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कंटेंट के करामाती कारोबारी

मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले शशांक की विटीफीड दुनिया की दूसरी और देश की सबसे बड़ी कंटेंट मार्केटिंग कंपनी
विटीफीड के संस्थापक शशांक वैष्णव

मध्य प्रदेश के छोटे से शहर बड़नगर से निकलकर 27 वर्षीय शशांक वैष्णव संघर्ष करते और परिस्थितियों से जूझते आज विश्व में जाना-पहचाना नाम बन गए हैं। मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले शशांक की विटीफीड दुनिया की दूसरी और देश की सबसे बड़ी कंटेंट मार्केटिंग कंपनी है। छह लाख रुपये का एजुकेशन लोन लेकर चेन्नै के एक कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में बीटेक करने वाले शशांक वैष्णव के दिमाग में हमेशा कुछ नया और अनोखा करने का जुनून सवार रहता था। यही वजह है कि वे कॉलेज के दिनों में अपने हॉस्टल में बैठकर घंटों वेबसाइट बनाने वाली कंपनियों को खंगालते रहते थे। डोमेन और वेबसाइट के दूसरे पहलुओं से अनजान शशांक आज इस क्षेत्र के बादशाह बन गए हैं।

आज उनकी कंपनी का टर्नओवर सालाना 50 करोड़ रुपये का हो चुका है और उनकी कंपनी वैल्यूएशन 300 करोड़ रुपये है। उन्होंने यह सब महज दो साल के भीतर ही कर दिखाया। हालांकि, सफलता के इस सफर में उनके दोस्तों का भी साथ रहा। उनके इस सफर में विनय और प्रवीण सिंघल ने साथ दिया। शशांक बताते हैं कि उन्हें हमेशा से लगता था कि इंटरनेट की दुनिया में भारतीय कंपनियां क्यों नहीं हैं? इसी सोच के साथ उन्होंने भारत नेट डॉट कॉम बनाया और देश के कई लोगों के बारे में लेख लिखकर सोशल मीडिया में शेयर भी किया, जिसका काफी अच्छा रेस्पॉन्स मिला।

इसके बाद उन्होंने 2011 में चेन्नै में अपने कॉलेज के साथी विनय सिंघल और कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर वत्साना टेक्नोलॉजी नाम से एक कंपनी की नींव रखी।

सबसे बड़ी बात कि उन्होंने इसके लिए न तो किसी से पूंजी उधार ली और न ही बैंक से लोन लिया। खुद कमाते और फिर उसी पूंजी को कारोबार में लगाते आगे बढ़े। इस राह में कई मुश्किलें भी आईं। मसलन, शशांक के परिवार वाले कंपनी बनाने की जगह दूसरी कंपनी में काम करने की सलाह देते रहे, पर उन्होंने कुछ कर गुजरने की जिद को नहीं छोड़ा। शशांक और उनके दोस्त ने शुरुआती दिनों में 300 रुपये में वेबसाइट बेचे और कुछ लोगों के लिए मुफ्त में भी काम किया।

शशांक की कुछ नया करने की जिद की कहानी भी दिलचस्प है। उनके पिता एक वेटनरी डॉक्टर थे। वह अपने बेटे को कुछ अच्छा बनाना चाहते थे।  उन्होंने शशांक को बड़नगर से इंदौर पढ़ने के लिए भेजा, लेकिन शाशांक यहां कुछ ज्यादा अच्छा नहीं कर पाए। आइआइटी में चयन के लिए एक साल इंतजार भी किया। इस वजह से स्कूल के दिनों के सहपाठी उनका मजाक भी उड़ाया करते थे। इंदौर के उनके एक टीचर की टिप्पणी और भोपाल से चेन्नै जाते गरीब रथ ट्रेन के एसी बोगी में दो युवाओं की बातों ने उनकी जिंदगी ही बदल दी। शशांक के जीवन में बदलाव का क्षण तब आया, जब उन्हें फेसबुक की ओर से आयोजित ग्लोबल फेस्टिवल में वक्ता के रूप में बुलाया गया। इस कार्यक्रम में भाषण के बाद उन्हें नौकरी का ऑफर भी मिला, लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया। वह अपना ही कुछ करने के रास्ते पर चलते रहे। शशांक बताते हैं, “एक समय ऐसा भी आया जब इस कंपनी में 29 पार्टनर हो गए थे, पर सब एक-एक कर अलग हो गए और वे अकेले रह गए।” विनय सिंघल भी उनसे दूर हो गए। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने यूनिवर्सिटी और कॉलेज के टीचर-स्टूडेंट के लिए Follow Me 247 डेवलप किया। इसके बाद lolsharing.com और Evrystry.com बनाया। इन सबके परिणाम अच्छे दिखे और फिर कंपनी बनाकर काम करने की ठानी। विनय सिंघल से संपर्क किया। शशांक, विनय और प्रवीण सिंघल ने मिलकर एक कंपनी बनाई। प्रवीण 16 साल की उम्र में ही फेसबुक पेज बनाने लग गए थे। विनय और प्रवीण सगे भाई हैं। उन्होंने कुछ समय तक चेन्नै में काम किया, फिर चेन्नै छोड़कर इंदौर आ गए। दोस्‍तों की मदद लेकर इंदौर में ऑफिस लिया। हालांकि, इससे पहले तीनों ने काफी उतार-चढ़ाव देखे। यहां जब कंपनी लड़खड़ाई तो उन्होंने कुछ साथियों को नया रास्ता तलाशने को कहा, लेकिन तीनों साथ काम करते रहे।

शशांक वैष्णव आज एक सफल उद्यमी हैं। विनय सिंघल के साथ दोबारा मिलकर काम करने और फिर विटीफीड की स्थापना के बाद से पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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