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शिव पेच और सपाई दांव

भारतीय जनता पार्टी की शह से शिवपाल सिंह यादव कितनी काटेंगे अखिलेश की जमीन
दंगलः मुलायम सिंह यादव के साथ अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) संघर्ष के लिए जानी जाती है। प्रदेश में जब-जब सपा सत्ता से बेदखल हुई, संघर्ष कर दोबारा सत्ता में आई। लेकिन पिछले कुछ समय से ऐसा देखने को कम मिल रहा है। ऐसा नहीं है कि सपा के पास मुद्दे नहीं थे, जिस पर वह राज्य सरकार को घेर सके, लेकिन पिछले डेढ़ साल में सपा ऐसी कोई घेराबंदी राज्य सरकार की नहीं कर पाई, जिससे यह लगे कि सरकार को झुकना पड़ा। यह अलग बात है कि विधानपरिषद में सपा ने बहुमत होने और अन्य पार्टियों का समर्थन मिलने के कारण सरकार की नहीं चलने दी। फिलहाल, सपा का दारोमदार संघर्ष के बजाय समीकरण पर है।

इस समय सपा को अपने ही घर में तरह-तरह से चुनौतियां मिल रही हैं। प्रदेश में विधानसभा चुनावों के दौरान पारिवारिक कलह और कांग्रेस से गठबंधन का खामियाजा भुगतना पड़ा। नतीजतन, भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इसके बाद सपा ने भाजपा सरकार को छह महीने का समय दिया कि वह इस दौरान सरकार का कामकाज देखेगी, फिर बोलेगी। लेकिन रोजगार से लेकर कानून-व्यवस्था और भ्रष्टाचार के तमाम मुद्दे होने के बावजूद सपा प्रदेश में सरकार के खिलाफ जनांदोलन खड़ा करने में विफल रही। हालांकि, सपा नेता और नेता विपक्ष रामगोविंद चौधरी का कहना है कि पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में एकजुट है। एक-दो व्यक्ति के इधर-उधर जाने से बहुत असर नहीं पड़ता। जितना हमारी पार्टी ने आंदोलन किया है, किसी ने नहीं किया। आलू, गन्ना, पेट्रोल-डीजल के मामले में प्रदेश भर में प्रदर्शन किया गया है।

सपा की ओर से भले ही मध्य प्रदेश और उत्तराखंड समेत अन्य प्रदेशों में पांव पसारने की कोशिश शुरू की गई हो, लेकिन शिवपाल सिंह यादव के तेवरों से पार्टी को घर में ही बड़ी चुनौती मिल रही है। लोकसभा चुनाव के महज छह महीने पहले मोर्चा का गठन और फिर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाकर, सियासी समर में कूदे शिवपाल सिंह यादव सपा के लिए चुनौती बन रहे हैं। शिवपाल सिंह यादव का कहना है कि अब संघर्ष करने वाले हमारे साथ हैं। लोगों की उपेक्षा और अपमान के कारण यह नौबत आई है। उन्होंने कहा कि लोगों के कहने पर ही हमने नया रास्ता चुना है और हम सफल भी होंगे। हाल में एक कार्यक्रम में सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने भी शिवपाल सिंह यादव के साथ मंच साझा किया था। उन्होंने कहा था कि नेता जी (मुलायम सिंह) के बाद वह सबसे ज्यादा सम्मान शिवपाल सिंह यादव का करती हैं। इससे माना जा रहा है कि वह भी शिवपाल सिंह यादव के साथ हैं। सपा में राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव चाणक्य की भूमिका निभा रहे हैं। लोकसभा चुनाव से संबंधित रणनीति तैयार करने की जिम्मेदारी उन पर ही है।

