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दूर और दुश्वार होती इंसाफ की देहरी

राजस्थान में अलवर जिले के भिवाड़ी में दो हत्याओं से गुस्से में दलित, न्याय दिलाने में प्रशासन रहा नाकाम, दोनों प्रमुख राजनैतिक दलों ने नहीं ली सुध
विरोध-प्रदर्शनः ‌भिवाड़ी में दलित युवकों की हत्या के विरोध में धरना

दलितों को लगता है कि इंसाफ की देहरी उनके लिए दूर है और दुश्वार भी। पूर्वी राजस्थान में दलित समुदाय की शिकायत है कि सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने भी हिंसा की दो घटनाओं को लेकर न्याय की मांग कर रहे दलितों को बिसराकर दरकिनार कर दिया है। अलवर जिले के भिवाड़ी में होली के दिन एक दलित किशोर की हत्या और उसके बाद एक और किशोर की मौत से दलित समाज उद्वेलित है। समुदाय के डॉ. ओमप्रकाश कहते हैं कि दोनों पार्टियों ने हमें हमारे हाल पर छोड़ दिया है। लेकिन भाजपा और कांग्रेस के नेता कहते हैं कि इन आरोपों में सच्चाई नहीं है। उन्हें दलितों की बहुत च‌िंता है।

अलवर जिले का भिवाड़ी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा है। भिवाड़ी के दलित समुदाय के लोग पिछले कुछ दिनों से दलितों के खिलाफ हुई हिंसा  की घटनाओं के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले दिनों भिवाड़ी में उस वक्त तनाव पैदा हो गया, जब होली पर एक दलित किशोर नीरज की हत्या कर दी गई। पुलिस ने इस सिलसिले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है। यह मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि पांच मार्च को एक और दलित किशोर अजय का जला हुआ शव मिलने से दलित समुदाय सड़कों पर आ गया। पुलिस ने इसे सरसरी तौर पर खुदकशी का मामला माना, जबकि दलित समाज इसे हत्या बता रहा है।

अलवर संसदीय क्षेत्र में अनुसूचित वर्ग की आबादी चार लाख से ज्यादा है। दलित अधिकार कार्यकर्ता सतीश कुमार कहते हैं, “दलित के साथ अत्याचार के मामले में जब भी कोई प्रभावशाली जाति सामने होती है, राजनैतिक दल चुप्पी साध लेते हैं। पूर्वी राजस्थान में पिछले दिनों दलितों के उत्पीड़न की कई घटनाएं हुई हैं। लेकिन सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी कांग्रेस दोनों मदद के नाम पर सिर्फ रस्म-अदायगी करते हैं। दलितों को अपने ही बूते लड़ाई लड़नी पड़ रही है।” होली के दिन अपना बेटा खो चुके भिवाड़ी के बाबूलाल जाटव कहते हैं कि त्योहार पर जिसने अपना बेटा खोया हो, वही इस दुःख को समझ सकता है। मेरा बेटा नौवीं कक्षा में पढ़ता था। डीजे बजाने पर विवाद में दबंगों ने उसे पीट-पीट कर मार डाला। हमें अब भी धमकियां मिल रही हैं।

इन घटनाओं के विरोध में भिवाड़ी में दलितों ने 19 मार्च को विरोध प्रदर्शन किया और इंसाफ की मांग की। दलितों की संघर्ष समिति के संयोजक डॉ. ओमप्रकाश कहते हैं, “हमने पर्चे बांट कर सभी समाजों से मदद की गुहार की, लेकिन किसी ने भी हमारा साथ नहीं दिया, न वृहत्तर हिंदू समाज की बात करने वाली भाजपा और न ही दलित उत्थान का नारा बुलंद करने वाली कांग्रेस ने। हम बेहद खौफ और अकेलेपन में जी रहे हैं। विरोध प्रदर्शन के बाद पुलिस ने दलितों के विरुद्ध ताबड़तोड़ मुकदमे दर्ज कर लिए। इन मुकदमों के बाद से पैरवीकार दलितों को भूमिगत होना पड़ा।”

