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सामाजिक पहल भी जरूरी

पंजाब के सीमावर्ती जिलों में तो लगभग 40 फीसदी युवा केमिकल्स ड्रग्स के लती हो चुके हैं
फिल्मों और पंजाबी गीतों में नशीली दवाओं का सेवन दिखाना भी नशीली दवाओं के दुरुपयोग के मुख्य कारणों में से एक है

पंजाब में दो दशक से नशे पर सियासत होती रही और इस दौरान नशे का तांडव भी जारी रहा। नशा सिर्फ चुनावों के समय मुद्दा बनता रहा, लेकिन इससे उबरने की सार्थक पहल नहीं हुई। यूं तो देश के तमाम राज्य ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया नशे की गिरफ्त में है, लेकिन नशे का सबसे ज्यादा नुकसान पंजाब में दिखा, क्योंकि हुक्मरानों ने इसे भी सियासी हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया। पंजाब के सीमावर्ती जिलों में तो लगभग 40 फीसदी युवा केमिकल्स ड्रग्स के आदी हो चुके हैं। देश की सेना को सबसे ज्यादा जवान देनेवाला पंजाब आज खुद खोखला है। 2015 पहला ऐसा साल रहा, जब देश की सेना में पंजाब से एक भी भर्ती नहीं हुई जबकि कभी सबसे ज्यादा भर्तियां यहीं से होती रही हैं। इसका एक बड़ा कारण ड्रग्स के सेवन के कारण युवाओं का कमजोर होना माना जा रहा है। इसी वजह से पंजाब सरकार स्कूलों और कॉलेजों में नशे के प्रति बच्चों को जागरूक करने के लिए इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने जा रही है।

ऐसे कई कारण हैं, जिससे उपयोगी दवाओं का सेवन भी नशीली दवाओं के दुरुपयोग में बदल जाता है। व्यक्ति तनाव वगैरह से मुक्ति के लिए ड्रग्स का सहारा लेता है। यह प्रवृति जल्द ही ऐसी स्थिति में पहुंच जाती है, जब व्यक्ति जीवन की अन्य जरूरतों की तुलना में नशे को अधिक महत्व देने लगता है। इससे व्यक्ति को यह विश्वास हो जाता है कि अब उसका जीवन सिर्फ दवाओं पर ही निर्भर है।

टेलीविजन, फिल्मों और पंजाबी गीतों में नशीली दवाओं का सेवन दिखाना भी नशीली दवाओं के दुरुपयोग के मुख्य कारणों में से एक है। यह युवाओं को नशे की ओर प्रेरित करता है। फिल्मों में नशीली दवाओं के प्रयोग से रोमांटिक होने और उसके कुछ काल्पनिक सकारात्मक पहलुओं को दिखाया जाता है। इस प्रकार यह युवाओं के लिए एक रोमांचकारी और मोहक मामला बन जाता है, जो जीवन में अनुभव की कमी के कारण आसानी से भ्रमित हो सकते हैं।

नशीली दवाओं का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है, जिसके कारण दवाओं के आदी व्यक्ति के जीवन का हर पहलू प्रभावित हो जाता है। ड्रग्स मुख्य रूप से रासायनिक पदार्थ होते हैं, जो मानव मस्तिष्क की संचार प्रणाली को प्रभावित करते हैं। यह तंत्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क को भेजी गई प्रक्रियाओं और जानकारियों को प्रभावित करते हैं। रासायनिक संदेश वाहक के रूप में हेरोइन और भांग को इसी प्रकार से बनाया जाता है, जिसे न्यूरोट्रांसमीटर के रूप में जाना जाता है। ये न्यूरोट्रांसमीटर मानव मस्तिष्क द्वारा स्वाभाविक रूप से उत्पन्न किए जाते हैं। इस समानता के कारण दवाएं मानव मस्तिष्क की कोशिकाओं को मूर्ख बनाकर तंत्रिका तंत्र को असामान्य संदेश भेजने के लिए सक्रिय कर सकती हैं। मेथाम्फेटामाइन और कोकीन जैसे ड्रग्स के मामले में तंत्रिका कोशिकाएं सक्रिय हो जाती हैं और फिर ये असामान्य तरीके से बड़ी मात्रा में न्यूरोट्रांसमीटर का उत्पादन करती हैं। ये मस्तिष्क को सामान्य तरीके से इन रसायनों की पुनरावृत्ति करने से रोकने में भी सक्षम हैं। डोपामाइन को एक न्यूरोट्रांसमीटर के रूप में जाना जाता है, जिसे मस्तिष्क की प्रेरणा, भावना और आनंद जैसी विभिन्न भावनाओं को नियंत्रित करने वाले क्षेत्र में पाया जा सकता है।

नशीली दवाओं की आदत से छुटकारे का सबसे अच्छा इलाज इनकी लत से बचना ही है। इस समस्या से विशेषज्ञों और चिकित्सकों के बताए गए तरीके के अनुसार चलकर आसानी से निजात पाया जा सकता है। इस संबंध में परिवारों, स्कूलों, सक्रिय संस्थाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने की दरकार है। नशीली दवाओं के दुरुपयोग से होने वाले घातक परिणामों को उजागर करने की जरूरत है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि युवाओं को यह महसूस कराया जाए कि उनके लिए नशीली दवाओं का सेवन हर तरह से हानिकारक है।

नशे के आदी लोगों के लिए निरंतर उपचार ही एकमात्र विकल्प है। यह उपचार आमतौर पर उस दवा की प्रकृति पर निर्भर करता है, जिसे वह व्यक्ति इस्तेमाल कर रहा है। ऐसा कहा जाता है कि आमतौर पर इसका सबसे अच्छा उपचार व्यक्ति के जीवन से संबंधित घटनाओं पर ध्यान देकर किया जा सकता है। इसमें चिकित्सकों, मनोवैज्ञानिकों और संबंधित जरूरतों के साथ ही व्यक्ति के जीवन में अन्य लोगों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। बेशक, दवाइयां और व्यावहारिक चिकित्सा का तो महत्व है ही, ताकि नशीली दवाओं के आदी व्यक्ति में नशा करने की इच्छा को धीरे-धीरे रोका जा सके। युवा पीढ़ी को ड्रग्स की आदत से निकालने की पहली जिम्मेदारी परिवार और समाज की है। माता-पिता बच्चों को समय और सही मार्गदर्शन दें। सरकार को ड्रग्स की तस्करी को रोकने और उसकी बिक्री की  सप्लाई चेन को तोड़ने के लिए कड़ी कार्रवाई करनी होगी।

हरियाणा सरकार नशीली दवाओं का सेवन रोकने के लिए गैर-सरकारी संगठनों के अलावा पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों को वित्तीय सहायता मुहैया करा रही है, जो नशा पीड़ितों के पुनर्वास के लिए हर तरह की मदद करेंगे।

(लेखक पंजाब में नशे के खिलाफ लड़ाई लड़ रही एनजीओ जोशी फाउंडेशन के अध्यक्ष हैं)

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