Advertisement

कामयाबी के आठवें आसमान पर

त्रिशनित अरोड़ा ने 2014 में महज 21 बरस की छोटी-सी उम्र में टीसीए सिक्योरिटी नामक साइबर सिक्योरिटी कंपनी खड़ी की
टीसीए सिक्योरिटी के संस्थापक त्रिशनित अरोड़ा

खेल-खेल में कंप्यूटर के की-बोर्ड पर चलती उंगलियां कब गहरी दिलचस्पी में बदल गईं कि जिंदगी ही बदल गई और पता ही नहीं चला। इस खेल की वजह से वह आठवीं क्लास में फेल भी हो गए। घर वालों ने भारी नाराजगी जताई। लेकिन यह खेल तब तक त्रिशनित अरोड़ा की जिद और जुनून बन चुका था। अब वह मुकाम है कि त्रिशनित की कंपनी में आइआइटी और लंदन स्कूल ऑफ बिजनेस के ग्रेजुएट भी काम कर रहे हैं। हाल में अमेरिकी सरकार ने त्रिशनित की कंपनी टीसीए सिक्योरिटी को बतौर साइबर सिक्योरिटी एडवाइजर नियुक्त किया है। यह पहली भारतीय कंपनी है, जो अमेरिका को साइबर सिक्योरिटी जैसी संवेदनशील सेवाएं दे रही है।

2014 में महज 21 बरस की छोटी-सी उम्र में साइबर सिक्योरिटी कंपनी खड़ी करने वाले पंजाब के लुधियाना के त्रिशनित अरोड़ा ने महज चार साल में ही करोड़ों का बिजनेस खड़ा कर लिया। वह बताते हैं कि अब उनकी नजर 2000 करोड़ रुपये के इस बाजार पर है। त्रिशनित एथिकल हैकर हैं। वह बताते हैं कि एथिकल हैकिंग में नेटवर्क या फिर सिस्टम इन्फ्रास्ट्रक्चर की सिक्योरिटी का आकलन किया जाता है। सर्टिफाइड हैकर्स इसकी निगरानी करते हैं, ताकि कोई नेटवर्क या सिस्टम (कंप्यूटर) की सिक्योरिटी तोड़कर गोपनीय डाटा न चुरा सके और न ही वायरस या किसी दूसरे माध्यम से उसे किसी तरह का नुकसान पहुंचा सके।

2 नवंबर 1993 को लुधियाना के एक साधारण परिवार में जन्मे त्रिशनित का बचपन से ही पढ़ाई में मन नहीं लगता था। इसकी जगह उनका ध्यान कंप्यूटर गेम्स पर ज्यादा फोकस रहता। इस कारण घरवालों से कई बार डांट भी खानी पड़ी। इसके बावजूद खेल-खेल में कंप्यूटर में इतनी गहरी रुचि हो गई कि सारा वक्त उंगलियां की-बोर्ड पर और आंखें स्क्रीन पर गड़ी रहतीं। उन्होंने बताया कि आठवीं से ही कंप्यूटर और एथिकल हैकिंग में दिलचस्पी हो गई थी। इसके बाद कंप्यूटिंग के आगे स्कूली पढ़ाई कहीं नहीं टिकी और आठवीं क्लास के दो पेपर नहीं दे पाने की वजह से फेल हो गए। मम्मी-पापा बहुत नाराज हुए, तो दोस्त और रिश्तेदारों ने भी हिम्मत तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसके बाद पढ़ाई छूट गई, लेकिन कंप्यूटर और हैकिंग के बारे में लगातार नई जानकारियां जुटाना जारी रहा।

मां और पिता को त्रिशनित की हरकतें कतई पसंद नहीं थीं। लेकिन त्रिशनित ने शौक को ही कॅरिअर बनाने की ठान ली थी। आखिर उन्हें भी अपने बेटे की जिद के आगे झुकना पड़ा। उधर, त्रिशनित भी साबित करने पर लगा रहा कि कैसे विभिन्न कंपनियों का डाटा चुराया जा रहा है और हैकिंग के क्या-क्या तरीके अपनाए जा रहे हैं। इसी क्रम में कुछ कंपनियों को त्रिशनित की बात जमने लगी। फिर उनका यह सफर आगे बढ़ने लगा। आज त्रिशनित इस मुकाम तक पहुंच गए हैं कि वह रिलायंस इंडस्ट्रीज से लेकर अमूल जैसी दुनिया भर की 50 फॉर्च्यून और 500 से अधिक अन्य कंपनियों को सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा उनकी कंपनी सीबीआइ से लेकर पंजाब पुलिस, गुजरात पुलिस को भी साइबर से जुड़ी सेवाएं दे रहे हैं। वह ‘हैकिंग टॉक विद त्रिशनित अरोड़ा’, ‘दि हैकिंग एरा’ और ‘हैकिंग विद स्मार्ट फोन्स’ तीन किताबें भी लिख चुके हैं।

अमेरिकी सरकार के साइबर सिक्योरिटी सलाहकार बनने के बाद त्रिशनित की नजर अब कंपनी के बिजनेस को अमेरिका में बढ़ाने की है। उनका कहना है कि 2020 तक वे अपनी कंपनी का टर्नओवर 2000 करोड़ रुपये तक ले जाना चाहते हैं। त्रिशनित का कहना है कि आठवीं में फेल होने के बाद उन्हें ये समझ में आया कि ‘पैशन’ के आगे पढ़ाई मायने नहीं रखती। वह डिग्री को कामयाबी या जीवनयापन के लिए जरूरी नहीं मानते। त्रिशनित का कहना है कि बतौर एथिकल हैकर उनकी साइबर सिक्योरिटी सेवाओं की शुरुआत लुधियाना की एवन साइकिल और रॉलसन कंपनी से हुई।

इसके बाद बहुराष्ट्रीय कंपनियों और सरकारों को सेवाएं शुरू करने की बारी आई के ‌लिए उनके मानक पूरे करने के लिए ऊंची पढ़ाई वाले मुलाजिम रखना जरूरी हुआ। मोहाली और मुंबई से नियंत्रित विदेशों के वर्चुअल ऑफिस से त्रिशनित की कंपनी के कुल कारोबार में 50 फीसदी से अधिक विदेश का योगदान है।

Advertisement
Advertisement
Advertisement