समाजवादी पार्टी का मुख्य वोट बैंक यादव, मुसलिम और पिछड़ा वर्ग की अन्य जातियां हैं। जातिगत आधार पर देखें तो इसी वोट बैंक में शिवपाल सिंह यादव भी सेंध लगा रहे हैं। बाहुबली और निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का समाजवादी पार्टी से खासा नाता रहा है। वह सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं, लेकिन राज्यसभा चुनाव के दौरान उनके वोट को लेकर सपा से रिश्ते में तल्खी आई और उन्होंने भी नई पार्टी बनाने की घोषणा कर दी है। उनकी पार्टी में उनके मौसेरे भाई व पूर्व मंत्री अक्षय प्रताप सिंह और सवर्ण जाति के तमाम नेता हैं। सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे अरविंद सिंह गोप के भी उनके साथ जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। राजा भैया का कहना है कि पार्टी को लेकर तैयारियां चल रही हैं। इससे सपा की ठाकुर बिरादरी पर जो पकड़ थी, वह भी कमजोर होती नजर आ रही है। सपा के बागी राज्यसभा सांसद अमर सिंह ने विधानसभा चुनाव के पहले से ही भाजपा के पक्ष में बयानबाजी शुरू कर दी थी। सपा की एमएलसी सरोजनी अग्रवाल, यशवंत सिंह और बुक्कल नवाब, पूर्व राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल, पूर्व कैबिनेट मंत्री अशोक बाजपेयी भाजपा का दामन थाम चुके हैं। पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी भी बसपाई हो गए हैं। समाजवादी प्रबुद्ध प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपक मिश्रा और सपा के पूर्व राज्यसभा सांसद वीरपाल यादव ने भी सपा छोड़ दी। हालांकि, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी और नेता इस तरह की अभी और कई चुनौतियां सामने आने की बातें कर रहे हैं। खुद सपा मुखिया अखिलेश यादव इस तरह की बातों पर कह चुके हैं कि चुनाव तक और भी कई चीजें सामने आएंगी। इस पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अशोक सिंह का कहना है कि फिरकापरस्त ताकतों को रोकने की जिम्मेदारी सबकी है। परिवार को एक करने के लिए सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को पहल करनी चाहिए।

फिरोजाबाद में शिवपाल सिंह यादव ने किया शक्ति प्रदर्शन

शिवपाल सिंह यादव की पार्टी का सपा के ही ज्यादातर कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने दामन थामा है। बरेली में तो सपा को जिला कार्यकारिणी को ही भंग करना पड़ गया। सपा के महासचिव राम गोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव के संसदीय क्षेत्र में रोड शो कर अपनी ताकत का एहसास कराने वाले शिवपाल सिंह यादव आने वाले चुनाव में बड़ी समस्या बन सकते हैं। जिन क्षेत्रों में सपा का प्रभाव है, उनमें शिवपाल की भी गहरी पकड़ है और लोगों ने उनके साथ खुलकर आना भी शुरू कर दिया है। रोड शो में सिरसागंज के विधायक हरिओम यादव का पहुंचना इसका संकेत है कि चुनाव से पहले चाचा शिवपाल भतीजे अखिलेश यादव की पार्टी में गहरी सेंध लगा सकते हैं, जिसका फायदा भाजपा को मिलना तय है। शिवपाल कुनबे की पारिवारिक कलह से पहले तक सपा के प्रभाव वाले क्षेत्रों के राजनीतिक समीकरण अपने ढंग से तय करते रहे हैं। इसीलिए समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का गठन करने के बाद उन्हें इन क्षेत्रों में ही अपनी पार्टी को अधिक मजबूती मिलने की उम्मीद है। इटावा के पूर्व विधायक रघुराज सिंह शाक्य शुरू से ही उनके साथ खड़े नजर आए, वहीं सिरसागंज के विधायक और उनके बेटे पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष विजय प्रताप उर्फ छोटू यादव तथा मीना राजपूत समेत कई लोगों ने रोड शो में शक्ति प्रदर्शन में खुलकर उनका साथ दिया। मैनपुरी को छोड़ दिया जाए (जहां से शिवपाल मुलायम सिंह यादव को चुनाव लड़ाने की घोषणा पहले ही कर चुके हैं), तो इटावा, कन्नौज, फिरोजाबाद में मोर्चा का प्रभाव देखने को मिल सकता है। सपा का नाम लिए बिना वह इशारा करते हैं कि जिन पार्टियों को नौजवानों-किसानों की समस्याओं के लिए सत्ता से लड़ना चाहिए था, वह दूसरे प्रदेशों में जाकर भाजपा की मदद कर रही हैं। ऐसे में पार्टी को लोगों का सहज समर्थन मिल रहा है। हालांकि, प्रदेश सरकार की ओर से उनके आइएएस दामाद अजय यादव की प्रतिनियुक्ति बढ़ाने और उनको बंगला देने पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

विधानसभा चुनाव में हार के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भाजपा के फार्मूले से ही भाजपा को हराने की कोशिश में हैं। इसलिए उन्होंने प्रदेश में छोटे दलों निषाद पार्टी, पीस पार्टी और रालोद से गठबंधन कर लिया है। बसपा से गठबंधन के बारे में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि बसपा से गठबंधन की घोषणा जल्द की जाएगी। समाजवादी पार्टी प्रदेश में अधिक से अधिक मतदाताओं को जोड़ने पर जोर दे रही है। तमाम समस्याओं को लेकर सपा के सड़क से सदन तक संघर्ष करने के बारे में उनका कहना है कि पहले हमारी जिम्मेदारी वोट बढ़ाने की है। कई जगहों से सूचनाएं आ रही हैं कि भाजपा प्रशासन के माध्यम से फर्जी वोटर बनवा रही है। अगर शिकायतें हैं तो उन्हें दूर करने का काम राजनीतिक लोगों का भी है।

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