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कैसे दोबारा बातचीत के लिए राजी हुआ पाकिस्तान, अंदर की ये है कहानी

भारत-पाकिस्तान के बीच एक बार फिर बातचीत शुरू होने की सुगबुगाहट है। सरहद पर संघर्ष विराम का ऐलान यदि...
कैसे दोबारा बातचीत के लिए राजी हुआ पाकिस्तान, अंदर की ये है कहानी

भारत-पाकिस्तान के बीच एक बार फिर बातचीत शुरू होने की सुगबुगाहट है। सरहद पर संघर्ष विराम का ऐलान यदि वास्तविक रूप में अमल में आई तो इसका सकारात्मक प्रभाव दोनो देशों के कूटनीतिक रिश्तों पर भी देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर में 4जी सेवा शुरू होना, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के विमान को भारतीय एयर स्पेस के इस्तेमाल की इजाजत देना और अब दो कदम आगे बढ़कर संघर्ष विराम पर परस्पर सहमति इस बात का संकेत है कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों में बहुत कुछ चहलकदमी हो रही है।

दोनों देशों के बीच बातचीत के लिए रणनीतिक स्तर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की मुख्य भूमिका बताई जा रही है। कई अन्य स्तरों पर चहलकदमी का प्रभाव आने वाले दिनों में देखने को मिल सकता है।

सूत्रों ने कहा कि यदि जमीन पर पाकिस्तान ने संघर्ष विराम का कठोरता से पालन किया और आतंकवाद और घुसपैठ को रोका जा सका तो दोनो देशों के रिश्ते अच्छे बनाने के कुछ और कदम दिख सकते हैं।

विदेश मंत्रालय ने संघर्ष विराम के बाद बातचीत की संभावना को लेकर पूछे गए प्रश्न पर नपा तुला बयान दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा है,‘भारत, पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी की तरह रिश्ते चाहता है। अगर कोई भी मुद्दा है तो उन्हें शांतिपूर्ण और द्विपक्षीय तरीके से हल करने को प्रतिबद्ध है। आतंकवाद सहित अन्य मुद्दे पर पूछे गए सवाल पर भारत ने साफ किया है कि अहम मसलों पर भारत की नीति में कोई परिवर्तन नहीं है।’

उधर जम्मू कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों ने भी भारत पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। इसे भी वातावरण सुधरने में सहायक बताया जा रहा है।

बता दें कि अमेरिका में नए प्रशासन के सत्ता में आने के बाद कई तरह के घटनाक्रम इलाके में हो रहे हैं। अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद के मसले पर स्पष्ट संदेश दिया है। कश्मीर को लेकर भी बाइडेन प्रशासन स्पष्ट है। ऐसे में पाकिस्तान को अलग थलग पड़ने का डर सता रहा है। इसका असर भी कूटनीतिक स्तर पर देखा जा सकता है।

फिलहाल विशेषज्ञों का मानना है कि जमीनी स्थिति पर निगाह रखनी होगी। चीन और पाकिस्तान दोनो से एक साथ रिश्ते सुधरने की पहल होगी तो क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव भी दिखाई देंगे।

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