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भर्तियां जो होती नहीं

योगी सरकार की भर्तियां भी विवादों में घिरीं, पारदर्शिता की कथित प्रक्रिया में बदलाव भी सवालों में
कब मिलेगी नौकरीः लखनऊ के रोजगार कार्यालय में युवाओं की भीड़

पहले आवेदन, फिर आंदोलन और आखिर में अदालत के आदेश के बाद नियुक्ति पत्र। देश के कई राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी सरकारी नौकरियों का यही सच है। सो, नौकरी मिलते-मिलते कई बार वर्षों लग जाते हैं या सिर्फ नौकरी की उम्मीद में साल-दर-साल कटते चले जाते हैं। यूपी में जहां पिछली सरकार के जमाने में की गई भर्तियों के परिणाम सीबीआइ और अन्य एजेंसियों की जांच में लटके पड़े हैं। वहीं, मौजूदा सरकार ने व्यवस्था को कथित तौर पर पारदर्शी बनाने के लिए जो बदलाव किए उससे भी कोई फर्क नहीं पड़ा। मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने के बाद जितनी भर्तियां शुरू की गई हैं, उनमें ज्यादातर विवादों के साए में हैं। किसी में पेपर लीक हो गया तो किसी में बड़े पैमाने पर धांधलियां सामने आ चुकी हैं।

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की सम्मिलित अवर तकनीकी सेवा परीक्षा 2013 का परिणाम अभी तक नहीं आ सका है। आयोग के एक पूर्व सदस्य ने बताया कि कुछ खास कर्मचारियों से ही काम लेना इसका मुख्य कारण है। उन्होंने बताया, “भर्तियों की सीबीआइ जांच के अलावा आयोग को विशेषज्ञों की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है। आयोग के विशेषज्ञों का रोजाना मानदेय हाल में बढ़ाकर 2,250 रुपये किया गया है, जबकि दूसरे आयोगों में विशेषज्ञों को 5,000 रुपये से ज्यादा मिलते हैं।” आयोग की ओर से हाल में लेक्चरार पद के लिए कराई गई परीक्षा भी संदेह के घेरे में है। जून में पीसीएस (मेन) परीक्षा के दौरान इलाहाबाद में एक केंद्र पर पहली पाली में सामान्य हिंदी के बजाय दूसरी पाली में होने वाले हिंदी निबंध का प्रश्न-पत्र बंट गया। इसके बाद दोनों पाली की परीक्षा निरस्त करनी पड़ी।

उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में 2016 के बाद से शुरू हुई करीब 13 भर्तियों में से किसी में सिर्फ विज्ञापन निकला है, किसी में परीक्षा ही हो पाई है और कुछ का इंटरव्यू होना बचा है। योगी सरकार ने पिछली भर्तियों की विजिलेंस जांच के आदेश दे रखे हैं। फाइनल रिजल्ट से पहले

विजिलेंस से क्लियरेंस भी जरूरी कर दिया है। इस फैसले के बाद भर्तियों का नए सिरे से वर्गीकरण कर प्रक्रिया शुरू की गई। आयोग की ओर से करीब 4,700 भर्तियों के लिए विज्ञापन निकाले गए हैं। इनमें से 700 पदों के लिए लिखित परीक्षा हो चुकी है। कुछ भर्तियों के परिणाम भी जारी हुए हैं। गन्ना पर्यवेक्षक के 874 पद के लिए जून में, अवर अभियंता के 757 पद के लिए अप्रैल में और ग्राम्य विकास अधिकारी के 3,133 पद के लिए  फाइनल रिजल्ट जुलाई में जारी किया गया। कनिष्ठ सहायक के 5,306 पदों के लिए साक्षात्कार की प्रक्रिया चल रही है। सहायक लेखाकार और लेखा परीक्षक के 2,712 पदों के लिए दिसंबर तक इंटरव्यू चलेंगे। नलकूप चालक के 3,210 पदों के लिए परीक्षा मेरठ में पर्चा लीक होने के कारण निरस्त करनी पड़ी। आयोग ने इस परीक्षा की जिम्मेदारी निजी एजेंसी न्यासा को सौंपी थी।

उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने पुलिस कांस्टेबल के 41, 520 पदों के लिए 18-19 जून को परीक्षा कराई थी। इलाहाबाद और इटावा में दो केंद्रों पर पहली पाली में दूसरी पाली का प्रश्न पत्र बंट गया था। इसके कारण दूसरी पाली की परीक्षा निरस्त करनी पड़ी। केंद्र सरकार के कर्मचारी चयन आयोग की ब्लैक लिस्ट में शामिल एक निजी कंपनी को इस परीक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी। अब यह परीक्षा 25 और 26 अक्टूबर को होगी।

