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यस बैंक संकट ने बैंकिंग सिस्टम पर उठाए सवाल, लालच और नियमों की अनदेखी से ऐसे हुआ बुरा हाल

“यस बैंक के प्रमोटर राना कपूर और बड़े कारोबारियों के गठजोड़ से पैदा हुए एनपीए संकट से खुद को ठगा...
यस बैंक संकट ने बैंकिंग सिस्टम पर उठाए सवाल, लालच और नियमों की अनदेखी से ऐसे हुआ बुरा हाल

“यस बैंक के प्रमोटर राना कपूर और बड़े कारोबारियों के गठजोड़ से पैदा हुए एनपीए संकट से खुद को ठगा महसूस कर रहे ग्राहक”

सोमवार, 16 फरवरी को लोकसभा में सरकार से 50 सबसे बड़े विलफुल डिफॉल्टर की सूची मांगते हुए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने कहा, “बैंकिंग प्रणाली कठिनाइयों का सामना कर रही है। बैंकिंग फेल हो रही है और आने वाले दिनों में कई और बैंक फेल होंगे।” राहुल गांधी का संदर्भ यस बैंक से था, जिसकी जांच में लगे प्रवर्तन निदेशालय ने अनिल धीरूभाई अंबानी समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी, एस्सेल ग्रुप के प्रमोटर सुभाष चंद्रा, जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल, इंडियाबुल्स के चेयरमैन समीर गहलोत और डीएचएफएल के सीएमडी कपिल वधावन को पूछताछ के लिए बुलाया है। आरोप है कि यस बैंक की ओर से इनकी कंपनियों को दिया काफी कर्ज गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) बन चुका है। ईडी ने कोर्ट में कहा है कि कर्ज देने के बदले यस बैंक के पूर्व एमडी तथा सीईओ राना कपूर ने 5,000 करोड़ रुपये का कमीशन लिया और दिल्ली-मुंबई के अलावा अमेरिका और इंग्लैंड में संपत्ति खरीदी।

यस बैंक के लाखों खाताधारकों को धक्का तब लगा जब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने 5 मार्च को यस बैंक का बोर्ड निरस्त करते हुए प्रशासक नियुक्त कर दिया और ग्राहकों के लिए एक महीने में 50,000 रुपये निकासी की सीमा तय कर दी। पाबंदियां तो 18 मार्च को खत्म हो गईं, लेकिन यह प्रकरण एक बार फिर भारत के बैंकिंग सिस्टम की कमजोरियों को दिखा गया। यस बैंक ने 2015-16 में 4,177 करोड़, 2016-17 में 6,355 करोड़ और 2018-19 में 2,299 करोड़ रुपये का एनपीए छिपाया। तीन साल एनपीए छिपाने के बावजूद इतनी देर से कार्रवाई की गई। दिसंबर तिमाही में बैंक को 18,564 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और ग्रॉस एनपीए 18.87% पर पहुंच गया। पाबंदियों के बाद बैंक के शेयर 5.55 रुपये तक गिर गए थे।

बैंकों पर निगरानी के कई स्तर होते हैं- बैंक की फाइनेंस कमेटी, निदेशक मंडल, इंटर्नल ऑडिटर, एक्सटर्नल ऑडिटर, वैधानिक ऑडिटर, सालाना आम सभा और रिजर्व बैंक का बैंकिंग ऑपरेशन और डेवलपमेंट विभाग। वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग की भी जिम्मेदारी होती है कि वह हर बैंक पर नजर रखे। क्या रिजर्व बैंक या वित्त मंत्रालय में किसी ने भी नहीं देखा कि यस बैंक का लोन बुक सालाना 35% से भी ज्यादा रफ्तार से बढ़ रहा था, जबकि दूसरे बैंकों की रफ्तार सिर्फ 10-12% थी। एक रिटायर्ड बैंकर ने आउटलुक से कहा, “दिखता सबको है, लेकिन यहीं पर दबाव, मनीपावर और रिश्ते काम आते हैं।” आरबीआइ ने देर से कार्रवाई क्यों की, यह पूछने पर उन्होंने कहा, “बैंक का प्रबंधन निवेशक तलाश रहा था। शायद आरबीआइ भी इंतजार कर रहा था कि कोई निवेशक मिल जाए। लेकिन बैंक की कमजोरियां सामने आईं तो बड़े जमाकर्ता पैसे निकालने लगे और निवेशकों ने भी हाथ खींच लिए।” पिछले साल सितंबर से इस साल मार्च मध्य तक जमाकर्ताओं ने 71,000 करोड़ रुपये निकाल लिए।

राना कपूर और उनके रिश्तेदार अशोक कपूर ने 2004 में यस बैंक की स्थापना की थी। 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले में अशोक कपूर की मौत हो गई। उनकी पत्नी मधु कपूर ने 2009 में डायरेक्टर नियुक्त करने का अधिकार मांगा, लेकिन बैंक के बोर्ड ने मना कर दिया। मधु इसके खिलाफ कोर्ट गईं और 2015 में उन्हें जीत मिली। बाद में उन्होंने बैंक में कॉरपोरेट गवर्नेंस पर भी सवाल उठाए। एसबीआइ के एक पूर्व अधिकारी ने कहा, “प्रमोटर, एमडी और सीईओ के नाते कपूर के पास बेहिसाब शक्ति थी। जब ऐसा व्यक्ति गड़बड़ी करे तो डूबना तय है।” कपूर बड़े क्लायंट के साथ खुद डीलिंग करते थे।

ईडी की गिरफ्त में राना कपूर

यस बैंक की समस्या का प्रमुख कारण कर्ज का तेजी से बढ़ना है। 2014 में बैंक का कुल कर्ज 55,633 करोड़ था जो 2019 में 2.41 लाख करोड़ रुपये हो गया। बैंक ने तेज ग्रोथ के लिए कॉरपोरेट को कर्ज देने का मॉडल अपनाया। 2008 के आर्थिक संकट के बाद बैंक कंपनियों को कर्ज देने में सख्ती बरत रहे थे। जिनको दूसरे बैंकों से कर्ज नहीं मिला, उन पर कपूर ने कृपा दिखाई। बैंक का 80% कर्ज कंपनियों को है, रिटेल कर्ज का हिस्सा सिर्फ 20% है। एनपीए छिपाने के लिए भी कपूर ने रास्ता अपना रखा था, जिसे लोन की एवरग्रीनिंग कहते हैं। जब कोई कंपनी लोन डिफॉल्ट करने वाली होती थी तो कपूर किसी एनबीएफसी से उस कंपनी को लोन देने को कहते। कंपनी यस बैंक को रकम दे देती थी, जिससे यस बैंक का कर्ज एनपीए होने से बच जाता था।

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन मानते हैं कि यस बैंक बहुत दिनों से अपनी खराब हालत के संकेत दे रहा था। उन्होंने कहा, “हमने 2015 में बैंकों की बैलेंस शीट दुरुस्त करने का काम शुरू किया था, और यह 2020 है। पांच साल बहुत होते हैं। बैलेंस शीट की सफाई तत्काल की जानी चाहिए, वर्ना निजी बैंक और यहां तक कि सरकारी बैंकों में भी लोगों का भरोसा घटने लगेगा।” पंजाब ऐंड सिंध बैंक के पूर्व सीजीएम एस.एस. बिंद्रा ने आउटलुक से कहा, “निश्चित तौर पर यह रेगुलेटर की भूमिका पर सवाल उठाता है, क्योंकि काफी दिनों से यह बात आ रही थी कि यस बैंक में चीजें सहीं नहीं हो रही हैं।”

बैंकिंग सिस्टम भरोसे पर ही चलता है। यस बैंक प्रकरण को देखते हुए निजी क्षेत्र के दूसरे बैंकों के ग्राहकों को भी डर सताने लगा है। लोगों में बैंक से पैसे निकालने की होड़ न लगे, इसलिए बैंक जमाकर्ताओं को आश्वासन दे रहे हैं कि उनका पैसा सुरक्षित है। कोटक महिंद्रा बैंक, आरबीएल बैंक, कर्नाटक बैंक और करूर वैश्य बैंक ने ऐसे बयान दिए हैं। बिंद्रा कहते हैं, “अचानक जब पीएमसी और यस बैंक जैसे प्रतिबंध ग्राहकों पर लगते हैं तो उनका बैंकिंग सिस्टम से भरोसा उठने लगता है। आरबीआइ को इस भरोसे को वापस लाने के लिए बड़े कदम उठाने होंगे।”

ईडी और सीबीआइ ने राना कपूर को मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया है। उनकी पत्नी बिंदु और तीन बेटियों- राधा कपूर खन्ना, राखी कपूर टंडन और रोशनी कपूर से भी पूछताछ चल रही है। यस बैंक की 2005-06 की सालाना रिपोर्ट में कपूर ने लिखा था, “हम उच्चतम स्तर की पेशेवर ईमानदारी, नैतिक मानदंड और सख्त कॉरपोरेट गवर्नेंस को मानने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” आज यह प्रतिबद्धता तार-तार नजर आ रही है।

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डूब गए एटी-1 बांड निवेशकों के पैसे

यस बैंक ने 15 मार्च को एक्सचेंजों को बताया कि 8,415 करोड़ रुपये का एडिशनल टियर-1 (एटी-1) कैपिटल खत्म कर दिया गया है। एटी-1 बांडधारकों को कुछ नहीं मिलेगा। इनमें म्यूचुअल फंड के अलावा 1,000 करोड़ के व्यक्तिगत निवेशक भी हैं। ऐसे ही एक निवेशक ने बताया कि उन्होंने रिटायरमेंट के बाद मिली रकम का काफी हिस्सा इसमें लगा दिया था, इसके न मिलने पर उनके लिए आगे का जीवन चलाना मुश्किल हो जाएगा। म्यूचुअल फंड निवेशकों को इसकी भरपाई कैसे करेंगे, अभी साफ नहीं है। एक्सिस ट्रस्टी सर्विसेज और इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस ने इस कदम के खिलाफ बॉम्बे हाइकोर्ट में याचिका दायर की है। रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार, बैंकों ने 84,500 करोड़ के एटी 1 बांड जारी कर रखे हैं। यस बैंक प्रकरण के बाद इनके निवेशक भी घबराए हुए हैं।

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