो रुक नहीं रहा, बल्कि माफियों की चांदी हो रही है। सबसे बड़ी बात कि यह सब एनजीटी के तमाम फैसलों को धता बताकर हो रहा है।

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