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म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन, आंग सान सू की को जल्द रिहा करने की मांग

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म्यांमार में हाल ही में हुए सैन्य तख्तापलट के विरोध में तथा देश की प्रमुख नेता आंग सान सू की को जल्द से...
दिल्‍ली में भुखमरी के कगार पर रोहिंग्या मुसलमान

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बर्मा से आई तीस साल की तस्लीमा यह नहीं जानती कि उसका बेटा किस तारीख को पैदा हुआ। हालांकि वह यह जानती है कि बेटा 18 या 20 दिन का हो चुका है। सफदरजंग अस्पताल से कोई पर्ची नहीं मिली। अस्पताल प्रशासन का कहना था कि तस्लीमा दूसरे देश की रहने वाली है इसलिए उसे बच्चे का प्रमाणपत्र नहीं दिया जा सकता। दो साल पहले वह अपने वतन बर्मा से बांग्लादेश होती हुई दिल्ली पहुंची। मात्र तीस साल की उम्र में चार बच्चों की मां बन चुकी तस्लीमा अपने पति और बच्चों के साथ किसी तरह जान बचाकर भारत आ तो गई लेकिन यहां जिन हालातों में जी रही है वह जीते जागते मरने जैसे हैं।
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