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“किसानों की जरूरत ही हमारी प्राथमिकता”

देश की अग्रणी ट्रैक्टर निर्माता कंपनी स्वराज में काम करने वाले 60 फीसदी इंजीनियर खेती-किसानी से जुड़े हुए हैं। यही कारण है कि कंपनी के ट्रैक्टर का नाम ‘मेरा स्वराज’ है। महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप की यूनिट स्वराज ट्रैक्टर मेक इन इंडिया की कसौटी पर पूरी तरह से खरी उतरती है। छोटे से लेकर बड़े किसानों के लिए उनकी जरूरत के अनुसार ट्रैक्टरों का उत्पादन करती है। स्वराज डिवीजन के सीओओ वीरेन पोपली से कंपनी की रणनीति सहित अन्य मुद्दों पर हमारे वरिष्ठ संवाददाता आर.एस. राणा ने खास बातचीत की, पेश हैं अंश...
स्वराज डिवीजन के सीओओ वीरेन पोपली

-स्वराज ट्रैक्टर एक जाना-पहचाना ब्रांड है, ब्रांडिंग की मजबूती के लिए क्या रणनीति है?

किसान को जब भी कोई दिक्कत पेश आती है, जैसे उसके ट्रैक्टर को ठीक करना या फिर इमरजेंसी में दूसरा ट्रैक्टर देना होता है, तो हम हमेशा उसके साथ खड़े रहते हैं। इससे किसानों का कंपनी पर भरोसा बढ़ता है। हमारा मुख्य मकसद किसानों के साथ उनकी हर तकलीफ में खड़ा रहना है। हम उनसे कई पीढ़ियों से रिश्ता निभा रहे हैं। हमारे यहां कई ऐसे उदारहण है कि हमने पहला ट्रैक्टर दादा को दिया और अब उसके पोते को दे रहे हैं। हमारा मानना है कि जो किसान एक बार हमसे जुड़ गया, वह फिर कभी हमे छोड़े नहीं।

-इंडस्ट्री में काफी प्रतिस्पर्धा है। स्वराज ट्रैक्‍टर  को किसानों के लिए सबसे किफायती बनाने के लिए कंपनी किन बातों का ध्यान रखती है?

पावर के साथ ही परफॉर्मेंस स्वराज के ट्रैक्टर को अन्य ट्रैक्टरों से अलग रखती है। आज गांव में यह कहावत है कि जब भी कोई ट्रैक्टर फंस जाता है, तो उसे निकालने के लिए स्वराज का ट्रैक्टर मंगाया जाता है। अगर स्वराज का ट्रैक्टर फंस जाए तो फिर उसे निकालने के लिए जेसीबी मशीन मंगाई जाती है। उत्तर प्रदेश में किसान स्वराज के ट्रैक्टर को कच्चा सोना कहते हैं, क्योंकि इसकी रीसेल वैल्यू बहुत अच्छी है। स्वराज ट्रैक्टर की लाइफ ज्यादा है। लोग सोचते हैं किसान के पास बहुत समय है, लेकिन हकीकत यह है कि उसके पास सबसे कम समय है। इसलिए हमारी सोच है कि किसान कितने कम समय में ज्यादा काम निकाल सके। हम यह भी चाहते हैं कि खेत में किसान के ट्रैक्टर में कोई छोटी-मोटी कमी आ जाए तो वह खुद उसे ठीक कर सके। हम किसानों की सुविधा के लिए नए प्रयोगों पर ज्यादा काम कर रहे हैं। इसमें  हमारे किसान इंजीनियर का बहुत बड़ा योगदान है।

-आप कहते हैं कि किसान ही हमारा इंजीनियर है, तो इससे किसानों को कैसे जोड़ते हैं?

आज लोग किसानों की बात तो बहुत करते हैं, लेकिन उनके साथ जमीन पर खड़े होना अलग बात है। हमारे ट्रैक्टर और डीलर्स किसान के साथ पूरी तरह से खड़े हुए हैं। आज के समय में मौसम में काफी बदलाव हो रहे हैं, जैसे किसान को आज फसल काटनी है तो आज ही काटनी है, क्योंकि कल बारिश हो सकती है या आंधी आ सकती है। इसलिए हमारा पूरा फोकस रहता है कि हमारा ट्रैक्टर किसान को तकलीफ न दे। हमारे कई ऐसे डीलर्स हैं जिनके पास स्टैंडबाई ट्रैक्टर हैं, ताकि किसान का ट्रैक्टर खराब हो जाए तो, उसे दूसरा ट्रैक्टर हाथों-हाथ दिया जा सके।

-वित्त वर्ष 2017-18 में कंपनी की परफॉर्मेंस कैसी रही है और आगामी वित्त वर्ष के लिए क्या लक्ष्य तय किया गया है?

वित्त वर्ष 2017-18 इंडस्ट्री के लिए अच्छा रहा है। महिंद्रा और स्वराज ट्रैक्टर का मार्केट शेयर बढ़कर 43 फीसदी हो गया है। स्वराज ट्रैक्टर की बिक्री इस वित्त वर्ष में अभी तक एक लाख से ज्यादा रही है। जिस तरह से सरकार किसानों के हित में कदम उठा रही है उससे बिक्री में और बढ़ोतरी की उम्‍मीद है। चालू फसल सीजन में गन्ने की पैदावार ज्यादा हुई है, खाद्यान्न का रिकॉर्ड पैदावार होने का अनुमान है। इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी, जिससे किसान खर्च भी ज्यादा करेगा। ऐसे में आगामी वित्त वर्ष में ट्रैक्टर की बिक्री में 7-8 फीसदी की बढ़ोतरी होने का अनुमान है।

-कंपनी ने नया ट्रैक्टर किस वर्ग के किसान को टारगेट करके लॉन्च किया है?

हमने उच्च श्रेणी के ट्रैक्टर उत्पादन का एक प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है। इसके तहत कंपनी 60 से 75 एचपी के ट्रैक्टरों का उत्पादन करेगी। इस श्रेणी का पहला स्वराज ट्रैक्टर 60 एचपी का 963-FE लॉन्च किया गया है। यह बड़े किसानों के साथ ही ट्रैक्टर के बढ़ते व्यावसायिक उपयोग को ध्यान में रखते हुए किया गया है। सरकार कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर जोर दे रही है, इससे खेत बड़े हो जाएंगे, तो बड़े ट्रैक्टरों की जरूरत बढ़ जाएगी। हमारा जोर बड़े किसान, बड़ी मशीनों और बड़े काम पर है।

-छोटी जोत के किसानों के लिए कंपनी की क्या रणनीति है?

छोटी जोत को देखते हुए हम 15 एचपी के ट्रैक्टरों का उत्पादन कर रहे हैं। कंपनी का मकसद 15 एचपी से नीचे की लागत वाली मशीनें बनाने का भी है ताकि किसान छोटी जोत में भी ज्यादा ‌मुनाफा कमा सके। इस समय स्वराज के अलग-अलग श्रेणी के 12 मॉडल बाजार में उपलब्ध हैं। हालांकि हम भारतीय किसानों की जरूरत के हिसाब से ट्रैक्‍टर बनाते हैं। लेकिन, नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश में भी स्वराज ट्रैक्टरों की अच्छी मांग है।

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