Advertisement

“हर संस्था की साख हुई चौपट”

केंद्र सरकार सभी संस्थाओं को ही ध्वस्त कर रही है, ऐसे माहौल में सुप्रीम कोर्ट का रोल बेहद अहम
सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण

सीबीआइ विशेष निदेशक राकेश अस्‍थाना के खिलाफ पहले भी और अब फिर अदालत में अर्जी लगाने  वाले वकील प्रशांत भूषण का मानना है कि अब सुप्रीम कोर्ट का रुख बदला हुआ लग रहा है। उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में संस्थाओं को मजबूत करने में अदालत की अहम भूमिका हो सकती है। पूरे सीबीआइ विवाद पर एसोसिएट एडिटर प्रशांत श्रीवास्तव ने उनसे बात की है। प्रमुख अंशः

-सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ डायरेक्टर आलोक वर्मा मामले की सुनवाई करते हुए केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को दो सप्ताह में जांच पूरी करने के निर्देश दिए हैं, इस फैसले को आप किस तरह देखते हैं?

यह बहुत अच्छा ऑर्डर है। इससे तीन चीजें हो गईं। एक तो यह है कि आलोक वर्मा को हटाने के लिए उनके खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं, उसकी अब उचित और निष्पक्ष जांच हो पाएगी। आखिर कोर्ट ने जांच की निगरानी के लिए पूर्व जस्टिस ए.के. पटनायक को सुपरवाइज करने को कह दिया है। इससे केंद्रीय सतर्कता आयोग अपनी मनमानी नहीं कर पाएगा। दूसरी अहम बात यह है कि सीवीसी को दो हफ्ते में जांच पूरी करने के निर्देश दिए हैं। अब एक निश्चित समय में जांच पूरी हो जाएगी, नहीं तो ये लोग उसे लटकाकर रखते। तीसरी बात यह हुई है कि सरकार ने नागेश्वर राव को अंतरिम डायरेक्टर बनाया था, उसके भी अधिकार सुप्रीम कोर्ट ने सीमित कर दिए। साथ ही अंतरिम डायरेक्टर बनाए जाने के बाद उन्होंने जो फैसले लिए हैं, उसकी भी जानकारी कोर्ट को देनी होगी।

-सीबीआइ विवाद में आलोक वर्मा के अलावा एक अहम किरदार राकेश अस्थाना हैं, उन पर अब कोर्ट का क्या रुख होगा?

सुप्रीम कोर्ट ने हमारी याचिका में नोटिस जारी किया है। याचिका में हमारी मांग है कि राकेश अस्थाना को सीबीआइ से हटाया जाय। इसके अलावा एक और मांग है कि सीबीआइ के जिन अधिकारियों के खिलाफ आरोप हैं, उसकी जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) का गठन कर दिया जाय।

सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कैसी नजीर स्थापित कर सकता है?

यह फैसला एक डायरेक्शन दे रहा है। अब कोर्ट के डायरेक्शन में बदलाव आया है जो बेहद महत्वपूर्ण है। पिछले चीफ जस्टिस के दौर में तो हम लोग इस तरह के फैसले की उम्मीद ही नहीं कर सकते थे। लेकिन अब तो कम से कम यह दिख रहा है कि सरकार से स्वतंत्र सुप्रीम कोर्ट खड़ा है।

-आपने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शन में बदलाव आया है, इसका क्या असर होगा?

यह अच्छे संकेत दे रहा है। केंद्र सरकार तो सभी संस्थाओं को ही ध्वस्त कर रही है। उसने सीवीसी, सीबीआइ को ध्वस्त कर दिया, लोकपाल नहीं बनाया, चुनाव आयोग को ध्वस्त करने की पूरी कोशिश है। ऐसे माहौल में सुप्रीम कोर्ट का बहुत अहम रोल बन जाता है।

-सीवीसी की सिफारिश पर सरकार ने जिस तरह रातोरात सीबीआइ डायरेक्टर को छुट्टी पर भेजा, क्या इसका उसके पास अधिकार है?

सीवीसी या सरकार के पास सीबीआइ डायरेक्टर को हटाने का अधिकार ही नहीं है। हटाना तो छोड़िए उसे छुट्टी पर भी भेजने का अधिकार नहीं है। जिस तरह से रातोरात कार्रवाई हुई, वह पूरी तरह गलत है।

-पिछले कुछ वर्षों से कई सीबीआइ डायरेक्टर विवादों में रहे हैं, इसे आप किस तरह देखते हैं?

आलोक वर्मा पर लगे आरोप बोगस हैं। मान लीजिए डायरेक्टर विजय माल्या को पकड़े और वह कहे कि डायरेक्टर मुझसे पैसे मांग रहा था, तो उसे आप सही नहीं मान सकते हैं। अस्थाना ने तो वर्मा पर अभी अगस्त में आरोप लगाए हैं जबकि वर्मा ने अस्थाना के ऊपर काफी पहले स्टर्लिंग बॉयोटेक से लेकर कई सारे मामलों में जांच शुरू कर दी थी। अस्थाना की छवि पर तो पहले से ही सवाल है। जिस आदमी पर अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप है, उसके बारे में आप क्या कहेंगे।

-पुराने और इस मामले को देखते हुए सीबीआइ की साख पर किस तरह से असर हुआ है?

सीबीआइ की साख बुरी तरह से गिरी है। खास तौर से जब से ये सरकार आई है, तब से स्थिति और बिगड़ गई है।

-सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच को अपनी निगरानी में लेने के बाद क्या आपको लगता है कि सीबीआइ की साख में सुधार आएगा?

इसके लिए बहुत सारी चीजें करनी पड़ेंगी। आलोक वर्मा को दोबारा निदेशक बनाना पड़ेगा। सारे भ्रष्ट लोगों को हटाना होगा। इसके अलावा नियुक्ति के सिस्टम को ठीक करना होगा। सीबीआइ के ऊपर से सरकार का प्रशासनिक कंट्रोल हटाना होगा। उसके बाद ही साख में सुधार होगा।

-सीबीआइ का बेजा इस्तेमाल करने के आरोप पहले की सरकारों पर भी लगते रहे हैं, उस दौर और मौजूदा दौर में क्या अंतर है?

इसके पहले भी सीबीआइ का दुरुपयोग किया जाता रहा है। लेकिन इस सरकार के दौर में डिग्री बढ़ी है। पहले ऐसा नहीं होता था कि रातोरात आप सीबीआइ डायरेक्टर को छुट्टी पर भेज दो। आपने जिसे अंतरिम डायरेक्टर बनाया है, उस पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं।

Advertisement
Advertisement
Advertisement