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पानी रे पानी

अगली पीढ़ियों को नदियों को टीवी पर ही देख कर संतोष करना होगा
जिसके पास जितना पानी वो उतना अमीर

वे दिन नजदीक आ चुके जब हम शुद्ध पानी के लिए खून बहाने को मजबूर होंगे। सच है अगला युद्ध पानी के लिए होगा। हर गर्मी में हम पानी को लेकर चिंता प्रकट करते हैं। गर्मी जाते ही फिर पानी बहाने लगते हैं। वैसे ही जैसे अपनी हर फिल्म में प्रायः अपने बच्चे खो चुकी निरूपा रॉय आंसू बहाती थीं। वे दिन दूर नहीं जब दूल्हा दहेज में पानी चाहेगा। पानी कम मिला तो बारात वापस! समधी कहा करेंगे, “भई आप बारात का स्वागत बस पानी से करिएगा!” अब तक कहा जाता है, ‘दुल्हन वही जो पिया मन भाए’, तब कहा जाएगा, ‘दुल्हन वही जो पानी दिलवाए!’ कभी ‘आंख में पानी’ की बात होती थी। अब किसके घर कितना पानी इस पर बात होगी। बिटिया की शादी में खूब पानी पिलाने वाला ही रसूखदार माना जाएगा। पिता, बेटी का रिश्ता वहीं करेगा जहां पानी होगा। मां, बेटी को सीख दिया करेगी, “ससुराल जाते ही सारा पानी अपने कब्जे में कर लेना।” पानी का शगुन ले कर ही सालियां जूते वापस किया करेंगी जीजू को। दूल्हे के दोस्त जूतों को जान से ज्यादा संभालते मिलेंगे, जितना पानी दहेज में लिया है जूतों के फेर में वापस न देना पड़ जाए। विवाह के बाद ससुराल वाले दुल्हन के मायके से पानी मांगा करेंगे। लड़की कहेगी, “मी लॉर्ड, तलाक तभी दूंगी जब इतने गैलन पानी गुजारा भत्ते के रूप में मिले।” पानी ही दहेज, पानी ही स्‍त्रीधन।

फिल्मों में पहले गरीब हीरो अमीरजादी को ले जाता था। आने वाले समय में हीरोइन गई भाड़ में, हीरो हीरोइन के अमीर बाप का पानी का टैंकर ले कर चंपत होता दिखाया जाएगा। ‘न मांगू बंगला-गाड़ी, ना मांगू वगैरह वगैरह’ के बजाय ‘बस एक गिलास पानी का सवाल है बाबा’ चलेगा! ‘ये हाथ मुझे दे दे ठाकुर के बदले गब्बर ये पानी मुझे दे दे बोलते दिखेगा!’ मोगैम्बो भी खुश तभी होगा जब चुल्लू भर पानी पिएगा। सोना-चांदी, हीरे-जवाहरात, ड्रग्स के पीछे भागना भी कोई भागना है भाई? सारे लोग पानी की मटकियों, टैंकर के पीछे भागते दिखेंगे।

जिसके पास जितना पानी वो उतना अमीर। पानी के लिए लॉकर बनने लगेंगे। पानी के लिए लोन लिया जा सकेगा। पानी उधार दिलवाने वाले नए दलाल अस्तित्व में आ जाएंगे जो चक्रवृद्धि ब्याज पर जन-सामान्य को पानी पिला-पिला कर लूटेंगे। पानी की चिटफंड कंपनियां लूट मचाएंगी। पानी पीने पर टैक्स लगेगा। टैक्स चोरी रोकने के लिए मूत्र त्याग पर सतर्कता से टैक्स चोरी पकड़ने की कला कर्मचारियों को सिखाई जाएगी। पानी टैक्स चोरों को पकड़वाने पर पानी का ही रिवॉर्ड दिया जाएगा। आज जैसे बजट में आयकर छूट के इंतजार में लोग टीवी से चिपके रहते हैं, आने वाले समय में पानी पर टैक्स की छूट का इंतजार करेंगे। टीवी रिपोर्टर पूछा करेंगे, “सरकार ने पानी पर टैक्स कम नहीं किया, आपको कैसा लग रहा है?” वो दिन भी चले जाएंगे जब लोग परिचितों को लंच-डिनर पर बुलाते थे। आने वाले समय में लोग कहेंगे, “अजी सुनती हो, फलां ने हमें पानी पर बुलाया है।” फिल्मी हीरोइन भी गाएगी, “शायद मेरी शादी का खयाल दिल में आया है इसीलिए मम्मी ने मेरी तुम्हें पानी पे बुलाया है।” वैज्ञानिक-डॉक्टर गंभीर बीमारियों के इलाज खोजने के बदले उस टेबलेट को बनाने में प्राण-प्रण से लगे रहेंगे जिसे खा कर सप्ताह, महीने या एक साल तक प्यास न लगे। ‘बिना पानी कैसे फसल ली जाए’, बिना पानी कैसे स्वस्थ रहने पर लेख आएंगे। डियोडरेंट की बिक्री रिकार्ड तोड़ देगी। धन-दौलत के बदले तब पानी चोरी हुआ करेगा। रिपोर्ट लिखवाने पर पुलिस गुम पानी का रिकॉर्ड मांग कर शिकायतकर्ता की हालत टाइट कर देगी। इतना कीमती पानी आखिर तू भैया लाया कहां से? ब्लैक से, कालाबाजारी से, कहां से और कैसे, बता? भ्रष्ट नेताओं और अफसरों से पानी की बरामदगी हुआ करेगी। पटवारी पानी की रिश्वत लेता पकड़ाया करेगा। ईमानदार सरकारी कर्मचारी पानी की किस्तें देते-देते रिटायर्ड हो जाएगा। अभी बेटे-बेटी की पढ़ाई-ब्याह के लिए बैंक में आरडी करता है तब पानी के लिए करेगा।

और कितने हालात गिनाऊं? बस ये जान लें कि हमारी सदानीरा नदियां जिस तरह देह सुखाती, रेत की चादर ओढ़ती जा रही हैं, पानी और हरियाली के बदले जिस प्रकार रेत माफियाओं के लिए स्वर्ण का भंडार होती जा रही हैं उसका लब्बो-लुबाब यही है कि अगली पीढ़ियों को नदियों को टीवी पर ही देख कर संतोष करना होगा। उन्हें वास्तविक नदियां शायद ही देखने को मिलें। मुझे नाना जी की घी-दूध की नदियों की बात हंसी लगती थी। अब हमारे नाती-पोतों को देश की नदियों के जीरो फिगर देख कर ये बात हंसी लगेगी।

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