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हर घर को बिजली की सौगात

चौदह महीने में ही देश की टॉप टेन कंपनी में शुमार हो चुकी है हरटेक सोलर
हरटेक सोलर के संस्थापक सिमरप्रीत

साल 2016 में अचानक एक दिन पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी हाथ लगी तो 26 वर्षीय सिमरप्रीत के दिमाग में जैसे बिजली दौड़ गई। उसे वह मिल गया था, जिससे वह अपने पिता की इस चुनौती पर खरा उतर सकता था कि कुछ अपने से अलग करके दिखाओ। उसके दिमाग में पूर्व राष्ट्रपति का वह सपना गड़ गया कि हर घर की अपनी बिजली हो। यह सौर ऊर्जा से ही संभव था। सो, मई 2017 में सिमरप्रीत ने अपने पुश्तैनी कारोबार से हटकर घरों की छतों पर सौर पैनल लगाने की नई पहल की।

चौदह महीने पहले अस्तित्व में आई सिमरप्रीत की हरटेक सोलर कंपनी ने आज 15 मेगावाट से ज्यादा के सौर ऊर्जा संयंत्र 500 से अधिक घरों की छतों पर लगाकर देश की टॉप टेन कंपनियों में जगह बना ली है। उन्हें अभी तक पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, आंध्रप्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु में छत पर सौर संयंत्र लगाने का काम मिल चुका है।

सात साल पहले 2011 में सिमरप्रीत ने यह सोच कर चितकारा यूनिवर्सिटी पंजाब से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की थी कि पिता के बरसों से जमे-जमाए कारोबार में कुछ अच्छा करके दिखाएंगे। लेकिन पिता ने अपनी हरटेक ग्रुप ऑफ कंपनीज में उसे हाथ आजमाने नहीं दिया, बल्कि शर्त यह लगा दी कि पहले अपने दम पर यूनिवर्सिटी कैंपस प्लेसमेंट से किसी दूसरी कंपनी में नौकरी हासिल करके दिखाए। उनकी अगली शर्त यह थी कि दूसरी कंपनी जितनी पगार देगी, हरटेक ग्रुप में नौकरी करने पर उससे 25 फीसदी कम पगार मिलेगी।

कैंपस प्लेसमेंट के लिए यूनिवर्सिटी में इंफोसिस, एलऐंडटी और महिंद्रा जैसी कई नामी कंपनियां आईं पर सिमरप्रीत के हाथ खाली रहे। करीब छह महीने के इंतजार के बाद नौकरी मिली। आठ महीने बाद 2013 में सिमरप्रीत पिता की कंपनी के साथ जुड़ा और पुश्‍तैनी कारोबार में ही नई राह निकाली। वे कहते हैं, “क्लीन और ग्रीन एनर्जी समय की जरूरत है। प्रदूषण रोकने की दिशा में यह काफी कारगर साबित हो सकती है। सोलर पीवी सिस्टम से एक गीगावाट बिजली पैदा करने पर 10 लाख टन कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन कम होता है।”

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