इस बार के राष्ट्रीय पुरस्कारों में अलग हट कर बनी फिल्मों ने बाजी मारी है। दम लगा के हाईशा, पीकू और तनु वेड्स मनु रिटर्न्स का पुरस्कारों की सूची में तीन महत्वपूर्ण स्थान लेना दिखाता है कि ‘ऑफ बीट’ सिनेमा का दम अब तक बरकरार है।
संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी फिल्म बाजीराव मस्तानी ने टाइम्स ऑफ इंडिया फिल्म अवार्ड्स के दूसरे सत्र के दुबई में शुरू होने पर सर्वश्रेष्ठ कॉस्ट्यूम डिजाइन समेत तकनीकी श्रेणियों में सर्वाधिक पुरस्कारों पर कब्जा किया।
सेंसर बोर्ड के प्रमुख पहलाज निहलानी ने दावा किया कि ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जब निर्देशकों ने अपनी फिल्म में कुछ सीन रहने देने के लिए उन्हें रिश्वत देने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि कुछ लोग रिश्वत देकर अपने काम को वैसा ही बनाए रखना चाहते हैं।
पटकथा लेखक और निर्देशक मोजेज सिंह की फिल्म जबान कहीं लड़खड़ाती है तो कहीं एक धुन में पूरा गीत गा लेती है। जबान की खासियत इसकी कहानी हो सकती थी, जो कि हो न सकी।
अपनी पुरानी फिल्म को झाड़-पोंछ कर दर्शकों के लिए फिर नया और देखने लायक कैसे बनाया जाता है यह तो प्रकाश झा से सीखा ही जाना चाहिए। शायद यही कारण है कि अपनी सफल फिल्म गंगाजल को झा ने जय गंगाजल नाम से फिर बना दिया।