इसके विपरीत प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष भंवरलाल मेघवाल कहते हैं कि कांग्रेस ने इस मुद्दे को पूरी शिद्दत से उठाया है। आगे भी उठाएंगे। कांग्रेस के अलवर जिला अध्यक्ष और पूर्व विधायक टीकाराम जुली कहते हैं कि प्रदेश कांग्रेस ने एक टीम भी मौके पर भेजी थी। पूर्व मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह और अलवर से नवनिर्वाचित सांसद डॉ. कर्ण सिंह ने भिवाड़ी का दौरा किया और पीड़ितों से मिल कर ढाढ़स बंधाया। जुली कहते हैं कि मैंने कई बार भिवाड़ी का दौरा किया है और अभी भी हम आवाज उठा रहे हैं। कांग्रेस की जांच टीम के एक सदस्य और पूर्व सांसद खिलाड़ी राम बैरवा कहते हैं कि वाकई भिवाड़ी में दलितों के साथ ज्यादती हुई है। लेकिन भाजपा सरकार घटना को गंभीरता से नहीं ले रही है।

भिवाड़ी पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी विक्रांत शर्मा कहते हैं, “कुछ लोगों ने प्रदर्शन के दौरान वाहनों में तोड़फोड़ की और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं। अलवर पुलिस में एससी/एसटी सेल के उप अधीक्षक नरेंद्र मीणा ने बताया कि नीरज जाटव की हत्या के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। घटना में शामिल कुछ और नामों की जांच की जा रही है। अलवर पुलिस के अनुसार, दूसरे किशोर अजय की मौत प्रारंभिक रूप से आत्महत्या लगती है। फिर भी सभी पहलुओं की जांच की जा रही है।

अलवर में कांग्रेस के अनुसूचित मोर्चे के अध्यक्ष खेमचंद धामानी कहते हैं कि उन्हें बहुत दुःख है कि इतनी बड़ी घटना को राज्य कांग्रेस ने गंभीरता से नहीं लिया। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख सचिन पायलट दोनों को भिवाड़ी के दलितों के जख्मों पर मरहम लगाने का समय नहीं मिला। वे कहते हैं कि मैंने दिल्ली राहुल गांधी के यहां भी सूचना भेजी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। धामानी पूछते हैं कि क्या किसी प्रभावशाली जाति समूह के साथ ऐसा होता तो इन दलों का यही व्यवहार रहता?

उधर, राज्य भाजपा अनुसूचित मोर्चे के अध्यक्ष ओ.पी. महेंद्र कहते हैं कि भाजपा ने पूरी मदद की है और अभी भी वे इस मुद्दे को उठा रहे हैं। उनका कहना है कि चाहे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हों या केंद्र में मोदी सरकार, इनसे दलित वर्ग को न केवल न्याय मिला है, बल्कि दलित कल्याण और विकास की इतनी योजनाएं कभी नहीं बनीं। कांग्रेस तो दलितों को वोट बैंक से ज्यादा कुछ नहीं समझती। अलवर में भाजपा के जिला अध्यक्ष धर्मवीर शर्मा जोर देकर कहते हैं, “मैंने खुद कई बार भिवाड़ी का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। हमारा पूरा संगठन उनके साथ है।”

इन दावों के इतर ओमप्रकाश कहते हैं, “इसी जिले में एक व्यापारी की हत्या में पूरा समाज और सरकार खड़े मिलते हैं। उन्हें सहायता राशि भी ज्यादा मिली। वह घटना भी दुखद थी। मगर गरीबी से अभिशप्त दलितों के साथ ये भेदभाव क्यों? सच कहूं तो हमें अकेला छोड़ दिया गया है।” अलवर में बहुजन समाज पार्टी के क्षेत्रीय संयोजक अशोक वर्मा भी इसी तरह की पीड़ा जाहिर करते हुए कहते हैं, “दलित अत्याचार की घटना में जब कोई दबंग जाति सामने हो तो दोनों पार्टियों को सांप सूंघ जाता है।” राजस्थान में 17 प्रतिशत दलित आबादी है। दलित अधिकार कार्यकर्ता सतीश कुमार का कहना है कि दलित मुद्दों पर भाजपा सरकार से शिकायत समझी जा सकती है, लेकिन कांग्रेस का यह रवैया दुखद है। 

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