Advertisement

इंसेफेलाइटिस से बच्चों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र, बिहार और यूपी सरकार से 7 दिन में मांगा जवाब

बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार (एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) से बच्चों की मौत पर सोमवार को...
इंसेफेलाइटिस से बच्चों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र, बिहार और यूपी सरकार से 7 दिन में मांगा जवाब

बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार (एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) से बच्चों की मौत पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने गहरी चिंता जताई है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से बच्चों की मौत पर जवाब मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने बुखार की रोकथाम के लिए किए उपाय और संबंधित कार्यक्रमों के बारे में राज्य सरकार को 7 दिन के अंदर हलफनामा दायर कर जवाब देने का भी निर्देश दिया।

मनोहर प्रताप और सनप्रीत सिंह अजमानी की ओर से दाखिल याचिका में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि सरकारी सिस्टम इस बुखार का सामना करने में पूरी तरह से फेल रहा है।

कोर्ट ने 7 दिन में मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने इन्सेफलाइटिस से मौतों पर बिहार, केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को 7 दिनों की समय सीमा में अपना जवाब हलफनामा दायर कर दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने राज्यों और केंद्र सरकार को एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए दी जा रही मेडिकल सुविधाएं, अस्पतालों की व्यवस्था, पोषण और साफ-सफाई पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

इस मामले पर हुई सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए तत्काल चिकित्सा विशेषज्ञों का दल गठित करने का निर्देश केंद्र सरकार को देने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए बुधवार को हामी भरी। जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता द्वारा मामले को जल्दी सूचीबद्ध करने का अनुरोध करने पर याचिका पर सोमवार को सुनवाई करने की बात कही थी।

याचिका में अनुरोध किया गया है कि न्यायालय केंद्र को निर्देश दे कि वह इस महामारी से जूझ रहे बच्चों के प्रभावी इलाज के लिए सभी उपकरण और अन्य सहायता उपलब्ध कराए। वकील मनोहर प्रताप ने अपनी यचिका में दावा किया है कि वह बीते हफ्ते दिमागी बुखार के कारण से हुई 126 से ज़्यादा बच्चों की मौत से व्यथित हैं।

20 जिलों में फैल चुका है इंसेफेलाइटिस का कहर

बिहार के अब तक 20 जिलों में चमकी बुखार (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) का कहर फैल चुका है। इस महीने की शुरुआत से 600 से अधिक बच्चे इंसेफेलाइटिस से प्रभावित हुए हैं जिनमें से अब तक 152 की मौत हो चुकी है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने ये जानकारी दी है। बुखार की वजह से मचे हाहाकार के बीच आज यानी सोमवार को इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।  

राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 1 जून से राज्य में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के 626 मामले दर्ज हुए और इसके कारण मरने वालों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। मुजफ्फरपुर जिले में सबसे अधिक अब तक 120 मौतें हुई हैं। इसके अलावा भागलपुर, पूर्वी चंपारण, वैशाली, सीतामंढी और समस्तीपुर से मौतों के मामले सामने आए हैं।

शुक्रवार को लोकसभा में उठाया गया था चमकी बुखार का मामला

भाजपा नेता राजीव प्रताप रूडी ने शुक्रवार को लोकसभा में चमकी बुखार का मामला उठाया था। उन्होंने कहा था, यह फैलाया जा रहा है कि बच्चों ने लीची खाई, जिस वजह से उनकी मौत हो गई। इसके बाद अचानक लीची के निर्यात में गिरावट आ गई और लीचियां तटों पर पड़ी हैं। उन्होंने कहा, हमें यह पता लगाना होगा कि क्या यह किसी साजिश का हिस्सा है। हमें इस बारे में विस्तृत जानकारी हासिल करनी होगी। रूडी का बयान ऐसे समय पर आया है, जब बिहार चमकी बुखार के कहर से जूझ रहा है।

12 घंटे के दौरान 7 बच्चों की मौत

मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ शैलेश प्रसाद ने गुरुवार देर शाम को बताया था कि पिछले 24 घंटे के दौरान श्रीकृष्ण मेडिकल कालेज अस्पताल और केजरीवाल अस्पताल में चमकी बुखार से सात बच्चों की मौत हुई। उन्होंने बताया कि उनके जिले में अबतक इस रोग से ग्रसित कुल 562 बच्चे भर्ती कराए गए जबकि स्वास्थ्य लाभ लेने के बाद 219 बच्चों को अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है। मंगलवार को पूर्वी चंपारण जिले में एक बच्चे की और 16 जून को पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक बच्चे और 13 जून को समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर में एक बच्चे की मौत हो गयी थी।

मुजफ्फरपुर में की गई 11 चिकित्सा अधिकारियों की तैनाती

मंगलवार तक केजवरीवाल अस्पताल में 19 बच्चों की और पूर्वी चंपारण जिले में एक बच्चे की इस रोग से मौत हुई थी। राज्य के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि दरभंगा, सुपौल और मधुबनी के कुल 11 चिकित्सा अधिकारियों की तैनाती मुजफ्फरपुर में की गयी है। इसके अलावा अन्य जिलों में तैनात तीन बाल रोग विशेषज्ञों और 12 नर्सों को मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया है।

हरिवंशपुर में घर खाली कर रहे लोग

वैशाली जिले के हरिवंशपुर गांव के लोगों ने एईएस के डर से अपने घर छोड़ दिए हैं। अधिकांश परिवारों ने बीमारी के फैलने के बाद अपने बच्चों को दूसरे गांवों में भेज दिया है।मृत बच्चों के एक पिता ने कहा,"एक घंटे के भीतर एक्यूट इंसेफेलाइटिस के कारण मेरे दो बेटों की मौत हो गई। बड़ा सात साल का था जबकि छोटा दो साल का था। बीमारी के संबंध में प्रशासन द्वारा कोई जागरूकता अभियान नहीं चलाया गया था।” उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आलोचना करते हुए कहा, "मुख्यमंत्री ने बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कुछ नहीं किया है। बीमारी से पीड़ित बच्चों के लिए अस्पताल में कोई व्यवस्था नहीं है।"

एक अन्य व्यक्ति ने कहा, "मेरी सात वर्षीय बेटी की मृत्यु हो गई। बीमारी के बारे में प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं थी।" एक अन्य व्यक्ति ने कहा, "मैंने अपने दो बच्चों को दूसरे गांव में भेज दिया है क्योंकि यहां खतरा है।"

(एजेंसी इनपुट के साथ)

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement