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ट्रंप की ये दुश्वारियां

वाटरगेट से तुलना दूर की कौड़ी है लेकिन ट्रंप को लेकर मच रही चीख-पुकार की उपेक्षा नहीं की जा सकती
घुमड़ते बादलः ट्रंप दूसरों नहीं, अपने सहयोगियों से ही इस कदर परेशान कि कहीं निक्सन जैसी हालत न हो जाए

अमेरिकी राष्‍ट्रपति रिचर्ड निक्‍सन के 1974 में इस्‍तीफे के बाद से ही अंग्रेजीभाषी जगत में यह प्रवृत्ति देखी गई है कि वह हर बड़े सियासी घोटाले की तुलना वाटरगेट से कर डालता है। वाटरगेट कांड वह विवाद था जिसमें वाटरगेट परिसर के भीतर डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी के दफ्तर की जासूसी और प्रच्‍छन्‍न गतिविधियों की कोशिश को नाकाम किया गया था। इसकी योजना अगले चुनावों में जीतने के लिए निक्‍सन ने बनाई थी। जब कभी किसी की सत्ता को बड़ा खतरा पहुंचने की कोई संभावना नजर आती है, समाचार प्रतिष्‍ठान उक्‍त विवाद के साथ बड़े उत्‍साह से “गेट” जोड़ दिया करते हैं। अमेरिकी संदर्भ में तो शायद इसका इतना ज्‍यादा प्रयोग हुआ है कि यह रूढ़ हो चुका है।

राजनीतिक टिप्‍पणीकार मैट बे कहते हैं, “करीब आधी सदी तक वुडवर्ड और बर्नस्‍टीन जैसे पत्रकारों ने प्रत्‍येक आलोचनात्‍मक उद्घाटन को वाटरगेट के साथ तौलने का काम किया है, वो भी बिना किसी परिप्रेक्ष्‍य के, जिसके चलते अमेरिकी युवाओं की समूची पीढ़ी ही भ्रम में पड़ गई कि वे दरअसल बात किस बारे में कर रहे थे।”

हाल के विस्‍फोटक घटनाक्रम बताते हैं कि राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के विचारों, नीतियों और कार्यशैली को लेकर उनके करीबी सहयोगियों और उनकी टीम के सदस्‍यों के बीच आंतरिक प्रतिरोध और असंतोष बढ़ता जा रहा है। इसके चलते टिप्‍पणीकारों ने एक बार फिर कयास लगाना शुरू कर दिया है कि कहीं यह वाटरगेट-2 न साबित हो।

इस कयास को हवा देने का काम किया है बॉग वुडवर्ड की नई किताब फियर ः ट्रंप इन द ह्वाइट हाउस ने, जो ट्रंप प्रशासन का कच्‍चा-चिट्ठा है। उसके ठीक बाद न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स के ओप-एड पन्‍ने पर ट्रंप प्रशासन के एक कथित “वरिष्‍ठ अधिकारी” के लिखे अनाम लेख ने आग में घी डालने का काम किया, जिसमें ट्रंप के दफ्तर में पैदा किए जा रहे आंतरिक अवरोधों की बात की गई है।

अहम बात यह है कि पूर्व राष्‍ट्रपति बराक ओबामा, जो अब तक ट्रंप का नाम लेने से बचते रहे, ने भी अपनी चुप्‍पी तोड़ दी है और उनकी सार्वजनिक आलोचना कर डाली है।

बे कहते हैं, “यह चुटकुला हमारे ऊपर है। ह्वाइट हाउस का आंतरिक संकट अब बढ़ता जा रहा है, जिसमें निक्‍सन के दूसरे चुनाव के अभियान और नाकाम हुए दूसरे कार्यकाल की अनुगूंजें तमाम तरीकों से सुनाई पड़ रही हैं। इसलिए हमारे पास इसके साथ न्‍याय करने का कोई और तरीका नहीं सूझ रहा।” वे निक्‍सन के जीवनीकार जॉन ए. फैरेल को उद्धृत करते हैं और दावा करते हैं कि उन्‍होंने बे को हाल ही में यह बात बताई थी कि “ये वाला गेट (घोटाला) गुणात्‍मक रूप से गेट कहे जाने लायक है।”