उत्तर प्रदेश विद्युत सेवा आयोग में सहायक समीक्षा अधिकारी की सीधी भर्ती की प्रक्रिया तो 2016 से ही चल रही थी। इस साल फरवरी में जब परीक्षा हुई तो भारी गड़बड़ी के चलते निरस्त करनी पड़ी। दोबारा परीक्षा 13 और 15 सितंबर को हुई। इस दौरान भी गोरखपुर सेंटर से दो सॉल्वर पकड़े गए। परीक्षा कक्ष निरीक्षक ही अभ्यर्थी के स्थान पर परीक्षा देते पाए गए। आयोग के अध्यक्ष एके पुरवार ने बताया कि जेई पद के 226 चयनितों का परिणाम जारी कर दिया गया है। इसके अलावा कार्यालय सहायक और निजी सचिव पद पर परीक्षाएं चल रही हैं। वहीं, आठ अक्टूबर को होने वाली बीटीसी (बेसिक टीचर सर्टिफिकेट) वर्ष 2015 की चतुर्थ  सेमेस्टर की परीक्षा एक दिन पहले प्रश्न-पत्र सोशल मीडिया में वायरल होने के कारण निरस्त करनी पड़ी।

कार्यालय परीक्षा नियामक प्राधिकारी, इलाहाबाद की ओर से निकाली गई 68,500 पदों पर शिक्षकों की भर्ती भी काफी विवादित रही। पहले आरक्षण को लेकर विवाद हुआ फिर मूल्यांकन पर सवाल उठे। पास अभ्यर्थी को फेल और अनुपस्थित अभ्यर्थी को पास कर देने का मामला भी सामने आया। लिखित परीक्षा में शामिल हुए 17,825 अभ्यर्थियों की उत्तर-पुस्तिकाओं की स्क्रूटनी की गई तो 343 अभ्यर्थियों की उत्तर-पुस्तिकाओं में नंबर जोड़ने में गलतियां मिलीं। परीक्षा से संबंधित कुल 285 शिकायतें मिली थीं। इनमें से 40 मामले सही उत्तर देने पर भी अंक नहीं देने के थे। 60 मामले ऐसे थे जिनमें कटिंग और ओवरराइटिंग के कारण अंक नहीं दिए गए थे, लेकिन ऐसे ही दूसरे पांच मामलों में अंक दिए गए थे। इन गड़बड़ियों की जांच के लिए प्रमुख सचिव (गन्ना) संजय आर. भूसरेड्डी की अध्यक्षता में बनी समिति ने पांच अक्टूबर को सरकार को रिपोर्ट सौंपी। इसमें पर्यवेक्षण कार्य में लापरवाही के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय, इलाहाबाद के तत्कालीन रजिस्ट्रार जीवेंद्र सिंह ऐरी और मौजूदा डिप्टी रजिस्ट्रार प्रेमचंद कुशवाहा को निलंबित करने की सिफारिश की गई है।

नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव मुकुल सिंघल ने आउटलुक को बताया, “उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग और अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने बीते एक साल में रिकॉर्ड 11 हजार भर्तियां की हैं। आगे और तेजी से परीक्षाएं होंगी और नतीजे आएंगे। व्यवस्था को दुरुस्त और पारदर्शी बनाने के लिए अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष सीबी पालीवाल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। इस समिति की रिपोर्ट आने के बाद प्रक्रिया में कई बदलाव संभव हैं।”

निजी एजेंसी के विशेषज्ञों का कहना है कि पूर्व में टेंडर नहीं होने के कारण परीक्षा कराने वाली एजेंसियों का नाम सामने नहीं आता था। लेकिन, भाजपा सरकार बनने के बाद पारदर्शिता के नाम पर टेंडर होने के कारण एजेंसियों की जानकारी सार्वजनिक हो गई। इससे अनियमितताएं बढ़ीं और परीक्षाएं निरस्त करनी पड़ीं। इस संबंध में पूछे जाने पर सीबी पालीवाल ने बताया कि सुधार के लिए कई बदलाव किए जा रहे हैं। इंटरव्यू के लिए अब विशेषज्ञों को सिर्फ रोल नंबर दिए जा रहे हैं। परीक्षा में ओएमआर सीट दो के बजाय तीन दी जा रही है। उन्होंने आउटलुक को बताया, “प्रक्रिया को लेकर उठ रहे सवालों से सरकार को भी अवगत कराया गया है।” 

 लीक का खेल

-14 मई 2017 को एसएससी मल्टीटास्किंग स्टाफ परीक्षा का पेपर वॉट्सऐप पर लीक, आगरा से एसटीएफ ने दो लोगों को गिरफ्तार किया

-यूपी पुलिस की एसआइ भर्ती ऑनलाइन परीक्षा का पेपर लीक, एसटीएफ ने 22 अगस्त 2017 को पेपर हैक करने वाले गैंग के सात लोगों को गिरफ्तार किया

-एसटीएफ ने 10 और 12 नवंबर 2017 को हुई हाइकोर्ट की ग्रुप सी तथा डी की परीक्षा में गड़बड़ी करने के आरोप में 20 लोगों को इलाहाबाद, गोरखपुर और लखनऊ से गिरफ्तार किया

-28 मार्च 2018 को यूपीपीसीएल भर्ती परीक्षा के पेपर लीक और सॉल्वर गैंग का पर्दाफाश करते हुए 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया

-17 मार्च 2018 को मेरठ यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस समेत अन्य परीक्षाओं की कॉपियां बाहर से लिखवाने वाले गैंग का पर्दाफाश हुआ

-जुलाई में एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा मामले में एसटीएफ ने 18 सॉल्वर गिरफ्तार किए

-शिक्षक भर्ती में 10 अफसरों पर कार्रवाई, सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी सुत्ता सिंह निलंबित, रजिस्ट्रार जीवेंद्र सिंह ऐरी का तबादला

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