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फिटनेस का हिट फंडा

अक्षय ने यूएसबी बैंक और आरुषि ने वर्ल्ड बैंक छोड़ फिटपास शुरू किया
फिटपास के फाउंडर अक्षय वर्मा और आरुषि वर्मा

लंदन के एक बड़े इन्वेस्टमेंट बैंक में शानदार नौकरी, अक्षय वर्मा को रास नहीं आई। उनकी बहन आरुषि वर्मा वर्ल्ड बैंक में कंसल्टेंट थीं, लेकिन उन्होंने भी अपनी नौकरी छोड़ दी। शुरू में यह अजीब लग सकता है कि आखिर इतनी बड़ी नौकरी छोड़ने की क्या वजह हो सकती है। लेकिन वजह थी कुछ नया करने का जुनून। इसी जुनून ने उन्हें देश में एक अलग तरह की कंपनी बनाने के लिए प्रेरित किया, जिसे आज हम फिटपास के नाम से जानते हैं।  

दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाले अक्षय सितंबर 2015 में फिटपास के साथ बाजार में आए। उनका मकसद था ऐसा प्रोडक्ट बाजार में लाना, जिससे लोग फिट भी हों और उससे एक नया कारोबार भी खड़ा हो। आखिर यह सब कैसे हुआ, इसके बारे में अक्षय बताते हैं, “हम लोग एक ऐप आधारित प्रोडक्ट हैं। इसकी मेंबरशिप के लिए आपको सिर्फ 999 रुपये प्रति महीना देना होता है और उसके बाद आप फिटपास के तीन हजार जिम के सदस्य बन जाते हैं।” 2015 में अक्षय और उनकी बहन आरुषि ने अपनी सेविंग्स से 20 लाख रुपये से यह कारोबार शुरू किया और अब उनका सालाना टर्नओवर 12 से 13 करोड़ रुपये का हो चुका है। यही नहीं, उनके मेंबरों की संख्या भी एक लाख तक है। एक छोटे से कमरे और चार लोगों से शुरू इस काम में 36 लोग हो चुके हैं और फिटपास से आज तीन हजार से अधिक जिम कनेक्टेड हैं।

हालांकि, लगभग तीन साल के इस सफर में ही उन्हें कई उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ा। एक नए कारोबार के शुरू होने पर लोगों की नकारात्मक फीडबैक ने कई बार मनोबल तोड़ा। कभी-कभी ऐसा भी लगा कि यह चलेगा या नहीं। लोग कहते थे कि भारत में लोग जिम जाना ही नहीं चाहते। लोग हौसला तोड़ते थे। कई बार लगा कि कहां आकर फंस गए। लेकिन एक विश्वास था कि उतार-चढ़ाव तो होता ही है। फिर यह सफर बढ़ता गया और आज अभिनव बिंद्रा जैसे ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट भी उनसे जुड़े हैं।

अक्षय का अनुमान है कि 2020 तक फिटनेस का यह कारोबार 32 अरब डॉलर का हो जाएगा। हालांकि, वह कहते हैं कि हमने फिटपास का मार्केट शेयर नहीं निकाला है, लेकिन यह पक्का है कि हमसे बड़ा कोई दूसरा नहीं है। अक्षय कहते हैं कि हमारी खासियत है कि 70 फीसदी से ज्यादा यूजर रिन्यू करते हैं और उन्होंने पहले साल 300 फीसदी और तीसरे साल लगभग 350 फीसदी की दर से वृद्धि की, तो इससे लगता है कि हम सही रास्ते पर हैं।

अक्षय का मानना है कि उनकी सबसे बड़ी होड़ लोगों के कमरे में रखे सोफे से है, क्योंकि एक बार जब कोई अपने सोफे से उठकर एक्सरसाइज के लिए निकला तो उनका प्रोडक्ट खुद-ब-खुद उन्हें खींच लाएगा। अभी उनका फोकस उन शहरों पर है, जहां जिम और युवा प्रोफेशनल की तादाद अधिक है।

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