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बिजली बिल के झटकों से बेदम

बिजली दरों में भारी इजाफे और कनेक्शकन लेने पर 18 फीसदी जीएसटी वसूलने के फरमान से ग्रामीण उपभोक्ताओं की बढ़ी परेशानी
दोहरी मारः बिजली की दरों में बढ़ाेतरी को लेकर बड़ौत में धरने पर किसान

दावा किसानों की खुशहाली और आय बढ़ाने का था। लेकिन, उत्तर प्रदेश के किसान दोहरी मार से परेशान हैं। एक तो गन्ने का पूरा भुगतान नहीं मिल रहा उस पर बिजली की बढ़ी हुई कीमतों का बोझ। यहां तक कि कनेक्‍शन लेने पर प्रोसेसिंग फी, सिस्टम लोडिंग चार्ज और मीटर कॉस्ट समेत अन्य सेवाओं के नाम पर 18 फीसदी जीएसटी वसूलने का फरमान भी 23 मई को गुपचुप तरीके से जारी कर दिया गया। इन सबके बीच सरकारी अमले की सख्ती ऐसी कि बिल नहीं चुकाने वाले किसानों के नलकूप कनेक्‍शन सिंचाई के इस सीजन में काटे जा रहे हैं।

बीते महीने बागपत जिले के बड़ौत कस्बे में बिजली के बढ़े हुए बिल और गन्ना बकाया भुगतान को लेकर चल रहे किसान संघर्ष समिति के धरने पर बैठे किसान उदयवीर की मौत के बाद से यह मामला और गरमा गया है। किसान अब योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ आंदोलन की रणनीति बनाने में जुट गए हैं। बड़ौत में हाल ही में किसानों की इस संबंध में पंचायत हुई थी। इसके बाद 11 जून को हुई महापंचायत में जिला स्तर के अधिकारियों को भी बुलाया गया था। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि हरिद्वार में 16-18 जून तक चलने वाले अधिवेशन में आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।

निकाय चुनावों के बाद बीते साल नवंबर में प्रदेश सरकार ने बिजली की दरें बढ़ाने का फैसला किया था। दरों में इजाफा शहरी उपभोक्ताओं के लिए भी किया गया है, लेकिन इसकी सबसे ज्यादा मार ग्रामीण उपभोक्ताओं पर पड़ी है। उनके बिल करीब दोगुने हो गए हैं। जिन ग्रामीण उपभोक्ताओं के यहां मीटर लगे हैं उन्हें पहले प्रति यूनिट 2.20 रुपये देने पड़ते थे। लेकिन, अब ग्रामीण उपभोक्ताओं की पांच श्रेणियां बना दी गई हैं। अधिकतम श्रेणी वाले उपभोक्ताओं के लिए 5.50 रुपये प्रति यूनिट की दर तय की गई है। पहले एक किलोवॉट के लिए ग्रामीण उपभोक्ता को 180 रुपये देने पड़ते थे जो अप्रैल से बढ़ाकर 400 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है। नलकूप कनेक्‍शन पर बिजली भार 100 रुपये प्रति हॉर्सपावर से बढ़ाकर 180 रुपये प्रति हॉर्सपावर कर दिया गया है।

किसानों का कहना है कि बीते दो साल में घरेलू कनेक्‍शन पर बिजली बिल करीब चार गुना बढ़ा है। वहीं, इस वर्ष मार्च में बिल के पेनाल्टी ब्याज पर छूट भी नहीं दी गई, जबकि पूरे सत्र का गन्ना भुगतान बकाया है। किसानों का कहना है कि जब तक गन्ने का बकाया भुगतान नहीं होता वे बढ़े हुए बिल का भुगतान भी नहीं करेंगे। साथ ही वे हरियाणा की तरह नलकूप कनेक्‍शन की दर 35 रुपये प्रति हॉर्सपावर करने की मांग कर रहे हैं।

टिकैत ने बताया कि बिजली की दरों में कमी को लेकर मार्च में सरकार से बातचीत हुई थी, लेकिन अभी तक कोई राहत नहीं दी गई है। जब पंजाब, तेलंगाना जैसे राज्य किसानों को रियायत दे सकते हैं तो यूपी की सरकार क्यों नहीं दे सकती। छपरौली के पूर्व विधायक डॉ. अजय कुमार ने बताया कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश दोनों जगह भाजपा की सरकार है। लेकिन, दोनों जगहों की बिजली की कीमतों में भारी अंतर समझ से परे है। उन्होंने आउटलुक को बताया, “हकीकत यह है कि जब गन्ने का भुगतान नहीं मिलेगा तो किसान बिल कहां से भरेगा। लेकिन, सरकार बिल नहीं देने वालों के कनेक्‍शन ऐसे वक्त में काट रही है जब सिंचाई की ज्यादा जरूरत है।”

उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में बिजली दरों में इजाफे को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर की है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि विद्युत नियामक आयोग की अनुमति के बगैर ही जीएसटी लगाने का आदेश जारी करना कानूनन गलत है। उन्होंने बताया कि एक तरफ सरकार बिजली कनेक्‍शन की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रही है, दूसरी तरफ जीएसटी लगाकर इसे महंगा कर रही है। मीटर खरीदते समय जब जीएसटी लगता है तो फिर मीटर लगाने के बाद जीएसटी वसूलने का फरमान समझ से परे है। इलाहाबाद हाइकोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने घरेलू उपभोक्ताओं पर लगने वाला फिक्स चार्ज खत्म करने की भी मांग की है।

परिषद की याचिका पर फैसला जल्द आने की उम्मीद है। नियामक आयोग ने दो मई को सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। वर्मा ने बताया कि सरकार को यह समझना होगा कि ग्रामीण उपभोक्ता और किसान दोनों एक ही व्यक्ति हैं।

राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के संयोजक वी.एम. सिंह ने बताया कि पहले किसान अपने ट्यूबवेल पर फिक्स पैसा देता था, अब मीटर लगा दिया गया है। ऐसे में इस्तेमाल नहीं करने पर भी किसानों को न्‍यूनतम चार्ज देना होगा। पहले जहां किसान को चार सौ रुपये देने पड़ रहे थे, अब उसे बारह-तेरह सौ रुपये देने पड़ेंगे।

हालांकि, उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के पूर्व निदेशक (वितरण) के.एम. मित्तल की मानें तो कीमतों में की गई वृद्धि मामूली ही है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की दरें काफी समय से नहीं बढ़ाई गई थीं, जबकि इंडस्ट्रियल और घरेलू उपभोक्ताओं का टैरिफ काफी ज्यादा है।

कीमतों में कटौती के लिए राज्य सरकार भी तैयार नहीं दिखती। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने इस संबंध में पूछे जाने पर आउटलुक को बताया, “हमारी प्राथमिकता किसानों को पर्याप्त बिजली देना है।” इस संबंध में विपक्षी दलों के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों का केवल दोहन करने वाले आज राजनीतिक द्वेष से ग्रसित होकर आरोप लगा रहे हैं। लेकिन टिकैत ने आउटलुक को बताया, “आम जनता और किसानों में नाराजगी है तभी तो उपचुनावों में भाजपा की हार हुई है। अब भी सरकार नहीं चेती तो उसका और बुरा हश्र होगा।”

 “किसानों को बस बिजली देना हमारी प्राथमिकता”

बिजली कीमतों में इजाफे और किसानों की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से शशिकांत ने बातचीत की। मुख्य अंशः

-ऐसे वक्त में जब सरकार किसानों को लागत का डेढ़ गुना देने की बात कर रही है, बिजली का टैरिफ बढ़ाना कितना सही है?

किसानों को पहले छह घंटे बिजली मिलती थी, अब हम 18 घंटे बिजली दे रहे हैं। तहसील को 20 और जिला मुख्यालय को 24 घंटे बिजली दे रहे हैं। छह रुपये 74 पैसे की बिजली हम खरीदते हैं। मीटर लगवाने पर किसान को एक रुपये 10 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से देना पड़ता है। एक तरफ तो आपूर्ति के घंटे बढ़ा दिए, दूसरी ओर एक रुपये 10 पैसे में बिजली दे रहे हैं और दो बार सरचार्ज माफी की योजना भी ला चुके हैं। इस तरह से देखें तो हम किसानों को काफी राहत दे रहे हैं।

-हरियाणा की दर पर बिजली उपलब्‍ध कराने की किसानों की मांग पूरी करेंगे?

सरकार की प्राथमिकता किसानों को पर्याप्त बिजली देना है। आजाद भारत में किसानों को 18 घंटे बिजली किसी ने नहीं दी। उत्तर प्रदेश में हम दे रहे हैं। पहले ग्रामीण क्षेत्र में किसान का ट्रांसफॉर्मर जलता था तो उसे बदलने में महीनों लग जाते थे। अब अगर ट्रांसफॉर्मर जलता है तो टोल फ्री नंबर 1912 पर शिकायत आती है और हमारी गाड़ी ट्रांसफॉर्मर पहुंचाकर आती है।

-घर-घर बिजली कब तक पहुंचेगी?

31 मार्च 2019 तक हर गांव के हर घर में मीटर लग जाएंगे। हमने एक साल में 36 लाख से ज्यादा लोगों को कनेक्शन दिए हैं और 60 हजार मजरों को रोशन किया है।

-ट्यूबवेल कनेक्शन लेने में किसानों को आने वाली दिक्कतों को कैसे दूर करेंगे?

पूर्व की सरकार ने कृषि क्षेत्रों को डार्क जोन घोषित कर रखा था। हमने डार्क जोन समाप्त किया और पहले आओ, पहले पाओ के तर्ज पर ट्यूबवेल का कनेक्शन दे रहे हैं।

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