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पूर्ण कर्जमाफी एवं अन्य मांगों को लेकर 9 अगस्त को जेलभरों आंदोलन की तैयारी -एआईकेएस

JUN 28 , 2018
किसानों एवं गरीबों की पांच प्रमुख मांगों को लेकर आल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) लोकसभा चुनाव से पहले...

किसानों एवं गरीबों की पांच प्रमुख मांगों को लेकर आल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है। किसानों एवं गरीबों की मांग के समर्थन में देशभर से 10 करोड़ हस्ताक्षर कराकर 9 अगस्त को जिला स्तर पर जेलभरों आंदोलन करने की तैयारी है।

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एआईकेएस के अध्यक्ष डॉ. अशोक धवले ने आउटलुक को बताया कि हमारी केंद्र सरकार से पांच प्रमुख मांगे हैं, जिनमें पूर्ण कर्ज माफी के साथ ही फसलों का समर्थन मूल्य लागत का डेढ़ गुना, किसानों को जमीन का मालिकाना हक, तथा किसान एवं खेत मजदूर की 5,000 रुपये मासिक पेंशन और किसानों के लिए व्यवहारिक फसल बीमा योजना। उन्होंने बताया कि किसानों को फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है, जबकि प्रधानंत्री फसल बीमा योजना फेल हो चुकी है। यही कारण है कि किसान आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर है।

उन्होंने बताया कि किसान एवं गरीबों की मांगों के समर्थन के लिए हम देशभर में हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं। हमारा लक्ष्य 10 करोड़ किसान एवं गरीबों के हस्ताक्षर कराना है, उसके बाद 9 अगस्त को सभी जिला मुख्यलयों पर इन हस्ताक्षरों को सरकार को सौंपा जायेगा, इसके साथ ही जेलभरों आंदोलन किया जायेगा। उन्होंने बताया कि 9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने अग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया था, इसलिए मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों का विरोध करने के लिए हमने 9 अगस्त को जेलभरों आंदोलन करने का फैसला किया है।

उन्होंने बताया कि 5 सितंबर को दिल्ली में खेतिहर मजदूरों की रैली निकाली जायेगी, जिसमें करीब 5 लाख लोगों के भाग लेने की संभावना है। इस रैली का आयोजन एआईकेएस के अलावा सीआईटीयू और एआईएडब्ल्यूयू संगठनों के द्वारा किया जायेगा।

माकपा से ताल्लुक रखने वाले संगठन आल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) की अगुवाई में मार्च में महाराष्ट्र में निकाला गया लांग मार्च काफी सुर्खियों में रहा था। अपनी मांगों को लेकर हजारों की संख्या में किसान पैदल चल कर मुंबई पहुंच थे तो महाराष्ट्र के देवेंद्र फड़णवीस सरकार को भी किसानों की मांगे मानने के लिए बाध्य होना पड़ा था। इतना ही नहीं लांग मार्च की रूपरेखा कुछ ऐसे थी कि किसानों के आंदोलन को शिवसेना, एमएनएस, कांग्रेस और आप के अलावा कांग्रेस ने भी समर्थन किया था।


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