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जमीन घोटालों में घिर गए हुड्डा

सियासी जमीन तलाशते पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर मनोहर लाल खट्टर सरकार ने की दो और केस दर्ज करने की सिफारिश
जांच की आंचः पंचकूला इंडस्ट्रियल प्लॉट अलॉटमेंट बना हुड्डा के गले का फंदा

हरियाणा में कई खेमों में बंटी कांग्रेस के लिए फिर से सत्ता की सियासी जमीन तलाश रहे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा खुद जमीन घोटालों के चक्रव्यूह में फंसे हैं। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इस चक्रव्यूह को भेदना उनके लिए आसान नहीं होगा। मानेसर जमीन घोटाला, पंचकूला इंडस्ट्रियल प्लॉट अलॉटमेंट घोटाला, एजेएल (एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड) प्लॉट अलॉटमेंट घोटाले के बाद अब रोहतक और सोनीपत जमीन घोटाले के आरोपों में हुड्डा पार्टी के भीतर-बाहर पूरी तरह से घिर गए हैं। राजनीति के धुरंधर भजन लाल को हाशिए पर धकेल दस साल तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हुड्डा पर तीन साल में जमीन घोटालों के तीन केस दर्ज हो चुके हैं। वहीं, मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने दो और केस दर्ज करने की सिफारिश सीबीआइ से की है।

इधर, भ्रष्टाचार पर राहुल गांधी की जीरो टॉलरेंस पॉलिसी का हवाला देकर पार्टी में उनके विरोधी 2019 का विधानसभा चुनाव किसी बेदाग और साफ छवि के नेता की अगुआई में लड़ने की चर्चा गर्माए हुए हैं। हालांकि, राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा, गांधी परिवार और वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं की हिस्सेदारी वाली एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को भी गुरुग्राम और पंचकूला में सस्ती जमीन दिए जाने के मामले सामने आए हैं। विधानसभा चुनाव से साल भर पहले राज्य सरकार हुड्डा पर जमीन घोटालों और खेती की जमीन के कमर्शियल और रिहायशी प्रयोग के लिए दिए गए सीएलयू (चेंज इन लैंड यूज) को हथियार बना रही है। जमीन घोटाले के पुराने तीन मामलों की सुनवाई भी सीबीआइ की विशेष अदालत ने तेज कर दी है। हुड्डा सहित 34 आरोपियों को 16 मार्च को समन जारी कर 19 अप्रैल को पंचकूला स्थित सीबीआइ के विशेष कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया गया है।

इधर, 12 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने मानेसर में 1500 करोड़ रुपये के जमीन घोटाले में बिल्डर्स के कब्जे वाली 688 एकड़ जमीन का अधिग्रहण निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने मानेसर में करीब 200 किसानों की 912 एकड़ जमीन अधिग्रहण मामले में उस समय की कांग्रेस सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सरकार का निर्णय सत्ता के साथ धोखाधड़ी करने जैसा है। उस समय की सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून बिल्डरों और निजी संस्थाओं के फायदे के लिए बनाया था। रिकॉर्ड से पता चलता है कि कुछ बिचौलियों के साथ-साथ कई संस्थाओं को अवैध रूप से लाभ दिलाया गया है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि साढ़े तीन साल में प्रदेश की भाजपा सरकार ने अपना एक भी वादा पूरा नहीं किया। प्रदेश में दंगे कराए, जिनमें निर्दोषों की जानें गईं। लोग अब इस सरकार को नकार चुके हैं तो वह ओछे हथकंडों पर उतारू है। जनता सब जानती है कि इन आरोपों में कहां तक सच्चाई है और पूरा माजरा है क्या?

हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा ने कहा कि भाजपा सरकार लंबे समय से जमीन से जुड़े लोकप्रिय नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को फंसाने की साजिश रच रही है। सीबीआइ को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया है। विपक्ष के नेता अभय चौटाला ने कहा कि तीन साल पहले ही इनेलो ने हुड्डा सरकार के खिलाफ जारी चार्जशीट में मानेसर और पंचकूला इंडस्ट्रियल प्लॉट आवंटन घोटाले का खुलासा कर दिया था।

100 करोड़ में हड़पी 1600 करोड़ की जमीन

मानेसर जमीन घोटाला मामले में ईडी ने भी हुड्डा के खिलाफ सितंबर 2016 में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। आरोप है कि 27 अगस्त 2004 से 27 अगस्त 2007 के बीच हरियाणा सरकार ने गुरुग्राम के मानेसर में आइएमटी स्थापित करने के लिए मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला गांवों के किसानों की 912 एकड़ जमीन अधिग्रहण के लिए उन्हें नोटिस थमा दिए। सीबीआइ ने चार्जशीट में लिखा है कि प्राइवेट बिल्डरों ने किसानों को अधिग्रहण का डर दिखाकर जमीनों के सौदे किए। 459 एकड़ जमीन 20 लाख से लेकर 1.50 करोड़ रुपये प्रति एकड़ में खरीदी गई। 350 एकड़ जमीन 20 से 25 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से खरीदी गई। 50 एकड़ जमीन 1.50 करोड़ रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से बिल्डरों ने खरीदी।