वुडवर्ड अपनी किताब में बताते हैं कि कैसे राष्‍ट्रपति के पूर्व मुख्‍य आर्थिक सलाहकार ने ओवल कार्यालय के डेस्‍क से कुछ अहम कागजात इसलिए चुरा लिए थे, ताकि ट्रंप को दक्षिण कोरिया के साथ एक निर्णायक मुक्‍त व्‍यापार समझौता तोड़ने से रोका जा सके। किताब में कई सलाहकारों और स्‍टाफ के सदस्‍यों के बयान हैं-जिनमें से कई अब जा चुके हैं- जिसमें वे ट्रंप को ‘इडियट’ से लेकर ‘सनकी’ और ‘छठी पास’ और ‘जन्‍मजात झूठा’ बताते हैं।

वुडवर्ड ने एक और खतरनाक दावा यह किया है कि ट्रंप ने सीरिया के राष्‍ट्रपति बशर-अल-असद की हत्‍या के लिए कहा था, क्‍योंकि वे वहां की जनता के खिलाफ सीरियाई सरकार द्वारा रासायनिक हथियारों के कथित प्रयोग से क्षुब्‍ध थे। यह ट्रंप के पूर्ववर्ती सात राष्‍ट्रपतियों द्वारा अपनायी गई नीति को पलटने जैसा है। उनसे पहले हालांकि नीति अलग थी।

सीनेट कमेटी की एक रिपोर्ट ने पाया था कि आइजनहॉवर के राष्‍ट्रपतित्‍व काल से लेकर शीतयुद्ध तक अमेरिका ने ‘प्रतिकूल’ सत्ताओं के प्रमुखों की हत्‍या की कोशिश की थी, जिनमें एक कुख्‍यात केस क्‍यूबा के फिदेल कास्‍त्रो का था। इसके अलावा कांगो में पैट्रिस लुमुम्‍बा, दक्षिणी वियतनाम में नो दिन्‍ह दिएम, चिली के सैन्‍य कमांडर रेने श्‍नाइडर और डोमिनिकन गणराज्‍य के तानाशाह रफाल ट्रुजिलो की हत्‍या की भी साजिश रची गई थी।

कई ऐसे प्रयास थे, जिनका सीधा आदेश ह्वाइट हाउस से नहीं आया था लेकिन जिनमें अमेरिकी हाथ होने का संदेह था। जेराल्‍ड फोर्ड जब निक्‍सन की जगह राष्‍ट्रपति बनकर आए, तो उन्‍होंने एक कार्यकारी आदेश जारी कर कहा कि अब संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका के प्रशासन का कोई भी कर्मचारी “राजनीतिक हत्‍या में लिप्‍त नहीं होगा या लिप्‍त होने की साजिश नहीं करेगा।” वुडवर्ड के अनुसार ट्रंप असद और उनकी टीम के आला सदस्‍यों की जान लेना चाहते थे।

अमेरिकी अखबार न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स में छपे अनाम लेखक ने वुडवर्ड के साथ सहमति जताते हुए अमेरिकियों को यह कहते हुए आश्‍वस्‍त करने की कोशिश की थी, “हम पूरी तरह स्वीकारते हैं जो हो रहा है। और हम कोशिश कर रहे हैं कि जो सही है वो करें, भले ट्रंप गलत कर रहे हों।”

यह एक अजीब स्थिति है। न्‍यूयॉर्कर में छपे एक आलेख में ब्रुकिंग्‍स के विद्वान थॉमस राइट को उद्धृत किया गया है जो कहते हैं, “शायद यह इतिहास में पहला मौका है जब प्रशासन के भीतर मौजूद अहम सलाहकार राष्‍ट्रपति को समर्थ बनाने के बजाय उन्‍हें रोक रहे हैं।”

वुडवर्ड की किताब का हवाला देते हुए ड्वाइट गार्नर जैसे कुछ आलोचक कह रहे हैं कि “इस पुस्‍तक में यदि कोई बात याद रखने लायक है तो वह यह कि अमेरिका का राष्‍ट्रपति जन्‍मजात झूठा है।” कुछ और लोगों का मानना है कि सार्वजनिक मंच पर ट्रंप के आविर्भाव के समय से ही उनके झूठ को पर्याप्‍त कवर किया गया है और जब-जब उन्‍होंने जो कुछ कहा सब सार्वजनिक है। कुछ टिप्‍पणीकारों का मानना है कि मौजूदा विवाद और वाटरगेट के बीच यही एक बुनियादी फर्क है।

