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मासूमों पर कहर बना चुनावी मुद्दा!

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए हदें पार कर रहीं नाबालिगों से दुष्कर्म की घटनाएं, बनी राजनीतिक मुद्दा
आक्रोशः मंदसौर में नाबालिग से दुष्कर्म की घटना के बाद सड़कों पर उतरे लोग

मध्य प्रदेश में जगह-जगह ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ और ‘महिला एवं बालिका सुरक्षा’ के बड़े-बड़े होर्डिंग्स के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तस्वीरों में बालिकाओं के पैर पूजन करते दिख जाते हैं। 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार पर सबसे पहले फांसी की सजा का कानून बनाने वाला मध्य प्रदेश महिलाओं और बालिकाओं के लिए कई योजनाएं लागू करने में भी अव्वल है। मामा की छवि वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राज में नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म की घटनाएं हदें पार करती जा रही हैं। राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने भी मध्य प्रदेश को बलात्कार की सर्वाधिक घटनाओं वाला राज्य मान लिया है। मालवा, बुंदेलखंड से लेकर मध्य भारत में आए दिन बलात्कार के मामले सामने आ रहे हैं। इंदौर और सागर के बाद मंदसौर में नाबालिग के साथ दरिंदगी ने सबको हिलाकर रख दिया। पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए लोग मंदसौर में सड़कों पर आ गए और जज को थाने आकर आरोपियों को जेल भेजने की प्रक्रिया पूरी करनी पड़ी।

एनसीआरबी के आंकड़े के अनुसार, पिछले 16 साल में मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। 2001 में 390 नाबालिगों से रेप के केस दर्ज हुए थे। 2016 में यह संख्या बढ़कर 2,467 तक जा पहुंची यानी 532 फीसदी ज्यादा। मध्य प्रदेश में इस अवधि में बच्चों के खिलाफ अपराध में भी 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है कि एनसीआरबी के 2017  के आंकड़ों के मुताबिक देश में दर्ज 28,947 रेप की घटनाओं में 4,882 मामले मध्य प्रदेश के हैं। मध्य प्रदेश के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (महिला अपराध) अन्वेष मंगलम भी मानते हैं कि राज्य में महिला अपराध और रेप के केस की दर काफी ज्यादा है। राज्य महिला आयोग की मार्च 2017 तक की रिपोर्ट के मुताबिक, भोपाल, इंदौर, सागर, ग्वालियर, जबलपुर जैसे  बड़े शहरों में सबसे ज्यादा महिलाएं प्रताड़ित होती हैं। महिला आयोग की रिपोर्ट में सबसे कम महिला प्रताड़ना के मामले अनूपपुर, उमरिया, कटनी, मंडला, डिंडौरी, श्योपुर, बुरहानपुर, अलीराजपुर, सिंगरौली, सिवनी, खरगौन जिले में सामने आए हैं, ये सभी छोटे और आदिवासी जिले हैं। प्रदेश की पढ़ी-लिखी आबादी वाले जिलों में सबसे ज्यादा महिला अपराध हो रहे हैं। वहीं, बलात्कार के आरोपियों की पृष्ठभूमि अशिक्षित देखी गई है। 

राज्य में पिछले कुछ महीनों से 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार किए जाने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। मंदसौर की घटना से दो दिन पहले ग्वालियर में छह साल की बच्ची की बलात्कार के बाद गला दबाकर हत्या कर दी गई। इससे पहले बुंदेलखंड इलाके के छतरपुर जिले में तीन साल की बच्ची के साथ आरोपी ने घर में घुसकर बलात्कार किया था। इंदौर में चार महीने की बच्ची के साथ बलात्कार की घटना में भी आरोपी जान-पहचान वाला था। सागर में आरोपियों ने नाबालिग से बलात्कार के बाद केरोसिन डालकर उसे जिंदा जला दिया। भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार मृगेंद्र सिंह का कहना है कि रेप केस के 90 फीसदी आरोपी पड़ोसी या नाते-रिश्तेदार होते हैं। इस तरह की घटनाओं के पीछे नशे का जाल बड़ा कारण होता है। नरेंद्र सलूजा कहते हैं कि नशे के कारोबार और अफसरों पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का कोई नियंत्रण नहीं है।

