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जज ने अर्बन नक्सल केस में ‘वार एंड पीस’ पर पूछे सवाल, जानें टॉलस्टॉय की इस किताब में क्या है खास

मशहूर रूसी लेखक लियो टॉलस्टॉय की किताब ‘वॉर एंड पीस’ एक बार फिर चर्चा में है। दरअसल, बॉम्बे...
जज ने अर्बन नक्सल केस में  ‘वार एंड पीस’ पर पूछे सवाल, जानें टॉलस्टॉय की इस किताब में क्या है खास

मशहूर रूसी लेखक लियो टॉलस्टॉय की किताब ‘वॉर एंड पीस’ एक बार फिर चर्चा में है। दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने यलगार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी वर्नोन गोन्जाल्विस से पूछा कि उन्होंने अपने घर पर लियो टॉल्सटॉय की किताब ‘‘वार एंड पीस’’ क्यों रखी थी।

जस्टिस सारंग कोतवाल की बेंच ने गोन्जाल्विस और अन्य आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘सीडी ‘राज्य दमन विरोधी’ का नाम ही अपने आप में कहता है कि इसमें राज्य के खिलाफ कुछ है, वहीं ‘वार एंड पीस’ दूसरे देश में युद्ध के बारे में है। आपके (गोन्जाल्विस) पास घर पर ये पुस्तकें और सीडी क्यों हैं? आपको कोर्ट को यह स्पष्ट करना होगा।”

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरकार इस ऐतिहासिक किताब में क्या है? … इस किताब के लेखक टॉल्सटॉय कौन थे? बता दें कि देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों पर भी टॉल्सटॉय का गहरा असर था। दरअसल, क्रीमिया युद्ध में भाग लेनेवाले टॉल्सटॉय का हिंसा और युद्ध से इतना ज्यादा मोहभंग हुआ कि वे 19वीं और 20वीं सदी के सबसे महान शांतिवादी बने।

गांधी ने टॉल्स्टॉय के बारे में कई जगहों पर विस्तार पूर्वक लिखा है। 2 सितंबर, 1905 के ‘इंडियन ओपिनियन’ में गांधी लिखते हैं, “ऐसा माना जाता है कि काउंट टॉल्स्टॉय के समान धुरन्धर विद्वान, फिर भी फकीरी मनोवृत्ति वाला कोई दूसरा व्यक्ति पश्चिम के देशों में तो नहीं ही है। ...क्रीमिया की लड़ाई में वे बहुत बहादुरी से लड़े थे। युद्धकाल में जब उन्होंने भारी रक्तपात देखा तब उनका मन दया से भर गया। उनके विचार बदल गए। उन्होंने लड़ाई से होनेवाले अनर्थकारी परिणाम पर बड़ी प्रभावशाली किताब लिखी। ...स्वयं रूसी होने पर भी रूस और जापान की लड़ाई के संबंध में उन्होंने रूस के विरुद्ध बड़े तीखे और कड़े लेख लिखे हैं। रूस के सम्राट को टॉल्सटॉय ने युद्ध के संबंध में बड़ा प्रभावशाली और तीखा पत्र लिखा है।”

गांधी के इस उद्धरण के बाद इस किताब के बारे में काफी कुछ समझा जा सकता है।

क्या है इस किताब में?

वॉर एंड पीस लियो टॉलस्टॉय की महान किताबों में से एक मानी जाती है। 'युद्ध और शान्ति' का लेखन लियो ने 1863 ई० से 1869 ई० के बीच किया। 1865 में इसके प्रकाशन की शुरुआत हुई। 4 खण्डों में प्रकाशित इस उपन्यास की पृष्ठ संख्या लगभग डेढ़ हजार थी। यह भी कहा जाता है कि इसके अनेक अध्याय कई-कई बार बदले गये और नये सिरे से लिखे गये।

इस उपन्यास की कहानी शुरू होती है 1805 सेंट पीटर्सबर्ग से। नेपोलियन की सेना पश्चिम यूरोप पर कब्जा कर रही है और रूस में इस चीज का भय बैठा हुआ है। यह पांच परिवारों की कहानी है और युद्ध के कारण उनपर क्या प्रभाव पड़ता है यह इसमें दिखाया गया है। मनुष्य की भावनाएं जंग के दौरान शादी और प्यार के दौरान क्या होती हैं यह इसमें बखूबी दिखाया है। टॉलस्टॉय के मुताबिक, इतिहास की दिशा केवल महान लोग जैसे एलेग्जेंडर या नेपोलियन नहीं बदलते बल्कि सामान्य लोगों का इसमें बहुत बड़ा हाथ होता है जो ‌कि युद्ध में भाग लेते हैं।

कुल मिलाकर लियो ने इस किताब के माध्यम से यह स्पष्ट करना चाहा है कि युद्ध का सारे समाज, जीवन के सभी पक्षों, सभी वर्गों और श्रेणियों के लोगों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

विद्वानों की राय में वार एंड पीस

-रूसी लेखक इवान तुर्गनेव ने 1880 में लिखा था, "यह विराट उपन्यास वीर 'महाकाव्य के समान है। इसमें हमारी शताब्दी के शुरूआती सालों के व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन का बड़ी कुशलता से चित्रण हुआ है। पाठकों के सामने महान घटनाओं और महान लोगों से समृद्ध एक पूरे युग की तस्वीर खिंच जाती है... सभी सामाजिक श्रेणियों के असल जीवन से लिये गये अनेकानेक किरदारों का एक पूरा संसार सामने आ जाता है... यह महान लेखक की महान रचना है- यह असली रूस है।"

-इस उपन्यास पर प्रसिद्ध फ्रांसीसी लेखक रोमां रोलां ने लिखा है कि इस रचना का "जीवन की तरह न तो आरंभ है और न अंत। यह तो शाश्वत गतिशीलता में स्वयं जीवन है।" उन्होंने इस पुस्तक को"19वीं शताब्दी का भव्य स्मारक, उसका मुकुट" माना है।

-रूसी लेखक इवान गोंचारोव मानते थे "वार एंड पीस' विषय वस्तु और रचना शिल्प दोनों ही दृष्टियों से एक अद्भुत महाकाव्यात्मक उपन्यास है। साथ ही यह रूसी युग का स्मारकीय इतिहास भी है जिसमें हर किरदार या तो कोई ऐतिहासिक हस्ती है या कांसे से गढ़ी हुई मूर्ति के समान है। गौण पात्रों तक में रूसी लोक-जीवन के विशिष्ट लक्षण साकार हुए हैं।"

-फ्रांसीसी लेखक फ्रांस्वा मोरिआक ने लिखा है- "मैं यह नहीं कह सकता कि मैंने 'वार एंड पीस' को पढ़ा है। वास्तव में तो मैं मानो अपनी जवानी के ज्यादातर भाग में इस उपन्यास के पात्रों के बीच सांस लेता रहा हूं। मेरे अधिकांश जीवित मित्रों की तुलना में रोस्तोव परिवार मेरे हृदय के ज्यादा करीब था और उन सालों के दौरान जिन भी लड़कियों को मैंने प्यार किया उन सभी में मैं नताशा रोस्तोवा को ढूंढा करता था।"

 

 

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