वॉक्‍स में एजरा क्‍लीन लिखते हैं, “वाटरगेट टेप अमेरिकी इतिहास का एक चौंकाने वाला अध्‍याय है। निक्‍सन ने अपने अपराधों को स्‍वीकार किया और इस प्रक्रिया में खुद को रिकॉर्ड किया।” सटीक रिपोर्टिंग के लिए राष्‍ट्रपति के संवादों को रिकॉर्ड करने का चलन रूजवेल्‍ट के दौर में शुरू हुआ था। निक्‍सन के टेप मौजूद होने की बात सीनेट में वाटरगेट कमेटी की सुनवाई के दौरान सामने आई। बॉब वुडवर्ड और कार्ल बर्नस्‍टीन की किताब द फाइनल डेज के मुताबिक, समस्‍या को गंभीर बनाने वाला इकलौता सूत्र था राष्‍ट्रपति का टेप। निक्‍सन के वकीलों को टेप के बारे में नहीं पता था। क्‍लीन लिखते हैं, “इसीलिए वाटरगेट कांड का लेना-देना उन टेपों, खासकर टेपों को सार्वजनिक करने की जंग से है, ताकि निक्‍सन की आत्‍मस्‍वीकृतियों को सार्वजनिक किया जा सके। टेप नहीं होते तो संभवत: उनका इस्‍तीफा भी नहीं होता।”

ट्रंप के पद संभालने के महीनों बाद भी कई पर्यवेक्षक यह उम्‍मीद पाले रहे कि उनकी टीम के पुराने और बुजुर्ग सदस्‍य-भले ही उनमें ट्रंप की कट्टर सोच के कुछ पैरोकार भी हों-राष्‍ट्रपति के उतावलेपन और उन चरमपंथी नीतियों व नजरिए पर कुछ लगाम लगा सकेंगे जो अमेरिकी हितों का नुकसान करते हों। इनमें से कई अब जा चुके हैं। जो बचे हैं वे ट्रंप के कट्टरपंथ पर लगाम कसने की जंग में पीछे हट रहे हैं।

ट्रंप के चर्चित आलोचक नेब्रास्‍का के रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर बेन सेस ने हाल ही में दिए एक इंटरव्‍यू में कहा, “यह सब कुछ बिलकुल वैसा ही है जिसे हममें से कई लोग ह्वाइट हाउस के कुछ आला अधिकारियों से हफ्ते में तीन बार सुनते आए हैं। इसीलिए यह थोड़ा चिंताजनक तो है लेकिन इसमें कोई आश्‍चर्य जैसी बात नहीं है।”

न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स के अनाम लेखक की पहचान को लेकर अटकलें जारी हैं लेकिन सीएनएन की वेबसाइट पर कुछ संभावित नाम प्रकाशित किए गए थे। इनमें ट्रंप को छोड़ गए कई सहयोगियों से लेकर उपराष्‍ट्रपति माइक पेंस, ट्रंप की बेटी इवांका, उनके पति जेरेड कुश्‍नर और उनकी पत्‍नी मेलेनिया का भी नाम शामिल था।

इनमें से कई ने इस बात का खंडन किया है कि उन्‍होंने यह लेख लिखा था या फिर उन्‍होंने वुडवर्ड को इस बाबत कोई सूचना दी कि ट्रंप को वहां किन नामों से बुलाया जाता है। यहां तक कि रिपब्लिकन पार्टी भी अब तक कोई बयान देने से बचती आई है। हो सकता है कि नवंबर में होने वाले अहम मध्‍यावधि चुनावों से इनके पक्ष में कोई बदलाव आए कि वे ट्रंप का समर्थन जारी रखें या फिर संभावित महाभियोग प्रस्‍ताव का समर्थन करें। इस मामले में ओवल कार्यालय के दूसरे सदस्यों सहित पेंस के लिए अधिकतम संभव विकल्‍प यह हो सकता है कि वे 25वें संशोधन का सहारा लेकर राष्‍ट्रपति को ‘राज करने के अयोग्‍य’ घोषित कर दें।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और वाटरगेट को लेकर इस नाटकीय तुलना से उपजे नाटक के बीच फिलहाल अमेरिका की जनता और बाकी दुनिया को जल्‍द कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है।

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