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बदलो वरना नहीं बदलेगी तस्वीर

सही पाठ्यक्रम के चुनाव के लिए बिजनेस एजुकेशन के क्षेत्र में उभरते रुझानों की सटीक जानकारी जरूरी
कामयाबी के लिए लगातार पढ़ते रहना, सीखना और अपने हुनर को निखारना जरूरी

अच्छे कॅरिअर के लिए “एमबीए” करना जरूरी है। देश में यह धारणा इतनी मजबूत है कि लोग गुण-दोष का आकलन किए बगैर ही इस पर आंख मूंद कर भरोसा कर लेते हैं। सच्चाई यह है कि एमबीए करने वालों में चंद लोग ही प्रबंधकीय पदों तक पहुंच पाते हैं और अधिकांश एक सामान्य ग्रेजुएट की ही तरह नौकरी करते हैं। इससे बाजार में कम योग्यता वाले एमबीए ग्रेजुएट की तादाद बढ़ी है, जो किसी अनुभव के अभाव में अंडरग्रेजुएट की तरह ही काम करते रहते हैं। बेहतर संभावनाओं के लिए, कई उम्मीदवारों को एमबीए से पहले कुछ समय तक काम करना उपयोगी लग सकता है। और, उन्हें कहां पढ़ाई करनी है, इसके चयन में सावधानी बरतने की जरूरत है।

अगले दो वर्षों तक अर्थव्यवस्था के लिए विपरीत परिस्थितियां चरम पर होंगी, जिससे विकास और नौकरियां प्रभावित होंगी। तो भला एक उम्मीदवार यह कैसे चुनाव करता है कि उसे क्या करना है और इसे कहां से करना है? व्यावसायिक शिक्षा के रुझानों और जॉब मार्केट में मौजूदा अंतर के रुझान पर नजर डालना समझदारी वाली बात हो सकती है। एमबीए या बिजनेस डिग्री भी धीरे-धीरे विकसित हो रही है। अमेरिका में शुरू हुए एमबीए का फ्रेमवर्क सेना या चर्च से लिया गया, जो उलटे पिरामिड की तरह थे। भारतीय बिजनेस स्कूलों सहित मौजूदा व्यावसायिक शिक्षा का ढांचा 1960 के दशक में विकसित हुई और प्रबंधन का आधार समाज विज्ञान की ओर मुड़ गया। यह आज भी अस्पष्ट है, लेकिन तकनीक क्रांति से बिजनेस डिग्री वैज्ञानिक आधार  की ओर बढ़ रही है।

ऑनलाइन मौजूदगी के साथ-साथ कारोबार तेजी से बदल रहा है। कंपनी और ग्राहक मध्यस्थों की जगह प्रौद्योगिकी के जरिए एक-दूसरे से जुड़े हैं। कंपनियों के पास अपने बाजार और ग्राहकों के बारे में ढेर सारी संगठित जानकारी के साथ-साथ असंगठित जानकारियां भी हैं। साथ ही, वे आभासी दुनिया में जो कुछ करते हैं, उसका तुरंत आकलन भी कर सकते हैं। कंपनियों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि जिन सूचनाओं तक उनकी पहुंच हो सकती है, उनका वे बेहतर तरीके से कैसे इस्तेमाल करें।

यह अंतर अमेरिका में बिजनेस में एमएससी पाठ्यक्रम शुरू करने का कारण बना। इसे यूसी डेविस के डॉ. प्रसाद नाईक ने ‘प्रबंधन 3.0’ कहा है। यह पाठ्यक्रम प्रबंधन और बड़े या असंगठित डेटा की व्याख्या पर केंद्रित है। इसके अलावा, सभी जगहों पर कई बेहतरीन बिजनेस स्कूलों ने ‘बिजनेस एनालिटिक्स या बिग डेटा एनालिटिक्स’ पर पाठ्यक्रम शुरू किया है। ‘बिजनेस एनालिटिक्स’ के उच्च मांग वाला व्यवसाय बनने की संभावना है, इसलिए इस क्षेत्र में एमबीए के साथ विशेषज्ञता हासिल करना समझदारी वाला कदम हो सकता है। बिजनेस प्रोग्राम में डिजिटल मार्केटिंग और फाइनेंस जैसे लघु अवधि और विशेषज्ञता वाले विभिन्न पाठ्यक्रम भी हैं, जिसे एमबीए के बाद या प्री एमबीए क्वालिफिकेशन के तौर पर निरंतर विकास के साधन के रूप में देखा जा सकता है।

ग्लोबल एमबीए प्रोग्राम के अलावा भारत में कई अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय भी हैं, जो आपको विदेशी कैंपस में एमबीए करने की इजाजत देते हैं। ग्लोबल एमबीए से आपको विभिन्न संस्कृतियों और कार्यशैलियों का अनुभव मिलता है, जो आपको एक बहुराष्ट्रीय संगठन में काम करने के लिए तैयार करता है।

भारतीय बी-स्कूलों की तुलना में अधिकांश ग्लोबल बी-स्कूलों में अपेक्षाकृत अधिक व्यावहारिक पाठ्यक्रम हैं और वे बेहतर टीम बनाकर नतीजे देने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। हालांकि, भारतीय संस्थान अधिकांश वैश्विक संस्थानों की तुलना में प्लेसमेंट के मामले में अच्छी तरह संगठित हैं। भारत में बी-स्कूलों में प्लेसमेंट सत्र होते हैं। वे संगठनों को बुलाते हैं और अपने छात्रों को प्लेसमेंट दिलाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ग्लोबल स्कूलों में इनमें से अधिकांश छात्रों पर छोड़ दिया जाता है। हालांकि, वे छात्रों को विकल्प और संपर्क मुहैया कराते हैं। साथ ही, इस समय विदेश जाने की जगह भारत से ही ग्लोबल एमबीए करना ज्यादा सस्ता है। अगले दशक में या उससे पहले ही, यह डिग्री हासिल करने और इंतजार करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। ऑनलाइन प्रशिक्षण और कोर्स डिलिवरी के साथ तेजी से बदल रहा पर्यावरण, एक ऐसा माहौल तैयार करेगा, जिसमें वैसे लोग सफल होंगे जो लगातार पढ़ेंगे, चीजों को समझेंगे और अपने कौशल को अपग्रेड करते रहेंगे।

(लेखक दृष्टि स्ट्रैटिजिक रिसर्च सर्विस के एमडी और www.prep4future.org के मेंटोर हैं)

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