लाडली लक्ष्मी योजना के दम पर भारतीय जनता पार्टी 2008 में दूसरी बार सत्ता में आई थी। महिला एवं बालिका कल्याण की योजनाओं ने ही शिवराज सिंह को मामा के रूप में स्थापित किया है। लेकिन रेप की घटनाओं के बढ़ते ग्राफ से शिवराज सिंह की मामा वाली छवि पर पलीता लगता जा रहा है। 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार की घटना पर फांसी की सजा का कानून बनाकर शिवराज सरकार ने महिला अपराध पर सख्ती के संदेश तो दिए, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।

नाबालिगों से बढ़ते रेप मामले को देखते हुए राज्य सरकार स्कूलों में यौन शिक्षा देने पर विचार कर रही है। दिग्विजय सिंह के शासनकाल में एक बार स्कूलों में यौन शिक्षा देने पर विचार हुआ था, लेकिन तब विरोध और अन्य कारणों से मामला आगे नहीं बढ़ पाया। मनोचिकित्सक डॉ. रूमा भट्टाचार्य का कहना है कि जागरूकता और शिक्षा से ही बलात्कार की घटनाएं रोकी जा सकती हैं। उधर, बढ़ती बलात्कार की घटनाओं के लिए कुछ महीने पहले मध्य प्रदेश के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह पॉर्न साइट को जिम्मेदार बताकर विवाद में फंस चुके हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का कहना है कि मध्य प्रदेश में अपराधियों में कानून का खौफ नजर नहीं आ रहा है और शिवराज सरकार दुष्कर्म की घटनाओं को रोकने में नाकाम साबित हो रही है। सामाजिक कार्यकर्ता रवि बागड़े का कहना है कि पुलिस को स्वतंत्र रूप से काम करने नहीं दिया जा रहा है। पुलिस अपराधियों पर दबाव बनाने की कोशिश करती है तो राजनीतिक हस्तक्षेप शुरू हो जाता है। राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अफसर का कहना है कि तब मेरिट के आधार पर पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों की पोस्टिंग होती थी, आज राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण वैसा संभव नहीं हो पाता।

उधर, प्रदेश में रेप का मुद्दा अब राजनीतिक रंग लेने लगा है। कांग्रेस तो मुख्यमंत्री की मामा वाली छवि को तोड़ने के लिए महिलाओं पर बढ़ते अपराध को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने लगी है। कांग्रेस के मीडिया समन्यवक नरेंद्र सलूजा का साफ कहना है कि विधानसभा चुनाव में किसान, युवा के साथ महिला सुरक्षा बड़ा चुनावी मुद्दा होगा। वहीं, भाजपा नेता भी अपनी राजनीति चमकाने में लगे हैं। मंदसौर रेप की घटना के बाद होशंगाबाद के भाजपा नेता संजीव मिश्रा ने रेप के आरोपी का सिर काट कर लाने पर पांच लाख रुपये इनाम देने का विवादित बयान दिया। प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता राहुल कोठारी का कहना है कि कांग्रेस मध्य प्रदेश को बलात्कारी प्रदेश कहकर राज्य के लोगों और संस्कारों का अपमान कर रही है। कांग्रेस बलात्कार के मुद्दे को उठाकर सत्ता की कुर्सी हासिल नहीं कर पाएगी।

छह महीने बाद मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव होने हैं, ऐसे में नाबालिगों से रेप की बढ़ती घटनाएं शिवराज सरकार के लिए गले की हड्डी बन सकती हैं। पिछले साल गोलीकांड में किसानों की मौत के बाद से मंदसौर राजनीतिक रूप से संवेदनशील बना हुआ है। अब बलात्कार की घटना ने आग में घी का काम कर दिया।

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