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‘विचार एबीवीपी से न मिलें तो देशद्रोही हो गए क्या?’

‘विचार एबीवीपी से न मिलें तो देशद्रोही हो गए क्या?’

हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के संदर्भ में बात करें तो इस वक्त केंद्रीय संसाधन मंत्रालय द्वारा विश्वविद्लायों में एक विचारधारा थोपने की बात चल रही है। रोहित का लेना-देना सिर्फ हैदराबाद विश्वविद्लाय या वहां के प्रशासन मात्र से नहीं है बल्कि एक बड़े मसले से है। देश की विश्वविद्यालय व्यवस्था में इस समय वैचारिक हस्तक्षेप चल रहा है। वहां राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े लोगों की नियुक्तियां की जा रही हैं। देखा जाए तो जब से भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई है तब से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) सोचने लगी है कि कानून उनकी जेब में है।
‘खेर के मार्च को दादरी कांड-कुलबर्गी की हत्या के समर्थन में माना जाए?’

‘खेर के मार्च को दादरी कांड-कुलबर्गी की हत्या के समर्थन में माना जाए?’

देश में बढ़ रही असहिष्णुता के खिलाफ पुरस्कार लौटाने वाले फिल्मकारों और साहित्यकारों के खिलाफ फिल्म अभिनेता और भाजपा समर्थक अनुपम खेर आज राष्ट्रपति भवन तक मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर हैशटैग ‪#‎MarchForIndia टॉप ट्रेंड कर रहा है। खेर का कहना है कि पुरस्कार लौटाने वालों ने न केवल सरकार का बल्कि दर्शकों और ज्यूरी का भी अपमान किया है। खेर के साथ फिल्म जगत की कई और हस्तियां और साहित्यकार भी मार्च में हिस्सा लेंगे। सोशल मीडिया पर अनुपम खेर समेत इन फिल्मकारों और साहित्यकारों के बारे में कुछ ऐसा लिखा गया-
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