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एनएसजी क्यों जरूरी?

इसकी तैनाती से न सिर्फ लोगों में सुरक्षा का भाव पैदा होगा, बल्कि हमलों में भी कमी आएगी
वास्तविक नतीजों के लिए तैनाती जरूरी

पीडीपी-भाजपा गठबंधन टूटा और जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगा तो केंद्र और राज्य में घाटी में सुरक्षा बढ़ाने की हड़बड़ी दिखाई दी। ऐसा इसलिए कि पाकिस्तान और उसकी बदनाम खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने इलाके में आतंक से जुड़ी गतिविधियां तेज कर दी हैं। सबसे बड़ा नुकसान पत्रकार शुजात बुखारी की मौत से हुआ, जिन्हें 14 जून को श्रीनगर में सरेआम गोली मारी गई। ताजा पुष्ट रिपोर्टों से पता चलता है कि वे आइएसआइ की साजिश के शिकार बने और हत्या की वारदात को लश्कर-ए-तैयबा ने अंजाम दिया।

केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के हालात के मद्देनजर साधारण या ‘सामान्य कदम’ नहीं उठा सकती है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कश्मीर की जनता में सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए घाटी में नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) की तैनाती का खुलासा किया। यह स्थानीय लोगों में विश्वास पैदा करने के लिए जरूरी है, क्योंकि लोग अपने भविष्य और सुरक्षा को लेकर आश्वस्त नहीं दिख रहे हैं।

गृह मंत्रालय द्वारा एनएसजी की तैनाती के फैसले को कई जानकारों ने अच्छा कदम बताया, लेकिन इस पर संदेह करने वाले कई विशेषज्ञों ने इस समस्याग्रस्त राज्य में एनएसजी की तैनाती पर आपत्ति जाहिर की है। हालांकि, एनएसजी की तैनाती के आलोचकों ने अभी तक कोई ठोस कारण नहीं बताए हैं कि क्यों एनएसजी को तैनात नहीं किया जाना चाहिए।

बतौर पूर्व एसपीजी अधिकारी और खुफिया अधिकारी के रूप में आतंकवादी गतिविधियों से निपटने का अनुभव होने के नाते घाटी में एनएसजी की तैनाती को लेकर मेरा रुख पूरी तरह पेशेवराना है। 26/11 के मुंबई हमले और अहमदाबाद में अक्षरधाम मंदिर पर आतंकी हमले से निपटने के अनुभवों के मद्देनजर एनएसजी को तैनात करना गृह मंत्रालय का एक अच्छा विचार है।

श्रीनगर में राजभवन, सचिवालय, पुलिस मुख्यालय, प्रमुख शैक्षणिक संस्थान सहित राज्य की कई अहम इमारतें हैं और उनकी सुरक्षा के लिए एनएसजी की तैनाती अहम फैसला है, क्योंकि एनएसजी न्यूनतम क्षति के साथ बंधक बनाने वालों/आतंकवादियों को अधिक नुकसान पहुंचाकर बंधक जैसे हालात को नाकाम करने की रणनीति में माहिर है।

इसके अलावा, हवाई सेवाओं की गहमागहमी से हवाई अड्डे और विमान आतंकवादियों का सुविधाजनक निशाना बन सकते हैं। अगर आंकड़ों के हिसाब से देखें तो जम्मू-श्रीनगर क्षेत्र में उड़ानों की संख्या में बढ़ोतरी से इस तरह के खतरों में भी वृद्धि हुई है। श्रीनगर हवाई अड्डा पूरी तरह सुरक्षित है, फिर भी हमले की आशंका बनी हुई है। सबसे अहम यह कि एनएसजी देश में एकमात्र काउंटर हाइजैक फोर्स है और अपहरण की किसी भी कोशिश को नाकाम करने के लिए श्रीनगर हवाई अड्डे के पास एनएसजी की मौजूदगी से राज्य पुलिस को हाईजैक जैसी घटना से निपटने में मदद मिलेगी।

इसका मतलब यह नहीं है कि घाटी में तैनात सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर राज्य पुलिस और अन्य बलों में पेशेवर कुशलता की कमी है। जिस तरह ये बल पत्थरबाजी और अन्य जटिल स्थितियों से बार-बार निपटे हैं, उससे साबित होता है कि वे पूरी तरह सक्षम और प्रतिबद्ध हैं। ऐसे में तमाम स्थितियों को देखते हुए एनएसजी की तैनाती एक स्वागतयोग्य कदम होगा और उसकी मौजूदगी निश्चित रूप से लोगों में सुरक्षा की अधिक भावना पैदा करेगी। साथ ही, अन्य सैन्य बल एनएसजी के साथ काम कर नई सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में एक अलग आत्मविश्वास महसूस करेंगे।

इसी तरह, जब से घाटी में ट्रेनों की आवाजाही शुरू हुई है, तब से उस पर भी आतंकवादियों के आसान लक्ष्य का खतरा बढ़ गया है। ट्रेन हाईजैक की घटना को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है। अगर एनएसजी को तैनात किया जाता है तो इस तरह के संकट से निपटने में वह काफी उपयोगी साबित हो सकता है।

घाटी में एनएसजी की तैनाती का एक और खास संदर्भ यह है कि  सीमा पार से हो रही अचानक गोलीबारी और बॉर्डर एक्शन टीम की कार्रवाई का मुकाबला करने में मदद मिलेगी।

यह ध्यान देने वाली बात है कि एनएसजी गुरिल्ला हमला करने में माहिर है और वह एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी तक सटीक हमला कर सकता है। यह एनएसजी की बड़ी खूबियों में एक है।

एनएसजी के पास बेहद अत्याधुनिक हथियार होते हैं, जो उसे न सिर्फ दुश्मनों पर बढ़त दिला देते हैं, बल्कि कम नुकसान के साथ फौरन किसी आतंकवाद विरोधी अभियान को पूरा करने में मददगार हैं।

इसके अलावा, एनएसजी की के-9 टुकड़ी बहुआयामी कौशल से लैस है, शत्रु ताकतों के दांत खट्टे कर देती है। यह टुकड़ी आतंकवादियों के पनाहगाहों पर भी सटीक हमले में माहिर है। भारतीय सेना अपनी असाधारण क्षमताओं और ऑपरेशनल ट्रैक रिकॉर्ड के साथ मौजूदा सुरक्षा स्थितियों का सामना करने के लिए तैयार है। हालांकि, वह घाटी में तैनात नहीं है। एनएसजी की मौजूदगी हर रोज के खतरों से निपटने और अन्य बलों का मनोबल बढ़ाने में मददगार होगी। अब जबकि राज्यपाल शासन है और सरकार आतंकी खतरों से निपटने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध लग रही है तो ऐसे में एनएसजी शांति की बहाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

यह एक जांबाज बल है और इसके पास पुलिस और सेना के अत्याधुनिक प्रशिक्षण का अनुभव है। अगर सरकार वास्तविक नतीजे चाहती है तो एनएसजी को तैनात करना जरूरी है। यही नहीं, उसकी तैनाती से सीमा पार के हमलावरों के कान खड़े होंगे और वे अपने मंसूबों को अंजाम देने में काफी सतर्क हो जाएंगे। यानी एनएसजी की तैनाती प्रतिरोध का काम भी करेगी।

(लेखक सिक्युरिटी एनालिस्ट, पूर्व एसपीजी अधिकारी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे हैं )

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