करीब 400 एकड़ जमीन, जिसकी मार्केट वैल्यू चार करोड़ रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से 1600 करोड़ रुपये बैठती थी, बिल्डरों ने 100 करोड़ रुपये में खरीदी। पूरे मामले में करीब 1500 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है। सीबीआइ का आरोप है कि एबीडब्ल्यू इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और इसकी सहयोगी कंपनियों ने अधिग्रहण के अधीन 239 एकड़ जमीन 169 करोड़ रुपये में खरीदी और 18 महीने में सीएलयू मिलते ही 397 करोड़ में बेच डाली। इसी दौरान हरियाणा सरकार के डायरेक्टर इंडस्ट्रीज ने 24 अगस्त 2007 को सरकारी नियमों का उल्लंघन करते हुए बिल्डरों के फायदे के लिए 224 एकड़ जमीन को अधिग्रहण प्रक्रिया से बाहर कर बिल्डरों को फायदा पहुंचाया। जबकि 688 एकड़ जमीन अधिग्रहण के दायरे में रही। अधिग्रहण अधिसूचना रद्द करने से नाराज किसान सीबीआइ जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट चले गए। भाजपा सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मामले की सीबीआइ जांच के आदेश दे दिए।

सोनीपत और रोहतक में हुड्डा पर जमीन घोटालों के आरोप की जांच भी सीबीआइ से कराने की सिफारिश मनोहर सरकार ने की है। सोनीपत के सेक्टर-59 और 60 में एचएसआइडीसी ने इंडस्ट्रियल वर्कर्स की रिहायशी कॉलोनी विकसित करने के लिए अक्टूबर 2005 में पिछली सरकार ने नोटिफाइड 885 एकड़ जमीन में 200 एकड़ जमीन एक बिल्डर को दे दी थी। रोहतक में हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा अधिग्रहीत 850 एकड़ जमीन में 441 एकड़ बिल्डरों को देने का मामला सामने आने पर हाईकोर्ट ने मई 2016 में रोक लगा दी थी।

हुड्डा सरकार के कार्यकाल में मानेसर में सस्ती जमीन के खेल का फायदा उठाने का आरोप रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी पर भी है। कंपनी ने मानेसर में सात करोड़ में ली गई तीन एकड़ जमीन 15 महीने बाद 58 करोड़ में डीएलएफ को बेची। यह इसलिए संभव हो पाया कि इन चंद महीनों में तत्कालीन हुड्डा सरकार ने कृषि भूमि के कमर्शियल उपयोग की मंजूरी दे दी थी। इस मामले की जांच  भाजपा सरकार ने जस्टिस एसएन ढींगरा कमीशन को सौंपी। इधर, एजेएल के स्वामित्व वाले नेशनल हेराल्ड को 2006 में पंचकूला में 59 लाख रुपये में अलॉट प्लॉट की मार्केट वैल्यू 23 करोड़ आंकी गई है। इस मामले में छह अप्रैल 2017 को सीबीआइ ने एफआइआर दर्ज की। पंचकूला में 14 इंडस्ट्रियल प्लॉट हुड्डा के मुख्यमंत्रित्व काल में 2014 में अपने चहेतों खासकर सलाहकारों और कांग्रेसी नेताओं को अलॉट किए जाने के मामले में सीबीआइ ने 16 मई 2016 को केस दर्ज किया। सीएम रहते हुड्डा प्लॉट अलॉट करने वाली हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी के चेयरमैन भी थे।

घोटालों की जमीन

हुड्डा के खिलाफ मानेसर जमीन घोटाले की चार्जशीट ठीक उस समय दाखिल हुई है, जब 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के अलावा हरियाणा में विधानसभा चुनाव का करीब एक साल रह गया है। घोटालों की हवा को हुड्डा के विरोधी खेमे अपने-अपने पक्ष में करने में लगे हैं। राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर प्रदेश भर में साइकिल यात्राएं कर रहे हैं। राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला की परिवर्तन यात्राओं में भीड़ जुटती दिख रही है। कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी भी रैलियों के जरिए अपनी हवा बनाने में लगी हैं।

आदमपुर से विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई हिसार और सिरसा में सभाओं के जरिए सियासी जड़ें जमाने में लगे हैं। हुड्डा सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा की मदद से युवा, किसान, मजदूर और महिला पंचायतों के अलावा व्यापारियों के साथ बैठकों में सक्रियता बनाए हुए हैं। विचारणीय यह भी है कि हरियाणा में कांग्रेस के पास हुड्डा के कद का कोई और नेता उभर कर नहीं आया है। शायद इसी सोच के साथ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हुड्डा को पार्टी के कृषि, रोजगार और गरीबी उन्मूलन उपसमूह की कमान सौंपकर विरोधी खेमों को साफ संकेत दिया है कि संकट में घिरे होने के बावजूद पार्टी हाईकमान हुड्डा के साथ खड़ा है।

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